Tuesday, 27 January 2015

मुसलमान उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की देशद्रोही करतूत




ईस्लाम खतरे में आ जाता इसलिए मिडिया ने तैयार कर लिया ‪‎फर्जी प्रोटोकोल

(कल से मुल्लों के कई पैरोकार भी गला फाड़ फाड़ कर प्रोटोकोल-प्रोटोकोल चिल्ला रहे हैं वो मुल्लों के पैरोकार भी अपने आँख-कान और सब कुछ खोल कर पढ़ लें)

दिसम्बर 2012 में जस्टिस मार्कंडेय काट्जू ने 90 प्रतिशत भारतीयों को मूर्ख बताया था..... और हमारी मिडिया ने इस बात को प्रमाणित कर दिया कि वो जैसे चाहें जनता को मूर्ख बना सकते हैं...... यही काम बेहद सफाई से कल से हमारी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष मिडिया कर रही है क्योंकि मामला उनकी शांतिप्रिय कौम का जो है........

हमारी मिडिया हामिद अंसारी के मामले में कल से प्रोटोकोल की दुहाई देते हुए हामिद अंसारी के बचाव में उतरी हुई है..... क्योंकि उन्हें लगता है कि भारतीय जनता है ये मिस कॉल, रिसीव कॉल के अलावा तो कुछ जानती नहीं इसलिए कैसे भी इन्हें काठ का उल्लू बनाकर बैठा दो ये बैठ जायेंगे......

पहले ठीक से जान लेते हैं कि प्रोटोकोल कहता क्या है......

सबसे पहली बात कि जिस मंच पर कल हामिद अंसारी विराजमान थे उसे "सलामी-मंच" कहा जाता है.... प्रोटोकाल के तहत जब राष्ट्रगान बजता है, तब "प्रमुख हस्तियों" व सैन्य अफसरों को सलामी देनी होती है..... और ये बात ठीक इन्हीं शब्दों में कल उप राष्ट्रपति के संयुक्त सचिव व ओएसडी गुरदीप सप्पल ने भी कही है......

तो क्या उप-राष्ट्रपति स्वयं को प्रमुख हस्ती नहीं मानते.....???? अगर हामिद अंसारी स्वयं को प्रमुख हस्ती मानते ही नहीं तो मंच पर आये ही क्यों.... और जब आये ही थे तो कुछ देर के लिए हाँथ अपने पिछवाड़े से हटा भी सकते थे.... जबकि उस समय पूरे विश्व की नजर उसी मंच पर थी....

आगे की पंक्तियों में गुरदीप ने ये भी कह दिया कि उप-राष्ट्रपति को सावधान की मुद्रा में खड़ा होना होता है..... चलो मान लिया कि सावधान की मुद्रा में खड़ा होना होता है पर अंसारी साहब जिस मुद्रा में खड़े थे वो सावधान की मुद्रा भी नहीं थी.... वो विश्राम की मुद्रा थी..... और अगर उस टाइम अंसारी साहब सावधान की मुद्रा में भी खड़े हो जाते तो भी गलती से तिरंगे का सम्मान हो जाता और तिरंगे का सम्मान हो जाता तो उनका ईस्लाम खतरे में आ जाता.....


इसके बाद प्रोटोकोल की परिभाषा अपनी इच्छानुसार तैयार करने वाले लगे हाँथ इस बात पर भी प्रोटोकोल का कोई नियम तैयार करके बता दें कि हामिद अंसारी ने राम-लक्ष्मण (पात्र) को तिलक लगाने से मना क्यों किया था... और कोई ऑटो कॉल प्रोटोकोल मिल जाए तो हमें भी बता देना .



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