Saturday 14 June 2014

लाल किला पृथवीराज चौहान ने बनवाया था


क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के लालकिले का रहस्य क्या है और इसे किसने बनवाया था 

दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ से भी कई शताब्दी पहले पृथवीराज चौहान द्वारा             बनवाया हुआ लाल कोट
इतिहास के नाम पर झूठ क्यों पढ़ रहे है ??


अक्सर हमें यह पढाया जाता है कि दिल्ली का लालकिला शाहजहाँ ने बनवाया था लेकिन यह एक सफ़ेद झूठ है और दिल्ली का लालकिला शाहजहाँ के जन्म से सैकड़ों साल पहले "महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय" द्वारा दिल्ली को बसाने के क्रम में ही बनाया गया था

महाराज अनंगपाल तोमर और कोई नहीं बल्कि महाभारत के अभिमन्यु के वंशज तथा महाराज पृथ्वीराज चौहान के नाना जी थे
इतिहास के अनुसार लाल किला का असली नाम "लाल कोट" हैजिसे महाराज अनंगपाल द्वितीय द्वारा सन 1060 ईस्वी में दिल्ली शहर को बसाने के क्रम में ही बनवाया गया था जबकि शाहजहाँ का जन्म ही उसके सैकड़ों वर्ष बाद 1592 ईस्वी में हुआ है

दरअसल शाहजहाँ नमक मुसलमान ने इसे बसाया नहीं बल्कि पूरी तरह से नष्ट करने की असफल कोशिश की थी ताकिवो उसके द्वारा बनाया साबित हो सके लेकिन सच सामने आ ही जाता हैइसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि तारीखे फिरोजशाही के पृष्ट संख्या 160 (ग्रन्थ ३) में लेखक लिखता है कि सन 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल ( लाल प्रासाद/ महल ) कि ओर बढ़ा और वहां उसने आराम कियासिर्फ इतना ही नहीं अकबरनामा और अग्निपुराण दोनों ही जगह इस बात के वर्णन हैं कि महाराज अनंगपाल ने ही एक भव्य और आलिशान दिल्ली का निर्माण करवाया था|
                                                     




*** दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ से भी कई शताब्दी पहले पृथवीराज चौहान द्वारा बनवाया हुआ लाल कोट है*** 
जिसको शाहजहाँ ने पूरी तरह से नष्ट करने की असफल कोशिश करी थी ताकि वो उसके द्वारा बनाया साबित हो सके..लेकिन सच सामने आ ही जाता है.

इसके पूरे साक्ष्य प्रथवीराज रासो से मिलते है .

शाहजहाँ से 250 वर्ष पहले 1398 मे तैमूर लंग ने पुरानी दिल्ली का उल्लेख करा है (जो की शाहजहाँ द्वारा बसाई बताई जाती है)

सुअर (वराह) के मुह वाले चार नल अभी भी लाल किले के एक खास महल मे लगे है. क्या ये शाहजहाँ के इस्लाम का प्रतीक चिन्ह है या हमारे हिंदुत्व के प्रमाण??

किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित है राजपूत राजा लोग गजो( हाथियों ) के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थे ( इस्लाम मूर्ति का विरोध करता है)

*  दीवाने खास मे केसर कुंड नाम से कुंड बना है जिसके फर्श पर हिंदुओं मे पूज्य कमल पुष्प अंकित हैकेसर कुंड हिंदू शब्दावली है जो की हमारे राजाओ द्वारा केसर जल से भरे स्नान कुंड के लिए प्रयुक्त होती रही है

*  मुस्लिमों के प्रिय गुंबद या मीनार का कोई भी अस्तित्व नही है दीवानेखास और दीवाने आम मे.

दीवानेखास के ही निकट राज की न्याय तुला अंकित है अपनी प्रजा मे से 99 % भाग को नीच समझने वाला मुगल कभी भी न्याय तुला की कल्पना भी नही कर सकताब्राह्मानो द्वारा उपदेशित राजपूत राजाओ की न्याय तुला चित्र से प्रेरणा लेकर न्याय करना हमारे इतिहास मे प्रसीध है .

*  दीवाने ख़ास और दीवाने आम की मंडप शैली पूरी तरह से 984 के अंबर के भीतरी महल (आमेर--पुराना जयपुर) से मिलती है जो की राजपूताना शैली मे बना हुवा है .

