क्या आप जानते हैं कि.... देवो के देव ""महादेव''" के हाथों में हमेशा ""त्रिशूल"" .....एवं, गले में ""नाग की माला"" मौजूद क्यों होती है..... एवं, उसका क्या महत्व है ...?????
दरअसल...
त्रिशूल......" त्रि" और "शूल' ... इन दो शब्दों से मिलकर बना है..... जिसका शाब्दिक अर्थ होता है..... तीन कांटे ..!
इसीलिए...
इस त्रिशूल को धारण करने के कारण.... भगवान भोलेनाथ को ... शूलपाणि भी कहा जाता है...!
असल में.... भगवान भोलेनाथ के हाथ में मौजूद त्रिशूल ..... जीवन में सफलता एवं कामयाबी के मूलमंत्र हैं.... !
भगवान भोलेनाथ के सदैव त्रिशूल धारण करने का आध्यात्मिक धारणा यह है कि.... त्रिशूल एक घातक एवं अचूक हथियार है ... जो धर्मविरोधियों और दुष्कर्मियों के विनाश का प्रतिनिधित्व करता है...!
परन्तु
इसके साथ ही....
भगवान भोलेनाथ के हाथ में मौजूद त्रिशूल.... संसार में फैले तीन ... रज, ताम और सत्व गुणों का भी प्रतिनिधित्व करता है
क्योंकि.....
इन्ही तीन गुणों के विकृत होने पर.... मनुष्य के कर्म, विचार और स्वभाव में विकृति आती है.... जो सभी .. दैहिक...भौतिक और मानसिक कष्टों का कारण बन कर जीवन में चुभते हुए ..... उसकी असफलता के कारण बनते हैं....!
और....
भगवान भोलेनाथ के हाथ में त्रिशूल का संकेत है कि..... महादेव इन तीन गुणों पर नियंत्रण रखते है...!
साथ ही ..... त्रिशूल के माध्यम से मनुष्यों के लिए ये सन्देश है कि..... रज, तम और सत्व गुणों में संतुलन एवं सही समायोजन द्वारा ही व्यक्तिगत जीवन के साथ साथ .... मनुष्य सांसारिक जीवन में भी.... सुखी , समृद्ध एवं प्रसन्नचित रह सकता है....
अन्यथा....
उसका जीवन कलहपूर्ण, कटु एवं असफलताओ से भरा हो जायेगा...!
तथा...
भगवान भोलेनाथ के गले में लिपटा ""तीन चक्र"" सांप ........ भूत, भविष्य एवं वर्तमान का प्रतिनिधित्व करता है....
साथ ही..... गले में आभूषण की तरह सुशोभित ..... महाविषधर ""बासुकी नाग"" .. इस बात का संकेत देता है कि..... महादेव जीवन -मृत्यु के बंधन से ऊपर..... ""कालजयी"" हैं....!!
इसीलिए
उन्हें ..... देवों के देव महादेव .... एवं, कालों के काल ""महाकाल"" भी कहा जाता है...!
जय महाकाल...!!!
No comments:
Post a Comment