Tuesday 17 June 2014

विपक्ष के नेता पर जागा कांग्रेस का उसूल


25 साल तक नहीं बनने दिया विपक्ष का नेता, अब उसूलों का हवाला दे रही कांग्रेस

 

लोकसभा में विपक्ष का नेता कौन होगा ? इस सवाल को लेकर राजनीति तेज होती जा रही है। देश की दो सबसे बड़ी पार्टियां-सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच इस मुद्दे को लेकर तनातनी शुरू हो गई है। बीजेपी संविधान और नियमों का हवाला देते हुए कह रही है कि जब तक विपक्ष एकमत होकर किसी एक नेता की अगुआई में दावा पेश नहीं करेगा, तब तक कांग्रेस या किसी एक दल को नेता, विपक्ष का पद कैसे दिया जा सकता है।

वहींकांग्रेस के नेता आबिद रसूल खान ने एक अंग्रेजी समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि बीजेपी को लोकतांत्रिक परंपराओं का ध्यान रखते हुए कांग्रेस को नेता, विपक्ष का पद दे देना चाहिए। हालांकि, आबिद रसूल खान यह भूल गए कि आजाद भारत के इतिहास में करीब 25 साल तक कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए लोकसभा में किसी को भी विपक्ष का नेता नहीं बनाया। 10 जनवरी, 1980 से लेकर 31 दिसंबर, 1984 और फिर 31 दिसंबर, 1984 से लेकर 27 नवंबर, 1989 तक लोकसभा बिना नेता, विपक्ष के चली। इससे पहले भी 1952 से लेकर 1967 तक लोकसभा में नेता, विपक्ष नहीं था। इस तरह आजाद भारत के 67 साल इतिहास में करीब 25 साल तक कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए लोकसभा बिना विपक्ष के नेता के चली।

क्‍या है कांग्रेस की आगे की रणनीति 

बताया जा रहा है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद न मिलने की स्थिति में कांग्रेस राज्य सभा में केंद्र को सहयोग नहीं देगी। कांग्रेस राज्य सभा में बहुमत में है। जनता दल (यू) ने कांग्रेस की ओर एक कदम और बढ़ाते हुए कांग्रेस को लोकसभा में समर्थन देने का एलान किया है। पार्टी ने कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष पद देने की वकालत भी की है। जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा, 'बिहार में इसी तरह की स्थिति में हमारी पार्टी के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को विधानसभा में नेता विपक्ष का दर्जा दिया था।'

क्या हैं नियम 

नियमों के मुताबिक, विपक्ष का नेता बनने के लिए लोकसभा में कम से कम 55 सीटों की जरूरत है। कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं और वह बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन उसके पास 55 से कम सीटें होने की वजह से नेता, विपक्ष के पद पर उसका दावा कमजोर पड़ गया है। अब सत्ता पक्ष को तय करना है कि किस पार्टी को नेता, विपक्ष का पद देना है।   

बीजेपी का पक्ष 

पार्टी के महासचिव सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि अगर विपक्ष गठबंधन बनाकर नेता, विपक्ष के पद पर दावा पेश करे तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी को नेता, विपक्ष का पद कैसे दिया जा सकता है, क्योंकि विपक्ष में बैठने वाली किसी भी पार्टी के पास नियमों के मुताबिक 55 लोकसभा सांसद नहीं हैं। त्रिवेदी ने यह भी कहा कि जहां तक बात संसदीय परंपराओं की है तो कांग्रेस ने न सिर्फ लंबे समय तक लोकसभा में किसी को विपक्ष का नेता नहीं बनने दिया, बल्कि 1975 से 1977 के बीच लगे आपातकाल के दौरान विपक्ष के कई नेताओं को जेल की हवा भी खिलाई।


भईया कांग्रेसी तुम एक बात बताओ की तुमलोग जन्मजात बेशर्म होते हैं या फिर कांग्रेस में आने के बाद बेशर्मी अपने में लाते हो ??????

1971 में कांग्रेस को 352 सीटें मिली थी, दुसरे नंबर पर 25 सीट के साथ माकपा थी, कांग्रेस ने उसे विपक्ष के नेता के तौर पर मान्यता नहीं दी थी

1980 में दुसरे नंबर पर 41 सीटो के साथ चरण सिंह की जनता पार्टी थी,लेकिन कांग्रेस ने उसे विपक्ष के नेता का पद नहीं दिया था

1984 में तेदेपा को 30 सीट मिली थी, पर कांग्रेस ने उसे भी विपक्ष के नेता का पद
नहीं दिया था

......................और आज त्याग की मूर्ति सोनिया ने 44 सीट होने के वावजूद विपक्ष के नेता के पद के लिए लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा, कहा की 10% वाला कोई नियम नहीं है!

!!!!वाह सोनियाजी वाह!!!

हद बेशर्मी है वैसे आपको शर्म नाम की चिड़िया का पता भी है सोनिया जी 

सुना है की आप कभी बार गर्ल थी और शराब पिलाती थी लोगों को ..........

मतलब
"
ओ साकी साकी रे साकी साकी आ पास आ रह ना जाये कोई अरमान बाकि "






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