द्वारका-शारदा, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी
स्वरूपानंद सरस्वती ने सोमवार को काशी में साईं बाबा को पाखंडी बताकर पुराने पड़
चुके विवाद को फिर से हवा दे दी। उन्होंने दावा किया कि साईं मुसलमान थे और फातिहा
पढ़े बिना रोटी नहीं खाते थे लेकिन उनके नाम और हिंदू देवी-देवताओं के चित्रों की
आड़ लेकर साईं ट्रस्ट ने अरबों रुपये जुटाए हैं।
कहा
कि पाखंड से जुटाई गई इस रकम को महाराष्ट्र के लातूर में उपजी पेयजल समस्या दूर
करने के लिए खर्च किया जाना चाहिए। उन्होंने उत्तराखंड में गंगा पर बनने वाले
बांधों की परियोजना निरस्त करने, गीता
को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने, विद्यालयों
में गीता पढ़ाने और नारी उत्पीड़न रोकने जैसे मुद्दे भी उठाए।
केदार
घाट स्थित श्रीविद्या मठ में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में शंकराचार्य का
एजेंडा राम मंदिर निर्माण,
गीता, गंगा, घर वापसी के साथ ही गोरक्षा का था।
उन्होंने दुष्कर्म की घटनाओं की वजह नशाखोरी को बताया।
अयोध्या
रामलला की, बाबर वहां गया नहीं
कहा कि केंद्र सरकार को शराब बंदी के
लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ते
समय कहा था कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है...। अब उन्हें गंगा की अविरलता के लिए
उत्तराखंड में प्रस्तावित बांध परियोजनाओं को तत्काल निरस्त कर देना चाहिए।
शंकराचार्य ने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने और स्कूलों में इस ग्रंथ को
पढ़ाने की वकालत की।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर
निर्माण के सवाल पर कहा कि इस एजेंडे को केंद्र सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा
सकता। अयोध्या रामलला की है। कहा कि जब बाबर कभी अयोध्या गया ही नहीं, तो वहां बाबरी मसजिद कैसे बन गई।
वहां बाबर ने कोई मसजिद नहीं बनवाई थी। वहां जमीन का
एक टुकड़ा भी मुसलमानों को नहीं दिया जा सकता। जिस टुकड़े को देने की बात हो रही
है, उसके खिलाफ मैं सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका हूं।
रामालय ट्रस्ट वहां कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तर्ज पर राम मंदिर का निर्माण
कराएगा।
उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मसजिद की दीवार पर गणेश
और नंदी के दर्शन होते हैं। आगरा का ताजमहल हो या अजमेर के ख्वाजा की दरगाह,
वहां भी शिवलिंग मौजूद हैं। इससे साबित होता है कि ये तीर्थ हिंदुओं
के ही हैं।
http://www.amarujala.com/feature/samachar/national/shankaracharya-swaroopanand-attack-on-sai-hindi-news/
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