श्रीमद्भगवद्गीता
में भगवान श्रीकृष्ण ने पीपल को स्वयं का स्वरूप बताया है। इसी वजह से मान्यता है
कि पीपल की पूजा से दरिद्रता दूर होती है, सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। नियमित
रूप से विशेष शुभ मुहूर्त में पीपल की पूजा करनी चाहिए। यहां जानिए पीपल के पूजन की
सामान्य विधि…
जिस दिन
पीपल का पूजन करना है, उस दिन
सूर्योदय के पहले जागकर स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद सफेद
कपड़े पहनकर किसी ऐसे स्थान पर जाएं जहां पीपल स्थित हो। पीपल की जड़ में गाय का
दूध, तिल और
चंदन मिला हुआ पवित्र जल अर्पित करें।
जल अर्पित
करने के बाद जनेऊ फूल व प्रसाद चढ़ाएं। धूप-बत्ती व दीप जलाएं। आसन पर बैठकर या
खड़े होकर मंत्र जप करें या इष्ट देवी-देवताओं का स्मरण करें।
मंत्र- मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो
विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।। आयु: प्रजां धनं धान्यं
सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
- मंत्र
जपने के बाद आरती करें। प्रसाद ग्रहण करें। पीपल की जड़ में अर्पित थोड़ा सा जल घर
में लाकर छिड़कें।
इस प्रकार
पीपल की पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
पीपल के कुछ और उपाय
1. ज्योतिष में बताया गया है कि पीपल का
एक पौधा लगाने और उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति की कुंडली के सभी ग्रह दोष शांत
हो जाते हैं। जैसे-जैसे यह वृक्ष बड़ा होगा आपके घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती
जाएगी।
2. यदि कोई व्यक्ति किसी पीपल के नीचे
शिवलिंग स्थापित करता है और नियमित रूप से उस शिवलिंग का पूजन करता है तो समस्याएं
समाप्त हो सकती हैं। इस उपाय से बुरा समय धीरे-धीरे दूर हो सकता है।
3. शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती और ढय्या के बुरे
प्रभावों को दूर करने के लिए प्रति शनिवार पीपल पर जल चढ़ाकर सात परिक्रमा करनी
चाहिए।
4. शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक
लगाना चाहिए।
5. कलयुग में हनुमानजी शीघ्र प्रसन्न होने
वाले देवता माने गए हैं। यदि पीपल के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो
यह उपाय शुभ फल प्रदान करने वाला है।
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