Saturday 31 January 2015

दूसरे नाम का गैस कनेक्शन अब हो सकता है आपके नाम

you can get the gas connection on other name transferred in your name



किसी दूसरे के नाम का गैस कनेक्शन काम में ले रहे उपभोक्ताओं को सीधी सब्सिडी योजना 

(पहल) से जोड़ने के लिए तेल कम्पनियों ने शपथपत्र के जरिए वर्तमान उपभोक्ता के नाम कनेक्शन 

ट्रांसफर करने का रास्ता निकाला है। 

राज्यभर में 62.55 फीसदी गैस उपभोक्ता पहले से जुड़ चुके हैं। वहीं, जयपुर में 55 तथा जोधपुर में 54 फीसदी उपभोक्ता ही जुड़ पाए हैं। 

तेल कम्पनियों का मानना है कि बाकी उपभोक्ताओं में से ज्यादातर ऎसे हैं जो किसी दूसरे के नाम का गैस कनेक्शन काम में ले रहे हैं या फिर परिवार के किसी सदस्य के नाम का कनेक्शन है जो जीवित नहीं है। ऎसे भी उपभोक्ता हैं जो कनेक्शन के मूल दस्तावेज नहीं होने की वजह से योजना से नहीं जुड़ पा रहे।

यह करें उपाय 

परिवार में मुखिया या सदस्य की मृत्यु की स्थिति में मृत्यु प्रमाण पत्र और आवश्यक दस्तावेज जमा करवाकर नाम परिवर्तन कराया जा सकता है। गैस कनेक्शन से जुड़े आवश्यक दस्तावेज नहीं होने पर उपभोक्ता शपथ-पत्र के साथ सिक्योरिटी जमा करवाकर कनेक्शन अपने नाम करा 
सकता है।

परिवार के दूसरे सदस्यों के कहने पर किसी एक के नाम पर कनेक्शन किया जा सकता है। इसके लिए परिवार के सभी सदस्यों को लिखकर देना होगा।


भीग गया हो फोन या पड़ गए हों स्क्रैच

भीग गया हो फोन या पड़ गए हों स्क्रैच, इन देसी तरीकों से कर सकते हैं ठीक

भीग गया हो फोन या पड़ गए हों स्क्रैच, इन देसी तरीकों से कर सकते हैं ठीक

कई बार फोन के पानी में गिर जाने की वजह से या फिर स्क्रैच पड़ जाने की वजह से खराब हो जाता है। कई बार बटन वाले फोन की बटन्स ही काम करना बंद कर देती हैं। ऐसे में अगर आप नया फोन नहीं लेने वाले हैं तो कुछ देसी तरीकों से इसे सुधारा जा सकता है। हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही कुछ देसी टिप्स ।


एल्कोहॉल से साफ हो सकता है मोबाइल, ठीक हो सकती है जाम बटन :
भले ही ये ट्रिक पढ़ने में थोड़ी अजीब लगे, लेकिन काम की साबित हो सकती है। howtogeek वेबसाइट के मुताबिक ये ट्रिक बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। अगर आपके पास कीबोर्ड वाला मोबाइल हो या फुल टच स्क्रीन की जगह होम बटन है या फिर सोनी सीरीज का कोई फोन है जिसमें मेटैलिक पावर बटन दी है तो एल्कोहॉल आपके लिए बड़े काम की चीज साबित हो सकता है।

क्या हो सकते हैं फायदे :

* फोन की बटन्स हो सकती हैं साफ
* कम्प्यूटर की-बोर्ड के लिए कर सकते हैं इस्तेमाल
* माउस भी कर सकते हैं साफ
* फोन के केस को या बैटरी को करें साफ
* सिम स्लॉट को भी एल्कोहॉल से साफ किया जा सकता है।
इसके लिए एक इयर बड में या फिर थोड़ी सी रुई को किसी छोटी लकड़ी में लगाकर उसमें दो बूंद एल्कोहॉल डालें, दो मिनट तक रहने दें उसके बाद हल्के हाथ से गैजेट्स की सफाई करें। ध्यान रहे की ज्यादा प्रेशर पड़ने से एल्कोहॉल गैजेट के अंदर भी जा सकता है। हल्के हाथ से सफाई करने के बाद कपड़े से पोंछ लें।

अगर मोबाइल पानी में गिरा हो तो :

