बच्चे जिद्दी नहीं होंगे अगर आप रखेंगे इन बातों का ध्यान
`छोटा परिवार, सुखी परिवार’, यह बात भले ही आज के संदर्भ में
फिट बैठे, लेकिन अकेले बच्चों की अपनी ढेरों समस्याएं भी
हैं। देखा जाए, तो सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे बच्चों की
परवरिश करने में उसकी मां की होती है। ऐसी मांएं बहुत ही ज्यादा तनाव में रहती
हैं। अगर वो कामकाजी है, तो उनकी समस्या और भी गंभीर हो
जाती है।
बातें करें
बच्चा अकेला हो, तो सबसे पहले मां को इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनका
लाडला/ लाडली अन्तर्मुखी न बने। इसलिए जब बच्चा बोलने लगे, तभी से उसके साथ
खूब बातें करें। उसके हर सवाल का जवाब दें, क्योंकि छोटे बच्चे हर बात में क्यों, कैसे, क्या होगा और कई
बार तुलनात्मक सवाल भी कर देते हैं।
यह भी ध्यान रखें कि बच्चा जब तक संतुष्ट नहीं होगा, वह आपको परेशान
करेगा। अत: आप अपने बच्चे को सही और तर्कसंगत जवाब दें।
उससे उसके स्कूल की बातें करें, उसके दोस्तों के
बारे में पूछें। साथ ही अपनी भी कुछ बातें उसे बताएं। बच्चे को सकारात्मक बातों की
तरफ प्रेरित करें। इससे आगे चलकर बच्चा आपसे अपनी बातें शेयर भी कर पाएगा और उसे
अकेलेपन का अहसास भी नहीं होगा और न ही वह बार-बार आपको परेशान करेगा।
जिद्दी न बनने दें
आमतौर पर मांएं परेशानियों से बचने के लिए या खुद को बच्चों
के साथ माथा-पच्ची न करना पड़े, घर या ऑफिस के काम में कोई रुकावट न हो, इसके लिए बच्चे
की हर मांग पूरी कर देती हैं। लेकिन कुछ ही समय बाद किसी भी चीज के लिए जिद करना
बच्चे की आदत बन जाती है।
ऐसी परेशानी से बचने के लिए मांओं को चाहिए कि बच्चा जो
मांग रहा है, वह उसके लिए सही
है या नहीं, इस बात से बच्चे
को अवगत कराएं, वह भी तर्क के
साथ। घर-ऑफिस के काम की अपनी प्राथमिकताएं हैं, पर आपका बच्चा और उससे संबंधित बात या काम आपकी पहली
प्राथमिकता होनी चाहिए।
समय रहते अगर बच्चे को सही-गलत का अहसास न कराया गया, तो यही बच्चा आगे
चलकर अपनी मांग पूरी करने के लिए खुद भी गलत रास्ते पर जा सकता है या आपको भी
ब्लैकमेल कर सकता है।
सकारात्मक कार्य कराएं
बच्चा चंचल होता है, अकेले में या अकेलेपन में उसका दिमाग गलत कामों में या
नकारात्मक बातों में उलझेगा, जो मां के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। ऐसे में बच्चे को
कभी भी अकेला न छोड़ें।
स्कूल के बाद उसे किसी एक्टिविटी से जोड़ें, इससे बच्चा कुछ
सीखेगा भी। बच्चे को छोटे–छोटे कामों में
भी लगा सकती हैं। इससे बच्चे को काम करने की भी आदत लगेगी, जो आगे चलकर उनके
हित में ही होगा।
लेकिन अपने बच्चे को उसी काम में लगाएं, जिसमें उसकी रुचि
हो, अन्यथा बच्चा
आपके लिए दोगुनी परेशानी खड़ी कर सकता है। अकेले बच्चे की मां यदि धैर्य और चातुर्य
से काम ले, तो न सिर्फ वो
परेशानियों से बच सकती है,
बल्कि उस बच्चे
की परवरिश भी अच्छी होगी।
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