Monday 22 December 2014

शादी के समय अग्नि के चारों तरफ फेरे क्यों लिए जाते हैं ?

अग्नि के ही चारों ओर फेरे क्यों लगाए जाए जाते हैं?

हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में एक है विवाह संस्कार। इस संस्कार का एक नियम यह है कि जब वर-वधू विवाह मंडप में आते हैं तब पुरोहित ईश्वर को साक्षी मानकर वर-वधू का विवाह संपन्न करवाते हैं।

लेकिन विवाह तब तक संपन्न नहीं माना जाता है जब तक कि वर-वधू अग्नि के सामने सात फेरे लेकर सात वचन निभाने का वाद न कर लें।

लेकिन क्या आपके मन में यह सवाल नहीं उठता कि विवाह के समय अग्नि के ही चारों ओर फेरे क्यों लगाए जाए जाते हैं। अग्नि के बदले किसी और चीज को साक्षी मानकर क्यों फेरे नहीं लिए जाते हैं?


अग्नि के चारों तरफ फेरे लगाने के चार कारण

1. अग्नि को वेदों और शास्त्रों में प्रमुख देवता के रुप में स्थान मिला है। अग्नि को विष्णु का स्वरुप माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि अग्नि में सभी देवताओं की आत्मा बसती है, इसलिए अग्नि में हवन करने से हवन में डाली गई सामग्रियों का अंश सभी देवताओं तक पहुंच जाता है।

2. अग्नि के चारों तरह फेरे लगाकर सात वचन लेने से यह माना जाता है कि वर-वधू ने सभी देवताओं को साक्षी मानकर एक दूसरे को अपना जीवनसाथी स्वीकार किया है और विवाह की जिम्मेरियों को निभाने का वचन लिया है।

3. अग्नि के सामने फेरे लेना का तीसरा कारण यह भी है कि अग्नि को अशुद्घियों को दूर करके पवित्र करने वाला माना गया है। अग्नि के फेरे लेने से यह माना जाता है कि वर-वधू ने सभी प्रकार की अशुद्घियों को दूर करके शुद्घ भाव से एक दूसरे को स्वीकार किया है।

4. अग्नि के सामने सात वचन के सात फेरे लेने का तीसरा कारण यह है कि वर वधू ने अग्नि में मौजूद देवताओं को उपस्थित मानकर एक दूसरे को जीवनसाथी स्वीकार किया है। अगर वह अपने वैवाहिक जीवन के धर्म का पालन नहीं करते हैं तो अग्नि ही उन्हें दंड देगी।


बच्चों के मुंडन की परंपरा क्यों बनाई गई है .....???????


क्या आप जानते हैं कि.... हमारे हिन्दू सनातन धर्म में ...... बच्चों के मुंडन की परंपरा क्यों बनाई गई है .....???????

और सिर्फ .... बच्चे ही क्यों.... जन्म से लेकर मृत्यु तक के हमारे सोलह संस्कारों में भी....... मुंडन को हमारे हिन्दू धर्म में अनिवार्य माना गया है...!
यहाँ तक कि..... हम हिन्दू सनातन धर्मियों में..... बच्चों का मुंडन जितना अनिवार्य है ..... उतना ही अनिवार्य ..... किसी नजदीकी रिश्तेदार की मृत्यु के समय भी है ...!
और, इस तरह से...... मुंडन करवाना हम हिन्दुओं की एक पहचान है...!!

लेकिन, हम से अधिकतर हिन्दू ......... बिना कुछ जाने समझे .... इसे सिर्फ इसीलिए करते हैं क्योंकि.... हम बचपन से ही ऐसा देखते आये हैं....
और, चूँकि हमारे बाप-दादा भी ऐसा किया करते थे..... इसीलिए, हमलोग भी बस इसे एक ""आध्यात्मिक परंपरा"" के तौर पर इसे निभा देते हैं...!

लेकिन... यह जानकर हर किसी को बेहद हैरानी होगी कि.... मुंडन का आध्यात्म से कुछ लेना-देना नहीं है.....
बल्कि... यह एक शुद्ध विज्ञान है.... और, मुंडन संस्कार सीधे हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा है।

दरअसल.... जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो....... वो माँ के प्लीजेंटल फ्लूइड तैरता रहता है ....
तथा, बच्चे के जन्म लेने के बाद ... उसके शरीर में प्लीजेंटल फ्लूइड में मौजूद रसायन ... एवं , कीटाणु, बैक्टीरिया और जीवाणु लगे होते हैं......