भीगे हुए फोन को ऑफ करने के बाद उसकी सभी एक्सेसरीज को अलग कर दें इनमें-

- बैटरी
- सिम कार्ड
- मेमोरी कार्ड
- फोन से अटैच की गई कौर्ड
इन सभी एक्सेसरीज को अलग करने से शॉर्ट सर्किट का खतरा कम हो जाएगा। अगर आपके फोन में नॉन-रिमूवेबल बैटरी है जैसे नोकिया लुमिया या आईफोन में होती है तो बैटरी निकाल कर ऑफ करने का विकल्प खत्म हो जाएगा। ऐसे में पावर बटन से बंद करना सबसे ज्यादा जरूरी है। नॉन रिमूवेबल बैटरी के कारण शॉर्ट सर्किट हो सकता है।

करें पेपर नैप्किन का इस्तेमाल :


फोन की एक्सेसरीज को अलग करने के बाद फोन के सभी पोर्ट्स को सुखाना जरूरी है। इसके लिए पेपर नैप्किन का इस्तेमाल करना सबसे सहूलियत भरा होगा। इसके अलावा, फोन को पोछने के लिए नरम तौलिए का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

चावल के बर्तन में रखकर सुखाएं :

भीग गया हो फोन या पड़ गए हों स्क्रैच, इन देसी तरीकों से कर सकते हैं ठीक

तौलिए से पोछने के बाद सबसे जरूरी काम होगा फोन के इंटरनल पार्ट्स को सुखाना। इसके लिए फोन को सूखे चावल में दबाकर एक बर्तन में रख दीजिए। चावल बड़ी तेजी से नमी सोखता है। ऐसे में फोन के इंटरनल पार्ट्स सूख जाएंगे।
चावल के बर्तन में अगर फोन को ना रखना चाहें तो सिलिका जेल पैक (silica gel pack) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। ये जेल पैक्स जूतों के डब्बों में रखे जाते हैं। इनमें चावल से ज्यादा तेजी से नमी सोखने की ताकत होती है।

अपने फोन को कम से कम 24 घंटों तक सिलिका पैक या फिर चावल के बर्तन में रखे रहने दें। जब तक ये पूरी तरह सूख ना जाए इसे ऑन करने के बारे में मत सोचिए। फोन के साथ-साथ बैटरी और बाकी एक्सेसरीज को भी चावल में सुखाया जा सकता है। जब तक फोन पूरी तरह से ना सूखे इसे ऑन ना करें। चावल के बर्तन में रखने से फोन के इंटरनल पार्ट्स में डस्ट रह जाने का खतरा होता है, इसके लिए दोबारा पेपर नैप्किन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

अगर आपका फोन पानी में भीग गया है तो ये काम बिलकुल ना करें:

* फोन को ड्रायर से सुखाने की कोशिश ना करें। ड्रायर बहुत ज्यादा गर्म हवा फेंकता है ऐसे में फोन के सर्किट्स पिघल सकते हैं।
* अगर फोन भीग गया है तो उसे तुरंत ऑफ करें। किसी और बटन का इस्तेमाल करने से शॉर्ट सर्किट का खतरा काफी बढ़ जाता है।
* हेडफोन जैक और फोन के यूएसबी पोर्ट का इस्तेमाल तब तक ना करें जब तक फोन पूरी तरह से सूख ना गया हो। इनका इस्तेमल करने से नमी का फोन के इंटरनल पार्ट्स में पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है। 

स्क्रैच हटाने के लिए सैंडपेपर का इस्तेमाल :

भीग गया हो फोन या पड़ गए हों स्क्रैच, इन देसी तरीकों से कर सकते हैं ठीक

अगर आपके पास मेटैलिक फ्रेम या बैक कवर वाला मोबाइल है और जेब में रखने के कारण सिक्कों और चाभी के साथ रखने के कारण या किसी और कारण से उसमें स्क्रैच पड़ गए हैं तो सैंडपेपर का इस्तेमाल किया जा सकता है। हल्के हाथ से सैंडपेपर घिसने से स्क्रैच भी हल्के हो जाएंगे। ध्यान रहे की ये ट्रिक प्लास्टिक फ्रेम वाले या ग्लॉसी बैक कवर वाले फोन में इस्तेमाल ना करें।

करें टूथपिक का इस्तेमाल

कई बार हैडफोन जैक में या फिर यूएसबी पोर्ट में डस्ट जम जाने के कारण वो ठीक तरह से काम नहीं कर पाते ऐसे में हैडफोन जैक या यूएसबी पोर्ट को टूथपिक से साफ किया जा सकता है। टूथपिक के सिरे में थोड़ी सी रुई लगाएं और जमी हुई गंदगी को साफ करें। इसके लिए अमोनिया क्लीनर, नेल पॉलिश रिमूवर या फिर एल्कोहॉल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल यूएसबी पोर्ट में करने से बचें क्योंकि इससे क्लीनर फोन के अंदर भी जा सकता है।

