जेहादी हुमायूँ के बेटे अकबर को हमारे इतिहास की किताबों तथा, टीवी सीरियलों में एक
बहुत ही नेक इंसान और भारत के एक बहुत महान शासक के रूप में प्रचारित किया जाता है ....
मानो कि.... अकबर ने हमारे भारत पर शासन कर हमें कृतार्थ कर दिया हो...!
परन्तु, यह जानकर आपके हैरानी की सीमा नहीं रहेगी कि..... भारत में वेश्यावृति का
परन्तु, यह जानकर आपके हैरानी की सीमा नहीं रहेगी कि..... भारत में वेश्यावृति का
सर्वाधिक प्रचार मुस्लिम खासकर अकबर शासनकाल में ही हुआ और....अकबर के समय
वेश्यावृति को बाकायदा राजकीय संरक्षण प्रदान था...!
सिर्फ इतना ही नहीं.... बल्कि, अकबर की खुद की भी एक बहुत बड़ी हरम थी, जिसमे उसने
सिर्फ इतना ही नहीं.... बल्कि, अकबर की खुद की भी एक बहुत बड़ी हरम थी, जिसमे उसने
बहुत सारी स्त्रियों को अपना रखैल बनाकर रखा हुआ था... जिन्हे वो जबरदस्ती अपहरण
करवा कर इकठ्ठा कर रखा हुआ था ...!
मुस्लिमों के अत्याचार से भयभीत होकर जब कोई सुन्दर स्त्री को आत्मदाह (सती) होने को
मुस्लिमों के अत्याचार से भयभीत होकर जब कोई सुन्दर स्त्री को आत्मदाह (सती) होने को
होती ... वह जाकर बलपूर्वक उसे आत्मदाह (सती) करने से रोकता और उस स्त्री को अपने
हरम में डाल देता |
इस कांड को उसके चमचे इतिहासकारों ने "आईने अकबरी" में कुछ इस तरह से लिखा है.....
इस कांड को उसके चमचे इतिहासकारों ने "आईने अकबरी" में कुछ इस तरह से लिखा है.....
बादशाह सलामत ने सती प्रथा का विरोध किया |
अकबर ने खुद कहा है – यदि मुझे पहले ही यह बुद्धिमता जागृत हो जाती तो मैं अपनी
सल्तनत की किसी भी स्त्री का अपहरण कर अपने हरम में नहीं लाता (आईने अकबरी, भाग
३, पृष्ठ ३७८ ) |
आईने अकबरी में लिखे इस बात से यह साफ़-साफ़ पता चलता है कि ....अकबर सुन्दर हिन्दू
आईने अकबरी में लिखे इस बात से यह साफ़-साफ़ पता चलता है कि ....अकबर सुन्दर हिन्दू
स्त्रियों का अपहरण करता था...!
और, जहाँ तक बात रह गयी .......‘मुझे पहले ही यह बुद्धिमता जागृत हो जाती’ की बात
और, जहाँ तक बात रह गयी .......‘मुझे पहले ही यह बुद्धिमता जागृत हो जाती’ की बात
तो..... यह सर्वथा लोगों को चूसिया बनाने वाली बात है ....क्योकि, न तो अकबर के ज़माने में
और न ही उसके उत्तराधिकारियों के ज़माने में हरम बंद हुई थी |
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि..... आईने अकबरी के पृष्ठ १५ पर बदायूँनी आगे कहता है कि.....
बेगमें, कुलीन, दरवारियो की बीबियाँ अथवा अन्य स्त्रियां ... जब कभी बादशाह की सेवा में
पेश होने की इच्छा करती हैं... तो , उन्हें पहले अपने इच्छा की सूचना देकर उत्तर की प्रतीक्षा
करनी पड़ती है... और, जिन्हें योग्य समझा जाता है , सिर्फ उन्ही स्त्री को हरम में प्रवेश की
अनुमति दी जाती है ...!
इस कथन से आप खुद ही सोच सकते हैं कि....... अकबर के चाटुकार कैसी इतिहास लिखा
इस कथन से आप खुद ही सोच सकते हैं कि....... अकबर के चाटुकार कैसी इतिहास लिखा
करते थे ..... क्योंकि...
