Tuesday 15 December 2015

जरुरी नंबर

लोकसभा ने परमाणु ऊर्जा (संशोधन) बिल 2015 ध्वनिमत से पास किया



लोकसभा ने आज परमाणु ऊर्जा संशोधन बिल 2015 आज ध्वनि मत से पास कर दिया.
इसके पास होने के बाद मौजूदा कानून मे नये प्रोजेक्ट की स्थापनाऔर उनके विस्तार में आने वाली कठिनाइयों तथा न्यूक्लीयर पावर जनरेशन की दिक्कतों को दूर किया जा सकेगा.
यह संशोधन विधेयक न्यूक्लीयर पॉवर कारपोरेशन ऑफ इंडिया NPCIL कॊ यह भी अधिकार देता है कि वह अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के साथ संयुक्त उपक्रम में परमाणु ऊर्जा बनाने के लिये पॉवर प्लांट स्थापित कर सके.

यह विधेयक सरकार को संयुक्त उपक्रम की कम्पनी को परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिये लायसेंस देने का भी अधिकार देता है.

Monday 14 December 2015

बिहार के सीमांचल निवासियों के लिये सनसनीखेज खुलासा


रूपए दुगुना करने वाला गिरोह का सरगना मो.फानुस जिंदा है,मरने वाला उसका हमशक्ल

बचपन से ही सभी सुनते आये है-लालच बुरी बला.मगर पैसा ही एक ऐसी चीज है जो अच्छे-अच्छों का ईमान हिला देता है.इसी लालच का फ़ायदा उठाकर अंतराष्ट्रीय गिरोह का सरगना मो.फानूस अरबों रूपए लेकर गायब हो गया और सबूत ख़त्म करने के लिए जिंदा रहकर ही खुद को मरवा दिया.सुनने में किसी डॉन की फिल्म की कहानी लगती है.
जी हाँ! सीमांचल-मिथिलांचल के हजारों लोगों मो. फानूस जिंदा है.जो मरा है वह फानूस नहीं उसका हमशक्ल है.

क्या है मामला =

बिहार के सीमांचल के पूर्णिया जिला अंतर्गत जानकीनगर थाना में बिनोवा ग्राम गाँव है.यहाँ मुसलमानों की तादात ज्यादा है.एक गरीब परिवार का मो.फानूस के सपने बहुत बड़े थे.वह अपने साथ क्षेत्र के सभी मुसलमानों को अमीर बनाना चाहता था जो मेहनत से संभव नहीं था.बाद में फानूस का संपर्क कुछ अंतराष्ट्रीय एजेंट से हुआ जिसने फानूस को मोहरा बना कर सीमांचल के अर्थव्यवस्था को टारगेट किया.फानूस को कड़ोरो जाली नोट के साथ रूपए दुगुना करने का धंधे का जिम्मेवारी सौपी गयी.

इस काले धंधे के ऑफर में 15 दिन में रूपए दुगुना होता था.हिंदुओं को आकर्षित करने के लिये एक अफ़वाह फैलाई गयी कि फानूस सिर्फ मुसलमानों का ही रूपए दुगुना करता है.फानूस ने अपने मुसलमान एजेंटों के द्वारा हिंदुओं के कड़ोरो रूपए जमा किये.शुरुआत में बहुतों को पैसा दुगुना मिला भी.फानूस का धंधा चल निकला.

जाल फैलती गयी,आमजन-व्यवसायी फंसते गये.पहले महीना में एक बार रूपए कलेक्शन होता था फिर सप्ताह में होने लगा.रूपए दुगुना करने की अवधि दो माह कर दी गयी.लाखों रूपए बांटे तो अरबों बटोरे गये.हिंदुओं के पैसे मुसलमानों को बांटकर मो.फानूस गायब हो गया.फूस की झोपडी की जगह आलिशान इमारते खड़ी हो गयी,दरवाजे पर SUV गाड़ियाँ खड़ी हो गयी.लुटे लोग शिकायत भी किससे करे?अफ़वाह फैलाई गयी कि फानूस को उसके घर के लोगों ने ही मार दिया.मामला खत्म हो गया.