करें टूथपेस्ट का इस्तेमाल :

अगर आपके फोन की स्क्रीन कवर पर स्क्रैच पड़ गए हैं तो यकीनन आपको बुरा लगेगा। ऐसे में अगर स्क्रैच हल्के हैं तो स्क्रीन गार्ड बदलने की जगह उसे टूथपेस्ट की मदद से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए यूजर्स को रुई में हल्का सा टूथपेस्ट लेकर उसे स्क्रीन पर फैलाना होगा। ध्यान रहे ये सिर्फ स्क्रीन गार्ड वाली स्मार्टफोन के लिए है। ओरिजनल स्क्रीन पर टूथपेस्ट ना लगाएं। इसके बाद नरम कपड़े से स्क्रीन को पोछ दें। स्क्रीन के हल्के स्क्रैच लगभग गायब हो जाएंगे।

क्या चावल खाने से मोटापा बढ़ जाता है ?

चावल से जुड़े कई हैं भ्रम

मोटापे से बचने के लिए अक्सर कुछ लोग चावल न खाने की सलाह देते हैं, जो गलत है। न तो चावल खाने से फैट बढ़ता है और न ही इसमें उच्च कैलोरी पाई जाती है।

आधा कप पके हुए चावल में लगभग 120 कैलोरी होती है। लगभग इतनी ही कैलोरी गेहूं की रोटी या ब्रेड जैसे कार्बोहाइड्रेट युक्त अनाज में भी मौजूद होती है। एक छोटी चपाती या एक स्लाइस ब्रेड में 80-90 कैलोरी होती है।

चावल में मौजूद स्टार्च में खनिज-लवण और विटामिन भी होते हैं। इसलिए इन्हें पकाने से पहले बार-बार न धोने की सलाह भी दी जाती है। आपको बता दूं कि जापान के लोग रोजाना भोजन में एक बार चावल जरूर शामिल करते हैं और दुनिया भर में सबसे कम मोटापे का दर यहीं है।

चावल खाने के बाद भी भूख महसूस होती है?
जी हां, ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चावल बड़ी आसानी से पच जाता है। चावल खाने के कुछ देर बाद भूख इसलिए भी महसूस होती है, क्योंकि यह आंतों पर बहुत अधिक दबाव नहीं डालता। यदि आप इसे ज्यादा पौष्टिक बनाना चाहती हैं, तो चावल का सेवन उच्च फाइबर व उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के साथ करें।

व्हाइट राइस हेल्दी नहीं होता!

व्हाइट राइस के प्रति लोगों की धारणा काफी गलत है। वैसे देखें, तो चावल में कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में होता है। एक दिन में हमारे शरीर को जितनी ऊर्जा की जरूरत होती है, इसकी पूर्ति चावल कर देता है। व्हाइट राइस की पौष्टिकता को बढ़ाने के लिए आप इसे हरी सब्जियों, बीन्स, दाल, सोयाबीन, मीट आदि के साथ मिला कर हेल्दी फूड बना सकते हैं।



हीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। हर चावल की अपनी खासियत और गुणवत्ता होती है। चावल खरीदते वक्त आपको इस बात का ध्यान सावधानीपूर्वक रखना चाहिए। हमेशा बेहतर क्वालिटी के लंबे टुकड़े वाले चावल खरीदें, क्योंकि इसमें छोटे टुकड़े वाले चावल की अपेक्षा ग्लाइसेमिक की मात्रा कम पाई जाती है। 

इसके अलावा चावल खरीदते समय सही ब्रांड और फ्लेवर का भी ध्यान रखें। लंबे टुकड़े वाले बासमती चावल का सेवन करना हेल्दी होता है, क्योंकि कम कीमत वाले चावल की अपेक्षा, इसमें आर्सेनिक की मात्रा बहुत कम होती है।




बच्चे जिद्दी नहीं होंगे

parenting tips for single child

बच्चे जिद्दी नहीं होंगे अगर आप रखेंगे इन बातों का ध्यान


`छोटा परिवार, सुखी परिवार’, यह बात भले ही आज के संदर्भ में फिट बैठे, लेकिन अकेले बच्चों की अपनी ढेरों समस्याएं भी हैं। देखा जाए, तो सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे बच्चों की परवरिश करने में उसकी मां की होती है। ऐसी मांएं बहुत ही ज्यादा तनाव में रहती हैं। अगर वो कामकाजी है, तो उनकी समस्या और भी गंभीर हो जाती है।