जो, साधारण तरह से धोने पर शरीर से तो निकल जाते हैं..... परन्तु, बाल होने के कारण .... सर से नहीं निकल पाते हैं....!
इसीलिए, उसे पूरी तरह से साफ़ करने के लिए..... उस बाल को निकलना जरुरी होता है....

अतः... एक बार बच्चे का मुंडन जरूरी होता है....... ताकि, बच्चे को भविष्य में इन्फेक्शन का कोई खतरा ना रहे....

यही कारण है कि...... जन्म के एक साल के भीतर बच्चे का मुंडन कराया जाता है...!
और, लगभग .....कुछ ऐसा ही कारण मृत्यु के समय मुंडन का भी होता है....!

जब पार्थिव देह को जलाया जाता है..... तो , उसमें से भी कुछ ऐसे ही जीवाणु हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं........!

इसीलिए, पार्थिव देह जलाने के बाद ......नदी में स्नान और धूप में बैठने की भी परंपरा है....
क्योंकि.... आज हम सभी इस बात से अवगत हैं कि..... सूर्य की रोशनी में ..... बहुत सारे बैक्टीरिया और वाइरस जीवित नहीं रह पाते हैं...!


तदोपरांत.... सिर में चिपके इन जीवाणुओं को पूरी तरह निकालने के लिए ही ........ मुंडन कराया जाता है...... ( यहाँ तक कि दाढ़ी और मूंछें तक निकाल दी जाती है )
यहाँ कुछ मनहूस सेक्यूलर .... आदतन ये बोल सकते हैं कि.....

अगर मुंडन का यही कारण है तो..... मुंडन तुरंत क्यों नहीं करवा दिया जाता है....?????
तो उन कूढ़मगजों के लिए.... इतना ही समझा देना पर्याप्त है कि.....
नवजात शिशु के स्किन ..... काफी कोमल होते हैं.....
और, तुरंत ही उस पर ब्लेड चलाने से .... इन्फेक्शन का खतरा घटने के बजाए और, बढ़ ही जाएगा.... इसीलिए, लगभग ६ महीने साल भर तक इंतजार किया जाता है ताकि..... वो नवजात शिशु बाहरी आवो-हवा का आदि हो जाए....!


उसी तरह.... किसी की मृत्यु के बाद भी तुरत मुंडन नहीं करवा कर..... कुछ दिन बाद मुंडन इसीलिए करवा जाता है ....
ताकि, उस दौरान घर की पूरी तरह साफ़-सफाई की जा सके.... अन्यथा, मुंडन के बाद भी साफ़-सफाई करने से स्थिति वही रह जाएगी....!


अंत में इतना ही कहूँगा कि..... हम हिन्दुओं को गर्व करना चाहिए कि.... जो बातें हम आज के आधुनिकतम तकनीक के बाद भी ठीक से समझ नहीं पाते हैं....
उस जीवाणु -विषाणु , और बैक्टीरिया -वाइरस एवं उससे होने वाले दुष्प्रभावों को..... हमारे पूर्वज ऋषि-मुनि हजारों-लाखों लाख पहले ही जान गए थे....!

परन्तु.... चूँकि.... हर किसी को बारी-बारी ....विज्ञान की इतनी गूढ़ बातें ..... समझानी संभव नहीं थी....
इसलिए, हमारे पूर्वजों ने इसे एक परंपरा का रूप दे दिया...... ताकि, उनके आने वाले वंशज .... सदियों तक उनके इन अमूल्य खोज का लाभ उठाते रहें....
जैसे कि... हमलोग अभी उठा रहे हैं....!

जय महाकाल...!!!




स्वास्तिक क्यों बनाते हैं और इसकी पूजा से क्या लाभ मिलता है?

benefits of swastik in hindu mythology

विवाह, मुंडन, संतान के जन्म और पूजा पाठ के विशेष अवसरों पर स्वस्तिक का चिन्ह बनता है। स्वस्तिक की चार भुजाएं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की चारों पुरुषार्थ की प्रतीक है। मूलत: चारों भुजाएं, आयाम और विस्तार धर्म का ही फैलाव है। माना जाता है कि पंचतत्वों के, चावल, लाल डोरा, फूल, पान और सुपारी के साथ इसका पूजन करने से अपने आसपास शुभ और कल्याणकारी स्थितियां बनती हैं।