इस खेल में कई नेता,पुलिस,व्यवसायी के नाम सामने आये है.पर सभी मौन है और फानूस जिंदा घूम रहा है.हजारों लोगों की जमीन बिकी,महिलाओं के जेवर बिके,घर बिका,इज्जत भी गयी और अरमानों पर पानी फिर गया.

अगर मो.फानूस गिरोह की CBI जाँच करायी जाय तब सच निकलकर सामने आयेगा.CBI जाँच से यह भी साफ़ हो जायेगा कि फानूस कहाँ है और इस खेल में कौन-कौन शामिल है.तब यह भी पता चल पायेगा कि बिहार में मो. फानूस का आकाकौन है?


जब भी कोई पैर छुए तो क्या करना चाहिए

पुराने समय से ही परंपरा चली आ रही है कि जब भी हम किसी विद्वान व्यक्ति या उम्र में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं तो उनके पैर छूते हैं। इस परंपरा को मान-सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। ये बात तो सभी जानते हैं कि बड़ों के पैर छूना चाहिए, लेकिन जब कोई हमारे पैर छुए तो हमें क्या-क्या करना चाहिए.


इस परंपरा का पालन आज भी काफी लोग करते हैं। चरण स्पर्श करने से धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। जब भी कोई व्यक्ति चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, हमारे पैर छुए तो उन्हें आशीर्वाद तो देना ही चाहिए, साथ ही भगवान या अपने इष्टदेव को भी याद करना चाहिए। आमतौर पर हम यही प्रयास करते है कि हमारा पैर किसी को न लगे, क्योंकि ये अशुभ कर्म माना गया है। जब कोई हमारे पैर छूता है तो हमें इससे भी दोष लगता है। इस दोष से बचने के लिए मन ही मन भगवान से क्षमा मांगनी चाहिए।

शास्त्रों में लिखा है कि-

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।

इस श्लोक का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति रोज बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम और चरण स्पर्श करता है। उसकी उम्र, विद्या, यश और शक्ति बढ़ती जाती है।

जब कोई आपके पैर छुए तो ध्यान रखें ये बातें

जब भी कोई हमारे पैर छूता है तो उस समय भगवान का नाम लेने से पैर छूने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक फल मिलते हैं। आशीर्वाद देने से पैर छूने वाले व्यक्ति की समस्याएं खत्म होती हैं, उम्र बढ़ती है और नकारात्मक शक्तियों से उसकी रक्षा होती है। हमारे द्वारा किए गए शुभ कर्मों का अच्छा असर पैर छुने वाले व्यक्ति पर भी होता है। जब हम भगवान को याद करते हुए किसी को सच्चे मन से आशीर्वाद देते हैं तो उसे लाभ अवश्य मिलता है। किसी के लिए अच्छा सोचने पर हमारा पुण्य भी बढ़ता है।

किसी बड़े के पैर क्यों छूना चाहिए?

पैर छूना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा नहीं है, यह एक वैज्ञानिक क्रिया है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ी है। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता, बल्कि बड़ों के स्वभाव की अच्छी बातें भी हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे शारीरिक कसरत होती है। आमतौर पर तीन तरीकों से पैर छुए जाते हैं।

पहला तरीका- झुककर पैर छूना।
दूसरा तरीका- घुटने के बल बैठकर पैर छूना।
तीसरा तरीका- साष्टांग प्रणाम करना।

झुककर पैर छूना- झुककर पैर छूने से हमारी कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है।
घुटने के बल बैठकर पैर छूना- इस विधि से पैर छूने पर हमारे शरीर के जोड़ों पर बल पड़ता है, जिससे जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
साष्टांग प्रणाम- इस विधि में शरीर के सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए सीधे तन जाते हैं, जिससे शरीर का स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा, झुकने से सिर का रक्त प्रवाह व्यवस्थित होता है जो हमारी आंखों के साथ ही पूरे शरीर के लिए लाभदायक है।

