सोमनाथ
मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती १२ ज्योतिर्लिंगों में होती है ।
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में
कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था । इसका उल्लेख ऋग्वेद में
भी मिलता है । इसे अब तक बहुत बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण
किया गया ।श्री सोमनाथ के इस वैभवसंपन्न पवित्र स्थान पर क्रूर एवं आत्याचारी मुसलामान साशको ने कई बार आक्रमण किये
• सोमनाथ
का प्रथम मंदिर आदिकाल का माना जाता है जिसे चन्द्र देव ने देव काल में निर्मित
करवाया था.
• आदि
मंदिर के क्षीण हो जाने पर द्वितीय मंदिर वल्लभी गुजरात के यादव राजाओं द्वारा सन 649 में आदि मंदिर के ही स्थान पर
बनवाया गया.
• सन
725 में सिंध के अरबसूबेदार जुनामद ने
प्रथम आक्रमण कर अनगिनत खज़ाना लूटा.
• सन
815 में गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट
नेतीसरा मंदिर बनवाया जिस पर आक्रमण करके गजनी के महमूद ने शुक्रवार दिनांक11 मई 1025 को सुबह 9.46 पर मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग
को तोड़ डाला. इस दिन उसने 18 करोड़
का खज़ाना लूटा था.
• सन
1297 में इस मंदिर को एक बार फिर
सुलतान अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने लूटा, खसोटा
और ध्वस्त किया.
• 1375 में
गुजरात के सुल्तान मुज़फ्फर शाह ने इस मंदिर को फिर ध्वस्त किया.
• 1451 में
मंदिर एक बारफिर महमूद बेगडा के द्वारा ध्वस्त किया गया.
• अंत
में 1701
में इस मंदिर को मुग़ल
शासक औरंगजेब के द्वारा ध्वस्तकिया गया एवं लूटा गया.
वर्तमान
मंदिर सन 1947
में लौह पुरुष सरदार
वल्लभ भाई पटेल के अथक प्रयासों से भारत सरकार के सहयोग से निर्मित किया गया, तथा इसके ज्योतिर्लिंग की प्राण
प्रतिष्ठा दिनांक 11 मई
सन 1951
को सुबह 9.46 पर की गई. गौरतलब है की यह वही
दिनांक तथा समय है जब सन 1025 में
महमूद गजनवी ने इस ज्योतिर्लिंग को तोडा था .
No comments:
Post a Comment