स्वतिक की पूजा के साथ स्वस्तिवाचन करने का विधान है। स्वस्तिवाचन में स्वस्ति मंत्रो की प्रेरणा यही है कि मंत्रपाठ से ही केवल हमारा हित नहीं हो सकता है। उस दिशा में आगे भी बढ़ना होगा। संकल्प और साहस का होना आवश्यक है।

स्वस्तिवाचन के मंत्रों में कहा गया है कि हम सबके हित में तो सोचें साथही अपनी बुद्धि और विवेक को भी दोषों से मुक्त करें। स्वस्तिवाचन के मंत्रों में सर्वस्थान कुषलता, मातृभूमि की रक्षा, उत्तम-कर्मों के प्रति प्रवृति और देवत्व की प्राप्ति की कामना की गई है । कहा गया है-हम सभी सुखी हों, सब निरोग हों, धर्म का पालन करने वाले बनें। हमारे चारों ओर भद्र हो, और हम सदा भद्रता से परिपूर्ण रहें।


हम कभी भी किसी से अहितकर व्यवहार न करें और जो अहितकर हो उसे बढ़ाने से पहले नष्ट कर दें। मतलब स्वस्तिक रूपी कल्याणकारी चिन्ह हमारे जीवन-प्रवाह का अमृत बने। हम अमृत-पथ के पथिक बने और अन्यों को भी इस ओर प्रेरित करें।

http://www.amarujala.com/news/spirituality/religion-festivals/benefits-of-swastik-in-hindu-mythology-hindi-rj/

मुस्लिम ही आतंकवादी क्यों होते हैं....!!


अक्सर हमें ये सिखलाया जाता है कि..... आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है....!

परन्तु ये भी कोई छुपा हुआ सत्य नहीं है कि..... ओसामा बिन लादेन से लेकर .... अल बगदादी , अजमल कसाब , आरिफ माजिद जैसे बन्दूक चलाने वाले हों अथवा अपने कम्प्यूटर के जरिए उसे मदद पहुँचाने वाला मेहंदी..... हर कोई मुसलमान ही है..!
और, सिर्फ इतने ही क्यों..... बल्कि.... ..... दुनिया के 99 .99 % आतंकवादी ... मुस्लिम ही होते हैं....!!
तथा, आज आस्ट्रेलिया के एक मॉल मे आतंकी हमला करने वाले भी मुसलमान ही है...! 

#AustraliaTerror

लेकिन.. क्या आपने कभी ये सोचा है कि..... दुनिया का हर मुसलमान चाहे आतंकवादी हो या ना हो..... लेकिन.... """दुनिया का हर आतंकवादी मुसलमान"""...... ही क्यों होता है ...!
यहाँ तक कि.... हर आतंकवादी एवं आतंकवादी संगठन .... खुद को मुजाहिदीन अथवा जेहादी क्यों कहते हैं....?????

और तो और.... आरिफ माजिद जैसे जेहादी ..... आतंक फैलाने को..... ""अल्लाह का काम"" क्यों बतलाता है...???????
सिर्फ इतना ही नहीं ....
बल्कि, क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि....
सारी दुनिया में आतंक का पर्याय माने जाने वाले... गजनवी, गौरी , बाबर.... अथवा... ओसामा बिन लादेन और गद्दाफी सरीखे लोगों को भी.... सामान्य मुस्लिम आतंकवादी या मानवता का हत्यारा नहीं.... बल्कि.... अपना आदर्श क्यों क्यों मानते हैं....????

हद तो ये है कि..... मुस्लिम तो सार्वजनिक रूप से निर्दोषों की हत्या करने वाले.... अजमल कसाब को भी हत्यारा नहीं बल्कि जेहादी ही मानते हैं..!
इतना कुछ होने एवं सब कुछ साफ़-साफ़ नजर आने पर भी ... कुछ दोगले और वर्णसंकर किस्म के लोग (जिन्हें आधुनिक बोलचाल की भाषा में सेक्युलर भी कहा जाता है) ... भी मुस्लिम आतंकवादियों की तरफदारी करते हैं.... और, आतंकवाद को धर्म से ना जोड़ने की सलाह देते नजर आ जाते हैं...!

साथ ही ऐसे सेक्यूलर इस्लामी आतंकवाद का कारण मुसलमानों पर किये गए ....अन्याय , अत्याचार , भेदभाव और उपेक्षा को बताते हैं ..!
लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि.... हकीकत इसके बिलकुल ही विपरीत है.... और, मुसलमान आतंकवाद को.... इस्लाम का शुद्ध रूप मानकर उसमें आनंद प्राप्त करते है ..... जैसा कि... ईरान के मुल्ला आयातुलाह खुमैनी ने भी कहा है ....