पैर छूने के तीसरे तरीके का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार खत्म होता है। किसी के पैर छूने का मतलब है उसके प्रति समर्पण भाव जगाना। जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार खत्म हो जाता है।


आज भी अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा।


इस्लाम को भारत में सफलता मिलने का ऐक कारण यहाँ के शासकों में परस्पर कलह, जातीय अहंकार, और राजपूतों में कूटनीति का आभाव था। वह वीरता के साथ युद्ध में मरना तो जानते थे किन्तु देश के लिये संगठित हो कर जीना नहीं जानते थे। युद्ध जीतने की चालों में पराजित हो जाते थे तथा भीतर छिपे गद्दारों को पहचानने में चूकते रहै।
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1. राणा संग्राम सिहं कन्हुआ के युद्ध में मुग़ल आक्रान्ता बाबर को पराजित करने के निकट थे। बाबर ने सुलह का समय माँगा और मध्यस्थ बने राजा शिलादित्य को प्रलोभन दे कर उसी से राणा संग्राम सिहँ के विरुद्ध गद्दारी करवाई जिस के कारण राणा संग्राम सिहँ की जीत पराजय में बदल गयी। भारत में मुग़ल शासन स्थापित हो गया।

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2. हेम चन्द्र विक्रमादितीय ने शेरशाह सूरी के उत्तराधिकारी से दिल्ली का शासन छीन कर भारत में हिन्दू साम्राज्य स्थापित कर दिया था। अकबर की सैना को दिल्ली पर अधिकार करने से रोकने के लिये उस ने राजपूतों से जब सहायता माँगी तो राजपूतों ने उस के आधीन रहकर लडने से इनकार कर दिया था। पानीपत के दूसरे युद्ध में जब वह विजय के समीप था तो दुर्भाग्य से ऐक तीर उस की आँख में जा लगा। पकडे जाने के पश्चात घायल अवस्था में ही हेम चन्द्र विक्रमादितीय का सिर काट कर काबुल भेज दिया गया था और दिल्ली पर मुगल शासन दोबारा स्थापित हो गया। 
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3. महाराणा प्रताप ने अकेले दम से स्वतन्त्रता की मशाल जवलन्त रखी किन्तु राजपूतों में ऐकता ना होने के कारण वह सफल ना हो सके। अकबर और उस के पश्चात दूसरे मुगल बादशाहों ने भी राजपूतों को राजपूतों के विरुद्ध लडवाया और युद्ध जीते। अपने ही अपनों को मारते रहै। 
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4. महाराज कृष्ण देव राय ने दक्षिण भारत के विजयनगर में ऐक सशक्त हिन्दू साम्राज्य स्थापित किया था किन्तु बाहम्नी के छोटे छोटे सुलतानों ने ऐकता कर के विजयनगर पर आक्रमण किया। महाराज कृष्ण देव राय अपने ही निकट सम्बन्धी की गद्दारी के कारण पराजित हो गये और विजयनगर के सम्रद्ध साम्राज्य का अन्त हो गया। 
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5. छत्रपति शिवाजी ने दक्षिण भारत में हिन्दू साम्राज्य स्थापित किया। औरंगज़ेब ने मिर्जा राजा जयसिहँ की सहायता से शिवा जी को सन्धि के बहाने दिल्ली बुलवा कर कैद कर लिया था। सौभागय से शिवाजी कैदखाने से निकल गये और फिर उन्हों ने औरंगजेब को चैन से जीने नहीं दिया। शिवाजी की मृत्यु पश्चात औरंगजेब ने शिवाजी के पुत्र शम्भा जी को भी धोखे से परास्त किया और अपमान जनक ढंग से यातनायें दे कर मरवा दिया। 
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6. गुरु गोबिन्द सिहं नेसवा लाख से ऐक लडाऊँके मनोबल के साथ अकेले ही मुगलों के अत्याचारों का सशस्त्र विरोध किया किन्तु उन्हें भी स्थानीय हिन्दू राजाओं का सहयोग प्राप्त नही हुआ था। दक्षिण जाते समय ऐक पठान ने उन के ऊपर घातक प्रहार किया जिस के ऊपर उन्हों ने पूर्व काल में दया की थी। उत्तरी भारत में सोये हुये क्षत्रित्व को झकझोर कर जगानें और सभी वर्गों को वीरता के ऐक सूत्र में बाँधने की दिशा में गुरु गोबिन्द सिहं का योगदान अदिूतीय था। 
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अपने ही देश में आपसी असहयोग और अदूरदर्शता के कारण हिन्दू बेघर और गुलाम होते रहै हैं। विश्व गुरु कहलाने वाले देश के लिये यह शर्म की बात है कि समस्त विश्व में अकेला भारत ही ऐक देश है जो हजार वर्ष तक निरन्तर गुलाम रहा था। गुलामी भरी मानसिक्ता आज भी हमारे खून मे समाई हुयी है जिस कारण हम अपने पूर्व-गौरव को अब भी पहचान नहीं सकते।