प्रस्तुत उद्धरण का विश्लेषण करते हुए आप खुद भी कल्पना कर सकते हैं कि...... – प्रथमतः
प्रस्तुत उद्धरण का विश्लेषण करते हुए आप खुद भी कल्पना कर सकते हैं कि...... – प्रथमतः
कितनी विवाहित स्त्रियों ने अकबर के साथ हरम में रहकर भ्रष्ट होने एवं अकबर की लाखों
रखैलों में से एक बनने कि चेष्टा की होगी.... जबकि अकबर के हरम में पहले से ही असंख्य
औरते थी
....?????????
क्या इतिहासकार हम सभी को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि...... उस समय की
क्या इतिहासकार हम सभी को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि...... उस समय की
तत्कालीन हिन्दू स्त्रियां ......अकबर के हाथो अपना सर्वस्य भ्रष्ट करवाने में अपना सौभाग्य
समझती थी और अपने पतियों, पुत्रो, पुत्रियों एवं घरो को छोड़ने के लिए तैयार हो जाती
थी..???????
उस समय कि बात तो बहुत दूर है ..... बल्कि, यदि आज भी अगर हिन्दू औरत........ किसी
उस समय कि बात तो बहुत दूर है ..... बल्कि, यदि आज भी अगर हिन्दू औरत........ किसी
कटुए से विधिवत शादी भी कर ले तो.... काफी बवेला उठ सकता है |
तो क्या ..... क्या वे हिन्दू औरतें अपने युग से १००० वर्ष आगे थी....????????
और फिर...... उस कुरूप और चेचक से भरे दागों वाले अकबर के साथ सहवास से उनका ऐसा
क्या हो जाता था ????
अथवा .... अकबर के हरम में ऐसा क्या आकर्षण था कि .... हिन्दू औरतें स्वेच्छा से वहां चली
अथवा .... अकबर के हरम में ऐसा क्या आकर्षण था कि .... हिन्दू औरतें स्वेच्छा से वहां चली
जाती थी...?????????
असल में..... ये सारी बातें हिन्दुओं को अपमानित करने एवं अकबर को खुश करने के लिए
असल में..... ये सारी बातें हिन्दुओं को अपमानित करने एवं अकबर को खुश करने के लिए
उसकी चापलूसी में लिखी गई हैं ....!
हकीकत बात ये है है कि......जिन्हें "योग्य" समझा जाता था...... अर्थात, जिस स्त्री को
हकीकत बात ये है है कि......जिन्हें "योग्य" समझा जाता था...... अर्थात, जिस स्त्री को
अकबर काफी आकर्षक देखता था........ उसे, वो ..... अपने हरम में जबरदस्ती मंगवा लेता था...!
और तो और........... अकबर अपनी सैन्य शक्ति के बल पर....प्रजा को बाध्य करता था कि ....
और तो और........... अकबर अपनी सैन्य शक्ति के बल पर....प्रजा को बाध्य करता था कि ....
वह अपने पत्नियों, बेटियों और बहनों का सामूहिक नग्न प्रदर्शन आयोजित करे (कर्नल टाड
की किताब – ‘राजस्थान का इतिहास’ पेज २७४-२७५) |
इस सामूहिक प्रदर्शन का नाम....... अकबर ने....... "खुदारोज" (प्रमोद दिवस ) रखा था !
और, इस मेले के पीछे अकबर का एकमात्र उदेश्य सुन्दरियों को अपने हरम के लिए चुनना था !
सिर्फ इतना ही नहीं ... बल्कि, वो कालिया और चेचक से भरे दागों मुंह वाला जेहादी अकबर
इस सामूहिक प्रदर्शन का नाम....... अकबर ने....... "खुदारोज" (प्रमोद दिवस ) रखा था !
और, इस मेले के पीछे अकबर का एकमात्र उदेश्य सुन्दरियों को अपने हरम के लिए चुनना था !
