Sunday, 1 November 2015

गौ-हत्या पर वेदो का अनालिसिस ..!!


1. यः पौरुषेयेण क्रविषा समङ्क्ते यो अश्व्येन पशुना यातुधानः|
यो अघ्न्याया भरति क्षीरमग्ने तेषां शीर्षाणि हरसापि वृश्च||
(~अथर्ववेद 8.3.15/ ऋग्वेद 10.87.16)
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अर्थात "जो मनुष्य, घोड़े या अन्य पशुओं जैसे गाय के मांस को खाता है तथा दूध देने वाली कभी न मारने योग्य अघ्न्या गायों के दूध को हर लेता है और प्राणियों को उसके दूध से वंचित करता है, राजा तलवार के तेज प्रहार से उनके सरों को काट दे|"
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2. यदि नो गां हंसि यद्यश्वं यदि पुरुषम्|
त्वं त्वा सीसेन विध्यामो यथा नो असो अवीरहा|| 
(~अथर्ववेद 1.16.4) 
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अर्थात "हे शत्रु! जो तू हमारी गाय को मारेगा, घोड़े को मारेगा और मनुष्य को मारेगा तो हम तुझे सीसे की गोलियों से ही बेध देंगे ताकि तू हमारे वीरों को न मार पाए|"
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3. अक्षराजाय कितवं कृतायादिनवदर्शं त्रेतायै कल्पिनं द्वापरायाधिकल्पिनमास्कन्दाय स्भास्थाणुम् मृत्यवे गोव्यच्छमन्तकाय गोघातं क्षुधे यो गां विकृन्तन्तं भिक्षमाणउप तिष्ठति दुष्कृताय चरकाचार्यं पाप्मने सैलगम||
(~यजुर्वेद 30.18)
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अर्थात "पासों से खेलने वाले जुआरियों के बीच राजा चतुर पुरुष को नियुक्त करे| राष्ट्र के रसों (करों) को कार्य व्यवस्था के लिए लेने के लिए मुख्य पदाधिकारी को नियुक्त करे | गौ आदि कल्याणकारी पशुओं पर कष्टदायी चेष्टा करने वाले को मृत्युदंड दे दो| गौ को मारने वाले पुरुष को अंत कर देने वाले जल्लाद के हाथ सौंप दो| जो अन्न की भीख मांगता हुआ प्रजाजन उपस्थित हो तो उसकी भूख की निवृत्ति के लिए कृषक को नियुक्त करो| भोज्य पदार्थों के उपर आचार्य को नियुक्त करो जो पुष्टिकारक भोजन का उपदेश करे और बुरे भोजन की हानियाँ बताता रहे, इससे लोग बुरे आचार-व्यवहार को छोडकर उत्तम आहार-विहार करना सीख जाएँगे| पाप कार्य को रोकने के लिए दुष्ट पुरुषों के संतानों, शिष्यों तथा साथियों को भी दण्डित करो|"



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