क्या आप जानते हैं कि..... नराधम नरपिशाच जेहादी गोरी
द्वारा .... छलपूर्वक पृथ्वीराज चौहान की हत्या के बाद क्या हुआ था...?????
दरअसल.... जब
नराधम जेहादी गोरी ...... हमारे हिंदुस्तान में जिहाद फैलाकर एवं लूट-खसोट कर
.....जब वह अपने वतन गजनी गया तो..... वो अपने साथ बहुत सारी हिन्दू लड़कियों और
महिलाओं के साथ-साथ......... बेला और कल्याणी को भी ले गया था...!
असल में .....
बेला हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की बेटी और कल्याणी जयचंद की पौत्री थी....!
ध्यान देने की
बात है कि..... जहाँ पृथ्वीराज चौहान महान देशभक्त थे.... वहीँ जयचंद ने देश के
साथ गद्दारी की थी... लेकिन , उसकी पौत्री
कल्याणी एक महान राष्ट्रभक्त थी।
खैर....
जब वो जेहादी
गोरी अपने गजनी पहुंचा तो..... उसके गुरु ने "काजी निजामुल्क" ने उसका
भरपूर स्वागत किया ....
और, उससे कहा कि....
आओ गौरी आओ......
हमें तुम पर नाज है कि .....तुमने हिन्दुस्तान पर फतह करके इस्लाम का नाम रोशन
किया है...!
कहो.... सोने की
चिड़िया हिन्दुस्तान के कितने पर कतर कर लाए हो....???’’
इस पर जेहादी
गोरी ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा कि.....
‘‘काजी साहब! मैं
हिन्दुस्तान से सत्तर करोड़ दिरहम मूल्य के सोने के सिक्के, पचास लाख चार सौ मन सोना और चांदी, इसके अतिरिक्त मूल्यवान आभूषणों, मोतियों, हीरा, पन्ना, जरीदार वस्त्र और
ढाके की मल-मल की लूट-खसोट कर भारत से गजनी की सेवा में लाया हूं।’’
काजी :‘‘बहुत अच्छा! लेकिन वहां के लोगों को कुछ दीन-ईमान का पाठ
पढ़ाया या नहीं?’’
गोरी :‘‘बहुत से लोग
इस्लाम में दीक्षित हो गए हैं।’’
काजी : ‘‘और बंदियों का क्या किया?’’
गोरी : ‘‘बंदियों को गुलाम
बनाकर गजनी लाया गया है और, अब तो गजनी में बंदियों की सार्वजनिक बिक्री की जा
रही है।
रौननाहर, इराक, खुरासान आदि
देशों के व्यापारी गजनी से गुलामों को खरीदकर ले जा रहे हैं।
एक-एक गुलाम
दो-दो या तीन-तीन दिरहम में बिक रहा है।’’
काजी : ‘‘हिन्दुस्तान के मंदिरों का क्या किया?’’
गोरी : ‘‘मंदिरों को लूटकर
17000 हजार सोने और चांदी की मूर्तियां लायी गयी हैं, दो हजार से अधिक कीमती पत्थरों की मूर्तियां और शिवलिंग भी
लाए गये हैं और
बहुत से पूजा स्थलों को नेप्था और आग से जलाकर जमीदोज कर
दिया गया है।’’
‘‘ये तो तुमने बहुत
ही रहमत का काम किया है!’’
फिर मंद-मंद
मुस्कान के साथ बड़बड़ाया ..... ‘‘गोर और
काले.....धनी और निर्धन...... गुलाम बनने के प्रसंग में सभी भारतीय एक हो गये हैं।
जो भारत में
प्रतिष्ठित समझे जाते थे, आज वे गजनी में मामूली दुकानदारों के गुलाम बने हुए
हैं।’’
फिर थोड़ा रुककर
कहा : ‘‘लेकिन हमारे लिए कोई खास तोहफा लाए हो या नहीं?’’
गोरी : ‘‘लाया हूं ना काजी
साहब!’’
काजी :‘‘क्या...???’’
गोरी :‘‘जन्नत की हूरों
से भी सुंदर जयचंद की पौत्री कल्याणी और पृथ्वीराज चौहान की पुत्री बेला।’’
काजी :‘‘तो फिर देर किस बात की है..???’’
गोरी :‘‘बस आपके इशारे भर
की।’’
काजी :‘‘माशा अल्लाह! आज ही खिला दो ना हमारे हरम में नये गुल।’’
गोरी :‘‘ईंशा अल्लाह!’’
और
......तत्पश्चात्, काजी की इजाजत पाते ही शाहबुद्दीन गौरी ने कल्याणी और
बेला को काजी के हरम में पहुंचा दिया।
जहाँ
.....कल्याणी और बेला की अदभुत सुंदरता को देखकर काजी अचम्भे में आ गया .....और, उसे लगा कि स्वर्ग से अप्सराएं आ गयी हैं।
तथा, उस काजी ने उसने दोनों राजकुमारियों से विवाह का प्रस्ताव
रखा तो
बेला बोली-‘‘काजी साहब! आपकी बेगमें बनना तो हमारी खुशकिस्मती होगी, लेकिन हमारी दो शर्तें हैं!’’
काजी :‘‘कहो..कहो.. क्या शर्तें हैं तुम्हारी! तुम जैसी हूरों के
लिए तो मैं कोई भी शर्त मानने के लिए तैयार हूं।
बेला : ‘‘पहली शर्त से तो यह है कि शादी होने तक हमें अपवित्र न किया
जाए..... क्या आपको मंजूर है..?????’’
काजी : ‘‘हमें मंजूर है!