बातें करें

बच्चा अकेला हो, तो सबसे पहले मां को इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनका लाडला/ लाडली अन्तर्मुखी न बने। इसलिए जब बच्चा बोलने लगे, तभी से उसके साथ खूब बातें करें। उसके हर सवाल का जवाब दें, क्योंकि छोटे बच्चे हर बात में क्यों, कैसे, क्या होगा और कई बार तुलनात्मक सवाल भी कर देते हैं।

यह भी ध्यान रखें कि बच्चा जब तक संतुष्ट नहीं होगा, वह आपको परेशान करेगा। अत: आप अपने बच्चे को सही और तर्कसंगत जवाब दें।

उससे उसके स्कूल की बातें करें, उसके दोस्तों के बारे में पूछें। साथ ही अपनी भी कुछ बातें उसे बताएं। बच्चे को सकारात्मक बातों की तरफ प्रेरित करें। इससे आगे चलकर बच्चा आपसे अपनी बातें शेयर भी कर पाएगा और उसे अकेलेपन का अहसास भी नहीं होगा और न ही वह बार-बार आपको परेशान करेगा।

जिद्दी न बनने दें

आमतौर पर मांएं परेशानियों से बचने के लिए या खुद को बच्चों के साथ माथा-पच्ची न करना पड़े, घर या ऑफिस के काम में कोई रुकावट न हो, इसके लिए बच्चे की हर मांग पूरी कर देती हैं। लेकिन कुछ ही समय बाद किसी भी चीज के लिए जिद करना बच्चे की आदत बन जाती है।

ऐसी परेशानी से बचने के लिए मांओं को चाहिए कि बच्चा जो मांग रहा है, वह उसके लिए सही है या नहीं, इस बात से बच्चे को अवगत कराएं, वह भी तर्क के साथ। घर-ऑफिस के काम की अपनी प्राथमिकताएं हैं, पर आपका बच्चा और उससे संबंधित बात या काम आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

समय रहते अगर बच्चे को सही-गलत का अहसास न कराया गया, तो यही बच्चा आगे चलकर अपनी मांग पूरी करने के लिए खुद भी गलत रास्ते पर जा सकता है या आपको भी ब्लैकमेल कर सकता है।

सकारात्मक कार्य कराएं

बच्चा चंचल होता है, अकेले में या अकेलेपन में उसका दिमाग गलत कामों में या नकारात्मक बातों में उलझेगा, जो मां के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। ऐसे में बच्चे को कभी भी अकेला न छोड़ें।

स्कूल के बाद उसे किसी एक्टिविटी से जोड़ें, इससे बच्चा कुछ सीखेगा भी। बच्चे को छोटेछोटे कामों में भी लगा सकती हैं। इससे बच्चे को काम करने की भी आदत लगेगी, जो आगे चलकर उनके हित में ही होगा।


लेकिन अपने बच्चे को उसी काम में लगाएं, जिसमें उसकी रुचि हो, अन्यथा बच्चा आपके लिए दोगुनी परेशानी खड़ी कर सकता है। अकेले बच्चे की मां यदि धैर्य और चातुर्य से काम ले, तो न सिर्फ वो परेशानियों से बच सकती है, बल्कि उस बच्चे की परवरिश भी अच्छी होगी।


भगवान रामचन्द्र जी के १४ वर्षों के वनवास यात्रा का विवरण ::


अब हम श्री राम से जुडे कुछ अहम् सबुत पेश करने जा रहे हैं........



जिसे पढ़ के नास्तिक भी सोच में पड जायेंगे की रामायण सच्ची हैं या काल्पनिक ||


भगवान रामचन्द्र जी के १४ वर्षों के वनवास यात्रा का विवरण 

पुराने उपलब्ध प्रमाणों और राम अवतार जी के शोध और अनुशंधानों के अनुसार कुल १९५ स्थानों 

पर राम और सीता जी के पुख्ता प्रमाण मिले हैं जिन्हें ५ भागों में वर्णित कर रहा हूँ

वनवास का प्रथम चरण गंगा का अंचल 

सबसे पहले राम जी अयोध्या से चलकर तमसा नदी (गौराघाट,फैजाबाद,उत्तर प्रदेश) को पार किया 

जो अयोध्या से २० किमी की दूरी पर है |

आगे बढ़ते हुए राम जी ने गोमती नदी को पर किया और श्रिंगवेरपुर (वर्त्तमान सिंगरोर,जिला 