"""इस्लाम का असली आनंद लोगों की हत्या करना और अल्लाह के लिए मर जाने में है"" .

وأنقى الفرح في الإسلام هو القتل، ويقتل في سبيل الله

यहाँ बात सिर्फ... खुमैनी की नहीं है... क्योंकि हो सकता है कि... कोई एक आदमी इस्लाम की गलत व्याख्या भी कर दे.....
लेकिन... जब आप कुरान पढोगे तो तो आपको सारा मामला समझ आ जाएगा... और, आपको पता लगेगा कि.... खुमैनी ने नया कुछ भी नहीं कहा है... बल्कि, उसने सिर्फ कुरान कि व्याख्या की है...!

जरा आप भी... कुरान की वे हदीसें देखें.... जिसमे इस्लाम का प्रतिपादक और अल्लाह का तथाकथित रसूल खुले शब्दों में लोगों को जेहाद करने को बोल रहा है.... और, जेहाद.. खून खराबा... एवं हत्याएं करने वाले लोगों को .... सबसे ज्यादा धार्मिक और अल्लाह का प्यारा बता रहा है...!
सिर्फ इतना ही नहीं.... कुरान में... मुहम्मद खुद अपने मुंह से ये स्वीकार कर रहा है कि.... उसने इस्लाम को.... सिर्फ और सिर्फ ""आतंक के बदौलत ही"" दुनिया में फैलाया है...... और, दुनिया में इस्लाम को फ़ैलाने के लिए..... आतंक ही एकमात्र रास्ता है..... इसीलिए सारे मुस्लिमों को... दुनिया में आतंक फैलाना चाहिए.... जिससे कि लोग डर जाएँ... और, डर के मारे इस्लाम इस्लाम कबूल कर लें...!

@@@ अब्दुल्लाह बिन किस ने कहा..... एक बार रसूल एक व्यक्ति से लड़ रहे थे ... तो, उन्होंने अपनी तलवार लहराते हुए चिल्ला कर कहा ....सुन लो, जन्नत का दरवाजा तलवारों के साये तले होता है .

यह सुनते ही अबू मूसा ने म्यान से तलवार निकाली... और, नंगी तलवार लेकर रसूल के प्रतिद्वंदी की तरफ दौड़ा तथा उसे क़त्ल कर दिया ........सही मुस्लिम -किताब 20 हदीस 4681

@@@ तुम आसपास के सभी लोगों से लड़ते रहो , चाहे तुम उनको जानते भी नहीं हो ...!
और, युद्ध के लिए सभी साधनों ( आधुनिक युग में टैंक , हवाई जहाज , मिसाइल ,और तोपें ) का प्रयोग करो .
ताकि लोग तुमसे भयभीत रहें ..!

लड़ाई के लिए तुम जो भी खर्चा करोगे अल्लाह उसकी पूर्ति कर देगा क्योंकि अल्लाह अन्याय नहीं करता... सूरा -अनफ़ाल 8 :60

@@@ जो लोग ईमान लाये और अल्लाह की राह में अपनी जानों से जिहाद किया... अल्लाह के यहाँ सिर्फ उनके लिए बड़ा दर्जा है ...सूरा - तौबा 9 :20

@@@ अबू हुरैरा ने कहा .... रसूल ने कहा....जब अल्लाह लोगों के कर्मो को तौलेगा....तो...जो लोग नमाजें पढ़ते हैं.. और, रोजे रखते हैं....
उनकी तुलना में जो जिहाद करते है और लोगों को मारते हैं या खुद मर जाते हैं...... उनका वजन अधिक निकलेगा .
और अल्लाह उन्हीं जो जन्नत में जाने देगा ........बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 46 .

@@@ अबू हुरैरा ने कहा कि.... एक बार रसूल ने कहा ..... मैंने हमेशा आतंक से ही जीत हासिल की है .
अपने लोगों से कहो.... वह दुनिया की सम्पूर्ण दौलत लूट कर तुम्हारे सामने रख दें और दूसरों के लिए कुछ भी नहीं छोड़ें ...... बुखारी - जिल्द 4 किताब 52 हदीस 220
यही कारण है कि....... अजमल कसाब, गजनवी, गौरी , बाबर.... अथवा... ओसामा बिन लादेन विरुद्ध सभी प्रमाण होने के बाद भी एक भी मुसलमान उसे अपराधी नहीं.... बल्कि.... उन्हें अपना आइडल मानते हैं...!

