कट्टर हिंदू नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले प्रवीण
तोगड़िया ने मध्य प्रदेश के इंदौर में जब प्रेस के सामने बोलना शुरू किया तो वो भूल
गए कि वो एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं।
उन्होंने आग जैसी भाषा का इस्तेमाल किया, जहरीले बोल
बोले और नफरत फैलाने वाली बातें कहीं। उन्होंने नहीं सोचा कि उनकी ये बातें सांप्रदायिकता
भड़का सकती हैं।
तोगड़िया ने देशभर के मुसलमानों को चेतावनी देने वाले
अंदाज में पूछा कि,"गुजरात भूल गए लेकिन मुजफ्फरनगर तो याद होगा?"
उन्होंने कहा कि,"बहुसंख्यकों की सहनशीलता को कमजोरी
ना समझा जाए, हिंदू भी अपने हाथ में ईंट पत्थर उठा सकता है।"
तोगड़िया ने कहा कि,"अगर हनुमान की पूंछ जलेगी तो
लंका को जलना ही पड़ेगा।"
ये भी समझने की जरूरत है कि आखिर तोगड़िया ने ये बयान
किस संदर्भ में दिया। दरअसल उन्होंने हाल ही में हुई कश्मीर हिंसा के मामले में ये
बयान दिया।
हाल ही में अमरनाथ यात्रा के दौरान बवाल हुआ था। हिंसक
झड़पों में करीब 40 लोग घायल हैं। वहां स्थानीय खच्चरवालों और समुदायिक रसोईघर चलानेवालों
के बीच ये झड़प हुई थी।
प्रवीण तोगड़िया ने तो अपनी बात कह दी लेकिन उनके
इस बयान पर बवाल मच गया है। सोमवार को उन्होंने जयपुर में भी प्रेस कांफ्रेंस की और
अपने बयान को दोहराया।
बयान की निंदा हो रही है, आलोचना हो रही है, लोग कह रहे
हैं कि इस तरह के बयान ठीक नहीं लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है कि वह अपने बयान पर
कायम हैं।
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