दूसरी शर्त का बखान करो।’’
बेला : ‘‘हमारे यहां प्रथा है कि .....लड़की के लिए लड़का और लड़के लिए
लड़की के यहां से विवाह के कपड़े आते हैं।
अतः , दूल्हे का जोड़ा और जोड़े की रकम हम भारत भूमि से मंगवाना
चाहती हैं।’’
काजी :‘‘मुझे तुम्हारी दोनों शर्तें मंजूर हैं।’’
और फिर..........
बेला और कल्याणी ने कविचंद के नाम एक रहस्यमयी खत लिखकर भारत भूमि से शादी का जोड़ा
मंगवा लिया.... और, काजी के साथ उनके निकाह का दिन
निश्चित हो गया....... साथ ही , रहमत झील के किनारे बनाये गए नए महल में विवाह की तैयारी
शुरू हुई।
निकाह के दिन
.... वो नराधम काजी ....कवि चंद द्वारा भेजे गये कपड़े पहनकर काजी साहब विवाह मंडप
में आया...... और, कल्याणी और बेला ने भी काजी द्वारा दिये गये कपड़े
पहन रखे थे।
इस निकाह के बारे
में सबको इतनी उत्सुकता हो गई थी कि.....शादी को देखने के लिए बाहर जनता की भीड़
इकट्ठी हो गयी थी।
लेकिन तभी
.........बेला ने काजी साहब से कहा-‘‘हमारे होने वाले
सरताज , हम कलमा और निकाह पढ़ने से पहले जनता को झरोखे से
दर्शन देना चाहती हैं, क्योंकि विवाह से
पहले जनता को दर्शन देने की हमारे यहां प्रथा है .....और ,फिर गजनी वालों को भी तो पता चले कि... आप बुढ़ापे में जन्नत
की सबसे सुंदर हूरों से शादी रचा रहे हैं।
और, शादी के बाद तो हमें जीवनभर बुरका पहनना ही है, तब हमारी सुंदरता का होना ....न के बराबर ही होगा....
क्योंकि... नकाब में छिपी हुई सुंदरता भला तब किस काम
की।’’
‘‘हां..हां..क्यों
नहीं।’’
काजी ने उत्तर
दिया और कल्याणी और बेला के साथ राजमहल के कंगूरे पर गया, लेकिन वहां पहुंचते-पहुंचते ही उस ""नराधम
जेहादी"" काजी के दाहिने कंधे से आग की लपटें निकलने लगी, क्योंकि क्योंकि कविचंद ने बेला और कल्याणी का रहस्यमयी
पत्र समझकर बड़े तीक्ष्ण विष में सने हुए कपड़े भेजे थे।
इस तरह .... वो
""नराधम जेहादी"" काजी विष की ज्वाला से पागलों की तरह
इधर-उधर भागने लगा,
तब बेला ने उससे
कहा-‘‘तुमने ही गौरी को भारत पर आक्रमण करने के लिए उकसाया
था ना..... इसीलिए ,हमने तुझे मारने का षड्यंत्र रचकर अपने देश को लूटने
का बदला ले लिया है।
हम हिन्दू
कुमारियां हैं .......और, किसी नराधम में इतनी साहस नहीं है कि वो..... जीते जी
हमारे शरीर को हाथ भी लगा दे।’’
कल्याणी ने कहा, ‘‘नालायक.....! बहुत मजहबी बनते हो, और जेहाद का ढोल पीटने के नाम पर लोगों को लूटते हो और
शांति से रहने वाले
लोगों पर जुल्म ढाहते हो,
थू! धिक्कार है
तुम पर।’’
इतना
कहकर........उन दोनों बालिकाओं ने महल की छत के बिल्कुल किनारे खड़ी होकर एक-दूसरी
की छाती में विष बुझी कटार जोर से भोंक दी और उनके प्राणहीन देह उस उंची छत से
नीचे लुढ़क गये।
वही दूसरी तरफ
..... उस विष के प्रभाव से ""नराधम जेहादी"" काजी ......
पागलों की तरह इधर-उधर भागता हुआ भी तड़प-तड़प कुत्ते की मौत मर गया।
इस तरह..... भारत
की इन दोनों बहादुर बेटियों ने विदेशी धरती पराधीन रहते हुए भी बलिदान की जिस गाथा
का निर्माण किया, वह सराहने
योग्य है ........ और, आज सारा भारत इन
बेटियों के बलिदान को श्रद्धा के साथ याद करता है...।
नमन है ऐसी
हिन्दू वीरांगनाओं को.....
आज के परिदृश्य
में जबकि लवजिहाद अपने चरम पर है......
अगर कुछेक सौ भी
...... हमारी हिन्दू युवतियां..... उन लव जेहादियों के सम्मुख समर्पण करने की जगह
...... बेला और कल्याणी सरीखे ही हिम्मत और साहस से काम लेते हुए .... उन जेहादियों को सबक सिखा दें तो....
फिर , मुल्ले तो मुल्ले .... उनकी अल्लाह की भी हिम्मत नहीं पड़ेगी
..... हमारी हिन्दू युवतियों की ओर बुरी नजर डालने की.....
जय महाकाल...!!!
Jay Rajputana Jay ho
ReplyDeleteसिंह नी महेरबानी थी बकरी जंगल मा चरती होय
ReplyDeleteऐंनो मतलब ये नथी के बकरी नी आखी जमात जंगल ने पोताना बापनो बगीचो समजी बेसे
दुनिया वालो शेर का दिमाग़ फिरे उससे पहले सुधार जाओ
राजपूत शांत तो
श्री राम
राजपूत सटका तो
पृथ्वीराज चौहान
राजपूत बिगड़ा तो
महाराणा प्रताप
"Rajput Ekta"
|| Run For Rajput Unity || @gohilpratap
Y
ReplyDelete