क्या इतने सबूतों के बाद भी किसी को कहना है कि.... इस्लाम शांति का प्रतीक है.. अथवा, इस्लाम दुनिया में शांति फैलाना चाहता है...????

मुसलमानों की वकालत करने वाले लोगों को ये बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि.....
इस्लाम एवं कुरान विश्व में शांति नहीं .... बल्कि, आतंकवाद से ""मरघट जैसा सन्नाटा"" फैलाना चाहता है ...!

जय महाकाल...!!!

नोट: यह लेख किसी दुर्भावना से नहीं.... बल्कि जन सामान्य को इस्लाम के बारे में जानकारी देने के पवित्र उद्देश्य से लिखी गयी है...!

अगर किसी सज्जन अथवा दुर्जन को लेख से कोई शिकायत है तो.... वो मुझसे और सबूत मांग सकता/सकती है...!!

घर में यह सात चीजें सही स्थान पर रखे

धन धान्य से संपन्न सुखी जीवन का आनंद लें

संसार में दो तरह की शक्ति होती है जिसे सामान्य रुप से बुरी शक्ति और अच्छी शक्ति के रुप में जाना जाता है। वास्तुशास्त्र में बुरी शक्तियों को नकारात्मक उर्जा और अच्छी शक्ति को सकारात्मक उर्जा के रुप में देखा जाता है।

उर्जा का प्रवाह जिस तरह से व्यक्ति और उसके घर पर होता है उसका असर व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुख और धन पर भी होता है। वास्तुविज्ञान में कुछ ऐसे नियम हैं जिनका पालन किया जाए तो हम नकारात्मक उर्जा के प्रभाव को अपने से दूर करके सकारात्मक उर्जा से लाभ उठा सकते हैं।

चीनी के फेंगशुई की तरह भारतीय वास्तुविज्ञान में भी कुछ चीजों को सकारात्मक उर्जा को आकर्षित करने वाला बताया गया है। इन वस्तुओं को अगर घर में सही स्थान पर रखें तो नकारात्मक उर्जा से मुक्ति पाकर धन धान्य से संपन्न सुखी जीवन का आनंद ले सकते हैं।


वास्तु के अनुसार तुलसी पौधा कहां लगाएं

वास्तु के अनुसार तुलसी पौधा कहां लगाएं

वास्तु विज्ञान के अनुसार घर में किसी भी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर की छत पर उत्तर पूर्व दिशा में पांच तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।

अगर ऐसा करने में कठिनाई महसूस हो तब कम से कम एक तुलसी का पौधा इस दिशा में जरुर लगाएं। इससे घर में आने वाले नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है।

वास्तुविज्ञान में बताया गया है बाहर से घर में आने वाले लोग भी कई बार नकारात्मक उर्जा लेकर आते हैं। जिनके घर के मुख्य द्वार पर तुलसी का पौधा होता है उनके घर में इस तरह के नकारात्मक उर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता है।



घर में लगाएं घोड़े की ऐसी तस्वीर

वास्तु विज्ञान के अनुसार घोड़े की तस्वीर बहुत ही शुभ होती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो तस्वीर आप घर में ला रहे हों उनमें एक नहीं बल्कि सात घोड़े हों।

अगर सात घोड़े के रथ पर सवार सूर्य देव हों तब यह तस्वीर और भी शुभ फलदायी होती होती है। इन तस्वीरों के घर में कहीं भी लगाने से आपके शुभ फल नहीं मिलता है।

घोड़े की तस्वीर लगाने के लिए पूर्व दिशा को शुभ माना गया है। सूर्यदेव पूर्व दिशा से उदित होते हैं और उनके रथ में सात अश्व माने गए हैं।

माना जाता है कि ऐसी तस्वीरों से घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है जो लोगों को स्वस्थ और उर्जावान बनाए रखता है। ऐसी तस्वीरों को उन्नति और सफलता का भी प्रतीक माना गया है।



यह तस्वीरें भी शुभ और लाभ दिलाती हैं

अतिथि कक्ष सुंदर हो इस बात का सभी ध्यान रखते हैं आप भी रखते होंगे। लेकिन अतिथि कक्ष सिर्फ सुंदर हो और आपके नकारात्मक उर्जा के कारण नुकसान पहुंचाए ऐसा तो आप बिल्कुल भी नहीं चाहते होंगे।