देश की पहली सोलर ट्रेन...

500 ट्रेनों की छत पर सोलर पैनल लगाने की योजना सरकार ने पायलट प्रोजेक्टस के तहत सोलर ट्रेन के ट्रायल को मिली सफलता के बाद 500 ट्रेनों की छत पर सोलर पैनल लगाने की एक बड़ी योजना बनाई है। 
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सोलर ट्रेन से रेलवे को हर साल एक नॉन एसी कोच से 1.24 लाख रुपए की बचत होगी। अगर प्रयोग सफल रहा तो भारतीय रेलवे सोलर ट्रेन का संचालन करने वाला दुनिया का पहला देश होगा, क्‍योंकि भारतीय रेलवे पहले से ही एशिया का सबसे बड़ा...और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।...
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सोलर पावर से ट्रेनों के परिचालन का ट्रायल सफल रहा है, जिससे उत्‍साहित होकर भारत सरकार ने अगले पांच साल में 500 ट्रेनों की छत पर सोलर पैनल लगाने की योजना बनाई है।...
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सोलर ट्रेन चलाने के लिए रेवाड़ी-सीतापुर पैसेंजर ट्रेन को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ट्रायल शुरू किया।


उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों की दूरी

सोमनाथ-------- 777 किमी
ओंकारेश्वर-------111 किमी
भीमाशंकर------- 666 किमी
काशी विश्वनाथ- 999 किमी
मल्लिकार्जुन-----999 किमी
केदारनाथ------- 888 किमी
त्रयंबकेश्वर-------555 किमी
बैजनाथ--------- 999 किमी
रामेश्वरम----- 1999 किमी
घृष्णेश्वर------ - 555 किमी
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उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है । इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गण ना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये है करीब 2050 वर्ष पहले । 
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और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क)अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायीं गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला । आज भी वैज्ञानिक उज्जैन ही आते है सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये । 
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हिन्दू धर्म की मान्यताये पुर्णतः वैज्ञानिक आधार पर निर्मित की गयी है । 
बस हम उसे दुनिया में पेटेंट नही करवा सके ।
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भारत की पहली बुलेट ट्रेन : रोचक जानकारियां...

