एक
कंपनी है - नेस्ले , नेस्ले बेबी पावडर (डब्बे का दूध)
बेचती है | यूरोप के देशों में बेबी पावडर बिकता
नहीं, यूरोप के देशों में बेबी पावडर को बेबी
किलर कहते हैं |
.
यूरोप
के कई देशों में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगे रहते हैं और सरकार की तरफ से उन
होर्डिंगों पर प्रचार किया जाता है कि "आप अपने बच्चे को बेबी पावडर मत
खिलाईये" | क्यों ? क्योंकि इसमें जहर है, तो
पुरे यूरोप में ये जो बेबी पावडर "बेबी किलर" कहा जाता है वही बेबी पावडर
धड़ल्ले से भारत के बाजार में बिक रहा है और बहुत वर्षों तक इस देश में जो बेबी
पावडर बिकता था, उसके डब्बे पर कुछ भी लिखा नहीं होता
था,
.
जब
कुछ अच्छे लोगों ने इस मुद्दे को उठाया, कुछ
डोक्टरों ने संसद पर दबाव बनाया तब भारत की सरकार ने सिर्फ इतना सा संसोधन कर दिया
कि "कंपनियों को बेबी पावडर के डब्बे पर ये लिखना आवश्यक होगा कि माँ का दूध
बच्चे के लिए सर्वोत्तम है", बस
बात ख़त्म | होता ये कि भारत सरकार इन डब्बे के दूध
को भारत में प्रतिबंधित कर देती, लेकिन
नहीं |
.
और
भारत की पढ़ी-लिखी माताओं की हालत भी कुछ वैसी ही है, जो जितनी ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं वो उतना
ही ज्यादा बेबी पावडर पिलाती हैं अपने बच्चों को | कभी-कभी लगता है कि जैसे भारत में जब से बेबी पावडर आया है तभी से
बच्चे जवान हो रहे हैं, बिना बेबी पावडर के तो लोग बड़े ही
नहीं हुए होंगे इस देश में ?
.
चंद्र
शेखर आजाद ,भगत सिंह ,उधम सिंह,महाराणा प्रताप ,शिवाजी लाखो क्रांतिकारी क्या सब बेबी
पावडर पीकर फांसी पर चढ़े ?
कुछ ऐसा ही माहौल बनाया गया है इस देश
में पिछले कुछ वर्षों से,
और विरोधाभास क्या है इस देश में कि
बाजार में बेबी पावडर भी बिक रहा है और "माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम
है" इस विषय पर सेमिनार भी आयोजित किये जाते हैं, करोड़ो रूपये खर्च कर के |
.
सीधा
ये नहीं करते कि बेबी पावडर को प्रतिबंधित कर दे इस देश में | जिनको समझना चाहिए कि "माँ का दूध
बच्चे के लिए सर्वोत्तम है" वो सेमिनार में आते नहीं और जिनको ये समझ है वो
कोई कैम्पेन चलाते नहीं, ये इस देश का दुर्भाग्य है |
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