इलाहाबाद )पहुंचे ...आगे 2 किलोमीटर पर गंगा जी थीं और यहाँ से सुमंत को राम जी ने वापस कर 

दिया |

बस यही जगह केवट प्रसंग के लिए प्रसिद्ध है |

इसके बाद यमुना नदी को संगम के निकट पार कर के राम जी चित्रकूट में प्रवेश करते हैं|

वाल्मीकि आश्रम,मंडव्य आश्रम,भारत कूप आज भी इन प्रसंगों की गाथा का गान कर रहे हैं |

भारत मिलाप के बाद राम जी का चित्रकूट से प्रस्थान ,भारत चरण पादुका लेकर अयोध्या जी वापस |

अगला पड़ाव श्री अत्रि मुनि का आश्रम

२.बनवास का द्वितीय चरण दंडक वन(दंडकारन्य)>>>

घने जंगलों और बरसात वाले जीवन को जीते हुए राम जी सीता और लक्षमण सहित सरभंग और सुतीक्षण 

मुनि के आश्रमों में पहुचते हैं |

नर्मदा और महानदी के अंचल में उन्होंने अपना ज्यादा जीवन बिताया ,पन्ना ,रायपुर,बस्तर और 

जगदलपुर में तमाम जंगलों ,झीलों पहाड़ों और नदियों को पारकर राम जी अगस्त्य मुनि के आश्रम 

नाशिक पहुँचते हैं |

जहाँ उन्हें अगस्त्य मुनि, अग्निशाला में बनाये हुए अपने अशत्र शस्त्र प्रदान करते हैं |

३.वनवास का तृतीय चरण गोदावरी अंचल >>>

अगस्त्य मुनि से मिलन के पश्चात राम जी पंचवटी (पांच वट वृक्षों से घिरा क्षेत्र ) जो आज भी नाशिक में 

गोदावरी के तट पर है यहाँ अपना निवास स्थान बनाये |यहीं आपने तड़का ,खर और दूषण का वध किया |

यही वो "जनस्थान" है जो वाल्मीकि रामायण में कहा गया है ...आज भी स्थित है नाशिक में

जहाँ मारीच का वध हुआ वह स्थान मृग व्यघेश्वर और बानेश्वर नाम से आज भी मौजूद है नाशिक में |

इसके बाद ही सीता हरण हुआ ....जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पार हुई जो इगतपुरी 

तालुका नाशिक के ताकीद गाँव में मौजूद है |दूरी ५६ किमी नाशिक से |



इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया क्यों की यहीं पर मरणसन्न जटायु ने बताया था 

की सम्राट दशरथ की मृत्यु हो गई है ...और राम जी ने यहाँ जटायु का अंतिम संस्कार कर के 

पिता और जटायु का श्राद्ध तर्पण किया था |

यद्यपि भारत ने भी अयोध्या में किया था श्राद्ध ,मानस में प्रसंग है "भरत किन्ही दस्गात्र विधाना "


४.वनवास का चतुर्थ चरण तुंगभद्रा और कावेरी के अंचल में 

सीता की तलाश में राम लक्षमण जटायु मिलन और कबंध बाहुछेद कर के ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढे ....|

रास्ते में पंपा सरोवर के पास शबरी से मुलाकात हुई और नवधा भक्ति से शबरी को मुक्ति मिली |

जो आज कल बेलगाँव का सुरेवन का इलाका है और आज भी ये बेर के कटीले वृक्षों के लिए 

ही प्रसिद्ध है |

चन्दन के जंगलों को पार कर राम जी ऋष्यमूक की ओर बढ़ते हुए हनुमान और सुग्रीव से मिले 

,सीता के आभूषण प्राप्त हुए और बाली का वध हुआ ....ये स्थान आज भी कर्णाटक के बेल्लारी के 

हम्पी में स्थित है |

५.बनवास का पंचम चरण समुद्र का अंचल 

कावेरी नदी के किनारे चलते ,चन्दन के वनों को पार करते कोड्डीकराई पहुचे पर पुनः पुल के निर्माण 

हेतु रामेश्वर आये जिसके हर प्रमाण छेदुकराई में उपलब्ध है |

सागर तट के तीन दिनों तक अन्वेषण और शोध के बाद राम जी ने कोड्डीकराई और छेदुकराई को  
छोड़ सागर पर पुल निर्माण की सबसे उत्तम स्थिति रामेश्वरम की पाई ....और चौथे दिन इंजिनियर 

नल और नील ने पुल बंधन का कार्य प्रारम्भ किया.