Tuesday 17 June 2014

मानव बम..."फियादीन बम" कैसे बनाया जाता है...???



क्या आप जानते हैं कि..."फियादीन बम" क्या होता है और उन्हें फियादीन कैसे बनाया जाता है...???

दरअसल बात कुछ ऐसी है कि... मुसलमानों ने आज तक एक भी ऐसा अविष्कार नहीं किया , जिस से "समाज को कोई फायदा" हो सके, लेकिन मुसलमानों ने लोगों को बर्बाद करने और उनको "मारने के अनेकों अविष्कार" किये हैं...!

कुरान के तहत मुसलमानों की नीति है कि... हर उपाय से दूसरों (काफिरों) को मारा जाये , भले ही ऐसा करते समय हम खुद क्यों न मर जाएँ... इसके लिए ही मुसलमानों ने आत्मघाती मानव बम का अविष्कार किया है ... जिसे फियादीन बम कहा जाता है..!

शाब्दिक तौर पर..... फियादीन ...... फियादी शब्द से बना है जी कि एक अरबी शब्द है ... अरबी के फिदायी ( فدائي) शब्द का बहुवचन फिदायीन (فِدائيّين ) होता है .जिसका अर्थ बलिदानी या"redeemers "है जो खुद को कुर्बान कर देते है (those who sacrifice ).

जाकिर नाईक सरीखे चालाक मुस्लिम विद्वान् फिदायीन के बारे में किस तरह दोगली बातें कहते हैं .. ये सबको मालूम है..

एक तरफ तो वे कहते हैं कि... इस्लाम में आत्महत्या करना बहुत बड़ा गुनाह है, वहीँ दूसरी तरफ यह भी कहते हैं कि जो अल्लाह की राह में मरते हैं , या काफिरों को मारते हुए मर जाते हैं वह शहीद माने जाते हैं .और सीधे जन्नत में जाते हैं. ....

अपनी इन्हीं दोगली बातों से यह इस्लाम के प्रचारक फिदायी जिहादियों के गुनाहों पर पर्दा डालते रहते हैं .और फिदायीन का महिमा मंडन भी करते रहते हैं .

वैसे तो जिहादी बच्चो को बचपन से ही फिदायीन बनाए की तालीम देते हैं, और कुरान और हदीस की ऐसी बातें उनके दिमाग में भर देते हैं जिस से उनका दिमाग खाली (brain wash ) हो जाता है. मैं यहाँ पर कुरान की वह आयतें और हदीसें दे रहा हूँ .. जिसे फियादीन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है..!

@@ "बस मैदान में उतर जाओ ,और समझो कि तुम एक दूसरे के दुश्मन हो ,और तुम्हें इस धरती पर केवल निर्धारित समय तक रहना है ,और तुम्हें उतने जीवन के लिए सामग्री दी गयी है................ "सूरा -अल आराफ 7 :24

(इस तालीम के कारण फिदायीन में अपने जीवन से कोई लगाव नहीं रह जाता है .

@@ (जब लोगों को अपने प्राणों से कोई लगाव नहीं रहता है ,तो अल्लाह उनको लालच देकर उनके प्राण खरीद लेता है ,कुरान कहती है ........
"निस्संदेह अल्लाह ने ईमान वालों से उनके प्राण और माल जन्नत के बदले इसलिए खरीद लिए हैं ,के वह मरते भी रहें और मारते भी रहें "..........सूरा -तौबा -9 :111

"और उन में से कुछ ऐसे भी लोग होते हैं , जो अल्लाह को खुश करने के लिए ,खुद अपना जीवन त्याग देते हैं......................."सूरा -बकरा 2 :207

@@@ (जब फिदायीन का पूरी तरह से ब्रेन वाश जो जाता है ,तो उन से कहा जाता है) ............
"तुम ईमान रखो अल्लाह पर और उसके रसूल पर ,और सिर्फ जिहाद करो अपने प्राणों और साधनों से ,बस तुम्हारे लिए यही उतम कार्य है "........सूरा -अस सफ्फ 61 :11 और 12

@@@ (फिर फिदायीन को मुहम्मद की तरह आतंकवादी बनने कहा जाता है ,जैसा इस हदीस में कहा गया है )
"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा कि अल्लाह ने मुझे आतंक के द्वारा विजय हासिल करने का हुक्म दिया है .और कहा कि मैंने तुम्हें दुनिया की दौलत के खजाने की चाभी तुम्हें सौंप दी है ,और लोगों से कहो कि वह खजाना तुम्हारे हवाले कर दें................... "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 220

@@@ (औरतों बच्चों को धोखे से मारो)
आपको ऐसे हजारों उदाहरण मिल जायेगे कि ,जब जिहादी या फिदायीन ने सैकड़ों निर्दोषों की आत्मघाती बम बन कर हत्या कर दी हो .यह सब ऐसी हदीसों की शिक्षा के कारण है ,इसका एक नमूना देखिये -

"आस बिन अशरफ ने कहा कि हम लोग रसूल के साथ ,अल अबवा यानी वद्दन नाम की पर जगह गए ,तब रात हो गयी थी ,हमने रसूल से पूछा कि रात के समय हमला करना उचित होगा, क्योंकि इस से सोते हुए बच्चे और औरतें भी मारे जायेंगे ,रसूल ने कहा यह सभी काफ़िर हैं और मुझे अल्लाह ने इन पर हमला करने का आदेश दिया है........ "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 256

"जाबिर ने कहा कि रसूल ने हम लोगोंकर से पूछा कि तुम में से कौन है जो काब बिन अशरफ नामके बूढ़े यहूदी को क़त्ल करेगा ,मुस्लिम ने कहा क्या में इतने बूढ़े बीमार को क़त्ल दूँ ...?
रसूल ने कहा हाँ ,तुम उसे मेरे सामने क़त्ल कर दो................. "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस २७०

@@@@ यामुर बिन याहया ने कहा कि रसूल ने हमें बताया जिबरईल सन्देश भेजा है ,जो भी अल्लाह के लिए घर से बाहर निकल कर जिहाद करेगा वह जन्नत में दाखिल होगा .हमने रसूल से पूछा यदि वह व्यक्ति व्यभिचारी और चोरी करने वाला हो तो ?
रसूल बोले हाँ , तब भी ऐसे लोग जन्नत में जायेगे ..... Sahih El-Boukhary chapter 4, section 883, number १३८६

************ अब आप लोग खुद ही सोचो कि... क्या ऐसे जेहादी बनाने वाले कुरान की पढाई करनी अथवा करवानी उचित है...???
उससे भी बुरा ये कि... कुरान को पढ़ाने के लिए ""मदरसों" को प्रोत्साहित करना और उसे अनुदान देना कहाँ तक उचित है...????????

नोट: यह लेख पूर्णतः कुरान की आयतों और हदीसों पर आधारित है.... इसीलिए किसी भी सज्जन अथवा दुर्जन को यदि लेख से कोई कष्ट हो तो वो मुझसे और भी सबूत मांग सकता/सकती है...!!



No comments:

Post a Comment