लाल किले से कुछ ही गज की दूरी पर बने देवालय जिनमे से एक लाल जैन मंदिर और दूसरा गौरीशंकार मंदिर दोनो ही गैर मुस्लिम है जो की शाहजहाँ से कई शताब्दी पहले राजपूत राजाओं ने बनवाए हुए है.

लाल किले का मुख्या बाजार चाँदनी चौक केवल हिंदुओं से घिरा हुआ हैसमस्त पुरानी दिल्ली मे अधिकतर आबादी हिंदुओं की ही हैसनलिष्ट और घूमाओदार शैली के मकान भी हिंदू शैली के ही है 

..क्या शाजहाँ जैसा धर्मांध व्यक्ति अपने किले के आसपास अरबीफ़ारसीतुर्कअफ़गानी के बजे हम हिंदुओं के लिए मकान बनवा कर हमको अपने पास बसाता ???

एक भी इस्लामी शिलालेख मे लाल किले का वर्णन नही है

*"" गर फ़िरदौस बरुरुए ज़मीं अस्तहमीं अस्ताहमीं अस्ताहमीं अस्ता""--अर्थात इस धरती पे अगर कहीं स्वर्ग है तो यही हैयही हैयही है....
                                                                                  इस अनाम शिलालेख को कभी भी किसी भवन का निर्मांकर्ता नही लिखवा सकता ..और ना ही ये किसी के निर्मांकर्ता होने का सबूत देता है
इसके अलावा अनेकों ऐसे प्रमाण है जो की इसके लाल कोट होने का प्रमाण देते हैऔर ऐसे ही हिंदू राजाओ के सारे प्रमाण नष्ट करके हिंदुओं का नाम ही इतिहास से हटा दिया गया हैअगर हिंदू नाम आता है तो केवल नष्ट होने वाले शिकार के रूप मे......ताकि हम हमेशा ही अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ कर इस झूठे इतिहास से प्रेरणा ले सके...

सही है ना ???..लेकिन कब तक अपने धर्म को ख़तम करने वालो की पूजा करते रहोगे और खुद के सम्मान को बचाने वाले महान हिंदू शासकों के नाम भुलाते रहोगे..
ऐसे ही....??????? -

12 comments:

  1. लगता है आशुतोष तेरा दिमागी संतुलन तूने खो दिया है .
    लालकोट नामक स्थान कुतुबमीनार के आसपास था जिसका प्रमाण इतिहास में है !

    ReplyDelete
    Replies
    1. लालकोट ।।पूरे दिल्ली में नहीं मिला ह ।।

      pn oak ने अपने पुस्तक में लाल किला के ही लाल कोट होने का प्रमाण दिया ह

      Delete
    2. आप भूल रहे है की भारत एक हिन्दू राष्ट्र है और साहजहाँ मुस्लिम शासक और शायद आप ये नहीं जानते प्रजा को खुश राखना हर राजा का कर्तव्य है और साहजहां ने भी यही किया अगर मूर्ति बनवाने से उसकी प्रजा खुश थी तो उसको मूर्ति बनवाने में कोई परेशानी नहीं है इसी आधार पर आप लाल किला को लाल कोट साबित कर रहे है

      Delete
  2. आशुतोष अगर पक्के सबूत भी साथ होते तो मजा आ जाता

    ReplyDelete
  3. इतिहास को आप बदल नहीं सकते दुन्या जानती है लाल किला किस ने बवाया है

    ReplyDelete
  4. Duniya jan ti h ki lal kila piradebi raj chaehan ne banbaya ta y sahi h

    ReplyDelete
  5. जिसकी लाठी रही
    उसी की रही भैंस

    ReplyDelete
  6. सव वकर चोद है C-14 की विधि से हर पुराने पत्थर की उम्र ज्ञात की जा सकती है ।
    अगर दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ से पहले का है तो
    गज़नवी महमूद ने ओर गोरी ने इसका उल्लेख क्यू नही किया ?
    वावर ने तो अपनी आत्म कथा तुजुके वावरी मे भारत की दशा व्यक्त की है उसने फिर दिल्ली किले का उल्लेख क्यू नही किया ??
    जवाव दे कोई भी ।

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  8. Kila pruthvi raj chavhan ne hi banwaya that......

    ReplyDelete