1. वफादारी के मामले में
चेतक की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घोड़ों में की गई है। हल्दीघाटी युद्ध में
महाराणाप्रताप का अनूठा सहयोगी था वह। दोनों का साथ चार साल तक रहा।
2. हल्दीघाटी युद्ध में
चेतक, अकबर
के सेनापति मानसिंह के हाथी के मस्तक की उंचाई तक तक बाज की तरह उछल गया था। फिर
महाराणाप्रताप ने मानसिंह पर वार किया था।
3. जब मुगल सेना
महाराणाप्रताप के पीछे लगी थी, तब चेतक उन्हें अपनी
पीठ पर लादकर 26 फीट लंबे नाले को लांघ गया, जिसे मुगल फौज का कोई
घुड़सवार पार न कर सका...!!!
4. महाराणाप्रताप के साथ
युद्ध में घायल चेतक को वीरगति मिली थी। वह अरबी नस्ल वाला नीले रंग का घोड़ा था।
राजस्थान में लोग उसे आज भी उसी सम्मान से याद करते हैं, जो सम्मान वे महाराणा
को देते हैं।
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वीरगति
के बाद महाराणाप्रताप ने स्वयं चेतक का अंतिम संस्कार किया था। हल्दीघाटी में उसकी
समाधि है। मेवाड़ में लोग चेतक की बाहादुरी के लोकगीत गाते हैं।
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