Sunday 15 June 2014

क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें....


हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है 
और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है 
उसके पीछे कुछ कारण है , अंग्रेजी भाषा में ये 
बात देखने में नहीं आती |
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, , , , ङ- कंठव्य कहे गए,

क्योंकि इनके उच्चारण के समय 
ध्वनि कंठ से निकलती है। 
एक बार बोल कर देखिये |

, , , ,ञ- तालव्य कहे गए, 

क्योंकि इनके उच्चारण के 
समय जीभ तालू से लगती है।
एक बार बोल कर देखिये |

, , , , ण- मूर्धन्य कहे गए, 

क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के 
मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है। 
एक बार बोल कर देखिये |

😀

, , , , न- दंतीय कहे गए, 

क्योंकि इनके उच्चारण के 
समय जीभ दांतों से लगती है। 
एक बार बोल कर देखिये |

, , , , ,- ओष्ठ्य कहे गए, 

क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के 
मिलने पर ही होता है। एक बार बोल 
कर देखिये ।
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हम अपनी भाषा पर गर्व 
करते हैं ये सही है परन्तु लोगो को 
इसका कारण भी बताईये | इतनी वैज्ञानिकता
दुनिया की किसी भाषा मे नही है

जय हिन्द 

,,ग क्या कहता है जरा गौर करें....
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क - क्लेश मत करो

ख- खराब मत करो

ग- गर्व ना करो

घ- घमण्ड मत करो

च- चिँता मत करो

छ- छल-कपट मत करो

ज- जवाबदारी निभाओ

झ- झूठ मत बोलो

ट- टिप्पणी मत करो

ठ- ठगो मत 

ड- डरपोक मत बनो

ढ- ढोंग ना करो

त- तैश मे मत रहो 

थ- थको मत

द- दिलदार बनो

ध- धोखा मत करो

न- नम्र बनो

प- पाप मत करो

फ- फालतू काम मत करो

ब- बिगाङ मत करो

भ- भावुक बनो

म- मधुर बनो

य- यशश्वी बनो

र- रोओ मत

ल- लोभ मत करो

व- वैर मत करो

श- शत्रुता मत करो

ष- षटकोण की तरह स्थिर रहो

स- सच बोलो

ह- हँसमुख रहो

क्ष- क्षमा करो

त्र- त्रास मत करो

ज्ञ- ज्ञानी बनो !

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