क्या आप जानते हैं कि महान सम्राट
विक्रमादित्य ने रोम के सम्राट जुलियस सीज़र को उज्जैन की
गलियों में बंदी बन्दा कर
पैदल घुमाया था ?
मोर्य वंश के
महान सम्राट चन्द्रगुप्त के पौत्र महान अशोक ने कलिंग युद्ध के पश्चात् बौद्ध धर्म
अपना लिया। अशोक अगर राजपाठ छोड़कर बौद्ध भिक्षु बनकर धर्म प्रचार में लगता तब वह
वास्तव में महान होता । परन्तु अशोक ने एक बौध सम्राट के रूप में लग भाग २० वर्ष
तक शासन
किया।
अहिंसा का पथ
अपनाते हुए उसने पूरे शासन तंत्र को बौद्ध धर्म के प्रचार व प्रसार में लगा दिया।
अत्यधिक अहिंसा के प्रसार से भारत की वीर भूमि बौद्ध भिक्षुओ व बौद्ध मठों का गढ़
बन गई थी।
उससे भी आगे जब
मोर्य वंश का नौवा अन्तिम सम्राट बृहदरथ मगध की गद्दी पर बैठा ,तब उस
समय तक आज का अफगानिस्तान, पंजाब व लगभग पूरा उत्तरी भारत बौद्ध
बन चुका था ।
पुष्यमित्र ने
जो वैदिक धर्म की पताका फहराई उसी के आधार को सम्राट विक्रमादित्य व आगे
चलकर
गुप्त साम्राज्य ने इस धर्म के ज्ञान को पूरे विश्व में फैलाया।
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