1. मुंबई से अहमदाबाद - रु 2800 किराया होगा 
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2. भारत में पहली बुलेट ट्रेन के लिए जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी (JICA) और भारतीय रेल मंत्रालय ने साल पहले ही स्टडी शुरू की थी। इसके बाद 2015 में भारत को यह रिपोर्ट सौंपी गई।
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3. बीबीसी ने जेआईसीए के स्टडी के आधार पर यह बताया है कि मुंबई से अहमदाबाद तक के सफर के लिए लगभग 2800 रुपए चुकाने पड़ेंगे। इस रूट पर अभी सबसे ज्यादा किराया मुंबई शताब्दी के फर्स्ट क्लास का है। इस सफर को प्लेन से तय करने में एक घंटे 10 मिनट का समय लगता है जिसके लिए लभगभ 3000 रुपए चुकाने पड़ते हैं।
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4. जेआईसीए की एक रिपोर्ट के आधार पर मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की स्पीड अधिकतम 350 किमी/घंटा हो सकती है।
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5. मुंबई-अहमदाबाद के बीच की दूरी 505 किमी है। इसे अभी तय करने में 7 घंटे का समय लगता है। बुलेट ट्रेन से यह दूरी केवल 2 घंटे में तय की जा सकेगी।
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6. जेआईसीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि बुलेट ट्रेन का यह रूट 1435 मिमी चौड़ा होगा। वर्तमान में भारतीय ट्रेन जिस ट्रैक पर दौड़ती है उसकी चौड़ाई 1676 मिमी है।
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7. जेआईसीए की रिपोर्ट के अनुसार मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन कुल 12 स्टेशनों से होकर गुजरेगी। 
इस दौरान वह 162 किमी पुल पर और 27 किलोमीटर की दूरी 11 सुरंगों के बीच से निकल कर तय करेगी।
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8. रिपोर्ट के अनुसार इस ट्रेन में रोजाना 40,000 यात्री इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। इसका काम 2023 तक पूरा होने की संभावना है।


बेबी (मिल्क) पावडर

एक कंपनी है - नेस्ले , नेस्ले बेबी पावडर (डब्बे का दूध) बेचती है | यूरोप के देशों में बेबी पावडर बिकता नहीं, यूरोप के देशों में बेबी पावडर को बेबी किलर कहते हैं |
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यूरोप के कई देशों में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगे रहते हैं और सरकार की तरफ से उन होर्डिंगों पर प्रचार किया जाता है कि "आप अपने बच्चे को बेबी पावडर मत खिलाईये" | क्यों ? क्योंकि इसमें जहर है, तो पुरे यूरोप में ये जो बेबी पावडर "बेबी किलर" कहा जाता है वही बेबी पावडर धड़ल्ले से भारत के बाजार में बिक रहा है और बहुत वर्षों तक इस देश में जो बेबी पावडर बिकता था, उसके डब्बे पर कुछ भी लिखा नहीं होता था,
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जब कुछ अच्छे लोगों ने इस मुद्दे को उठाया, कुछ डोक्टरों ने संसद पर दबाव बनाया तब भारत की सरकार ने सिर्फ इतना सा संसोधन कर दिया कि "कंपनियों को बेबी पावडर के डब्बे पर ये लिखना आवश्यक होगा कि माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है", बस बात ख़त्म | होता ये कि भारत सरकार इन डब्बे के दूध को भारत में प्रतिबंधित कर देती, लेकिन नहीं |
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और भारत की पढ़ी-लिखी माताओं की हालत भी कुछ वैसी ही है, जो जितनी ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं वो उतना ही ज्यादा बेबी पावडर पिलाती हैं अपने बच्चों को | कभी-कभी लगता है कि जैसे भारत में जब से बेबी पावडर आया है तभी से बच्चे जवान हो रहे हैं, बिना बेबी पावडर के तो लोग बड़े ही नहीं हुए होंगे इस देश में ?
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चंद्र शेखर आजाद ,भगत सिंह ,उधम सिंह,महाराणा प्रताप ,शिवाजी लाखो क्रांतिकारी क्या सब बेबी पावडर पीकर फांसी पर चढ़े ? कुछ ऐसा ही माहौल बनाया गया है इस देश में पिछले कुछ वर्षों से, और विरोधाभास क्या है इस देश में कि बाजार में बेबी पावडर भी बिक रहा है और "माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है" इस विषय पर सेमिनार भी आयोजित किये जाते हैं, करोड़ो रूपये खर्च कर के |
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सीधा ये नहीं करते कि बेबी पावडर को प्रतिबंधित कर दे इस देश में | जिनको समझना चाहिए कि "माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है" वो सेमिनार में आते नहीं और जिनको ये समझ है वो कोई कैम्पेन चलाते नहीं, ये इस देश का दुर्भाग्य है |

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