अगर आप अतिथि कक्ष को सुंदर दिखाने के साथ ही वास्तु की अनुकूलता का लाभ पाना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि अतिथि कक्ष में घर के मुखिया के सीट के पीछे पहाड़ या उड़ते हुए पक्षी का चित्र लगा हो। ऐसी तस्वीरों से अत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है।

अतिथि कक्ष में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं वाली तस्वीर और अपने गुरु या किसी महापुरुष जिनसे आपको प्रेरणा मिलती हो उनकी तस्वीर लगाना चाहिए। ऐसी तस्वीरों से आपको सकारात्मक उर्जा का लाभ मिलता है।

कम ही घरों में मिलती है यह तस्वीर, लेकिन होती है बहुत ही शुभ

कम ही घरों में मिलती है यह तस्वीर, लेकिन होती है बहुत ही शुभ

हवन कार्य को शास्त्रों में जितना शुभ और लाभप्रद माना गया है। वास्तुविज्ञान में हवन की तस्वीरों को उतना ही शुभ बताया गया है।

वास्तु सिद्घांत के अनुसार घर के अग्नेय कोण यानी (दक्षिण पूर्व) हिस्से में हवन की तस्वीर लगानी चाहिए।

लेकिन अगर आपके घर में शयन कक्ष आग्नेय कोण में है तब इस तस्वीर की बजाय समुद्र की तस्वीर लगाएं। लेकिन ध्यान रखें समुद्र शांत हो।

समुद्र में लहर उठती हुई तस्वीर लगाने से मानसिक शांति की कमी बनी रहती है। इससे पति-पत्नी के संबंधों पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।



शुभ मुहूर्त में इसे लाएं घर और करें यह प्रयोग

वास्तु विज्ञान में शंख का बड़ा महत्व बताया गया है। वास्तु सिद्घांत के अनुसार शुभ मुहूर्त विशेष तौर पर होली, रामनवमी, जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा, दीपावली के दिन अथवा रवि पुष्य योग या गुरू पुष्य योग में शंख को पूजा स्थल में रखकर इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए तो घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।

शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

अगर संभव हो तो शाम ढ़लने से पहले और सूर्योदय के समय शंख बजाएं इससे घर और आपके आस-पास का वातावरण शुद्घ और उर्जावान बना रहता है।



मुख्य द्वार पर इनका होना शुभ

वास्तुविज्ञान में घर के मुख्य द्वार का बड़ा महत्व है। वास्तु सिद्घांत के अनुसार अगर घर का मुख्यद्वार वास्तुदोष के प्रभाव में हो तब घर में रहने वाले लोग अक्सर किसी न किसी परेशानी में रहते हैं।

मुख्यद्वार का वास्तुदोष व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव डालता है। इसलिए मुख्यद्वार को नकारात्मक उर्जा और वास्तुदोष से मुक्त रखने के लिए मुख्य द्वार पर स्वास्तिक या ओम लगाना चाहिए।

गणेश जी की मूर्ति पर मुख्य द्वार पर लगाई जाती है लेकिन गणेश जी की मूर्ति लगाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि गणेश जी का मुख घर के अंदर की तरफ हो।



रसोई में लगाएं गणेश जी की ऐसी तस्वीर

गणेश जी यूं तो हर रुप में मंगलकारी हैं। लेकिन वास्तुदोष को दूर करने में सिंदूरी रंग के गणेश जी का बड़ा महत्व है।

जिन घर में रसोई घर दक्षिण पूर्व यानी आग्नेय कोण में नहीं हो तब वास्तुदोष को दूर करने के लिए रसोई के उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेश जी की तस्वीर लगानी चाहिए।

वास्तुविज्ञान के अनुसार रसोईघर आग्नेय कोण में होना शुभ फलदायी होता है। इससे घर में रहने वाले लोगों की सेहत पर खासतौर पर महिलाओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

वास्तु के प्रतिकूल रसोई घर होने पर अन्न धन की भी हानि होती है। रसोई घर के वास्तु को दुरुस्त करने में देवी अन्नपूर्ण की तस्वीर भी कल्याणकारी मानी गई है। आप चाहें तो सिंदूरी गणेश जी के साथ मां अन्नपूर्ण की तस्वीर भी लगा सकते हैं।