सिर्फ इतना ही नहीं ... बल्कि, वो कालिया और चेचक से भरे दागों मुंह वाला जेहादी अकबर
.... इतना बड़ा एहसानफरामोश था कि.....उसके अभिभावक एवं संरक्षक बहराम खान
(जिसने हुमायूँ की मृत्यु के बाद अकबर की देखभाल की) को भी अकबर की कामुकता का
शिकार होना पड़ा, क्योकि अकबर की कामुक दृष्टी उसकी बीबी "सलीमा सुल्तान" बेगम पर थी |
वो जेहादी अकबर इतना बड़ा हैवान था कि ... मात्र १५ वर्षीय के उम्र में ही उसने ... अपने
संरक्षक और अभिभावक बहराम खान की परिणीता पत्नी " सलीमा सुल्तान" को अपने हरम
में लेने के लिए एक सर्वोच्च राजभक्त कर्मचारी के समस्त अधिकार छिनकर उसकी हत्या
करवाने का जघन्य अपराध किया और तुरंत बाद उसकी बीबी "सलीमा सुल्तान" ( ६ वर्षीय
पुत्र अब्दुल रहीम की माँ ) को अपनी रखैल बनाकर अपने हरम में ले लिया |
यह अकबर का चरम काम पिपासा एवं प्रेमोन्माद था |
हद तो ये थी कि..... इतनी रानियों और रखैलों के होते हुए भी उस नरपिशाच की कामपिपासा
यह अकबर का चरम काम पिपासा एवं प्रेमोन्माद था |
हद तो ये थी कि..... इतनी रानियों और रखैलों के होते हुए भी उस नरपिशाच की कामपिपासा
शांत नहीं हुई थी..... और..... वो जेहादी भेड़िया अकबर ...गोंडवाना की रानी दुर्गावती पर भी
बुरी नजर रखता था ....और, उसने रानी दुर्गावती को प्राप्त करने के लिए उसके राज्य
.गोंडवाना पर आक्रमण कर दिया !
इस पर उस राजपूतानी वीरांगना ""रानी दुर्गावती"" ने अकबर से बेहद बहादुरी से युद्ध किया ...
इस पर उस राजपूतानी वीरांगना ""रानी दुर्गावती"" ने अकबर से बेहद बहादुरी से युद्ध किया ...
परन्तु, युद्ध क्षेत्र में उस वीरांगना ने देखा कि ..... युद्ध में उसे मारने की नहीं वल्कि बंदी बनाने
की कोशिश की जा रही है.... तो , रानी दुर्गावती ने .....अपने मान सम्मान और इज्जत की
रक्षा हेतु "आत्म हत्या" कर ली .... जिससे उस युद्ध से अकबर को कुछ भी हासिल नहीं हुआ
.... फिर भी, अकबर ने अपनी क्षतिपूति के तौर पर....महारानी दुर्गावती की बहन और पुत्रवधू
को बलात अपने हरम में डाल दी ...!
क्योंकि..... उस जेहादी अकबर ने यह प्रथा चला रखी थी कि......... उसके पराजित शत्रु अपने
क्योंकि..... उस जेहादी अकबर ने यह प्रथा चला रखी थी कि......... उसके पराजित शत्रु अपने
परिवार एवं परिचारिका वर्ग में से चुनी हुई महिलाये ..... रखैल के तौर पर उसके हरम में भेजे ...!
उस जेहादी और मनहूस अकबर के बारे में .... इतना सब जानने के बाद , मै मध्यकालीन
उस जेहादी और मनहूस अकबर के बारे में .... इतना सब जानने के बाद , मै मध्यकालीन
भारतीय इतिहासकारों पूछना चाहता हूँ कि .....
ऐसे कामुक एवं पतित बादशाह..... को ""अकबर महान"" की संज्ञा क्यों दी जाती
ऐसे कामुक एवं पतित बादशाह..... को ""अकबर महान"" की संज्ञा क्यों दी जाती
है....????????
क्या , अब हमारे ही हिंदुस्तान में ""मुस्लिम तुष्टिकरण''' इस कदर हावी हो चुकी है कि......
क्या , अब हमारे ही हिंदुस्तान में ""मुस्लिम तुष्टिकरण''' इस कदर हावी हो चुकी है कि......
देश के बच्चों को भी गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है...??????
जागो हिन्दुओं.... और, सच्चाई को जानो.....!
क्योंकि... सच्चाई ही तुम्हारे अस्तित्व की रक्षा में सहायक होगा....!
जय महाकाल...!!!
जागो हिन्दुओं.... और, सच्चाई को जानो.....!
क्योंकि... सच्चाई ही तुम्हारे अस्तित्व की रक्षा में सहायक होगा....!
जय महाकाल...!!!
No comments:
Post a Comment