हर शनिवार और शनि अमावस्या के दिन हर छोटे बड़े मंदिरों में लोग शनि महाराज
को सरसों का तेल चढ़ाते हुए दिख जाएंगे। संभव है कि आपने भी कभी न कभी शनि महाराज
को सरसों का तेल चढ़ाया होगा।
शनि को तेल चढ़ाने के पीछे कथा यह है कि हनुमान जी ने शनि का अभिमान
दूर करने के लिए उन्हें अपनी पूंछ में लपेटकर दौड़ना शुरु कर दिया।
इससे शनि का शरीर लहूलुहान हो गया। कहते हैं कि शनि अर्पित करने से
शनि का कष्ट दूर होता है और तेल चढ़ाने वाले को शनि अपनी दशा में सताते नहीं हैं।
लेकिन एक मंदिर ऐसा हैं जहां कलियुग में शनि को तेल चढ़ाने की मनाही
की गई है।
मध्यप्रदेश
के इंदौर शहर में एक मंदिर है। इस मंदिर में कई देवी-देवताओं के साथ महाभारत और
रामयाण काल के असुरों की भी मूर्तियां है।
इस
मंदिर में एक बोर्ड पर शनि महाराज का संदेश लिखा हुआ है 'हे कलियुग वासियो तुम मुझ पर तेल
चढ़ाना छोड़ दो तो मैं तुम्हारा पीछा छोड़ दूंगा'
यानी
कलियुग में जब तक शनि महाराज को तेल अर्पित करते रहेंगे तब तक शनि महाराज आपको
सताना छोड़ेंगे नहीं। यहां शनि के प्रभाव से बचने का एक बहुत ही आसान तरीका बताया
गया है।
शनि
के प्रभाव से मुक्ति का आसान तरीका
इस
मंदिर के नियम के अनुसार श्रद्घालु को इस शर्त पर मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी
जाती है कि आप 108 बार राम नाम लिखेंगे।
नेता
हों या आम जनता। जो भी इस मंदिर में प्रवेश करता है उसे इस नियम का पालन करना होता
है। बिना राम नाम लिखे कोई भी मंदिर से बाहर नहीं आ सकता।
मंदिर
में शनि के संदेश में लिखा है कि '108
बार राम नाम लिखना शुरू कर दो तो मैं तुमको सारी विपत्तियों से मुक्त कर दूंगा।'
तुलसीदास
जी ने भी लिखा है 'कलियुग केवल नाम अधारा सुमिरि सुमिरि
नर उतरहिं पारा'। यानी कलियुग में राम नाम ही केवल
मुक्ति का आधार है।
मंदिर
में हैरान करती है यह बात
इस
मंदिर की एक और बड़ी खूबी है। यहां भगवान राम और हनुमान जी तो पूजे ही जाते हैं
लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इस मंदिर में रावण, कुंभकरण, मेघनाद और विभिषण की भी पूजा होती है।
मंदिर
में रामायाण के अन्य पात्र त्रिजटा, शबरी, कैकयी, मन्थरा और सूर्पणखा की भी मूर्ति है। भगवान के साथ लोग इनकी भी पूजा
करते हैं।
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