Saturday 7 June 2014

रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का कैसा असर होगा ?

जानिए, रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का कैसा असर होगा?


देश के पंद्रहवें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुनावी रैलियों के दौरान कहा करते थे, 'हमें विमान और तमाम हथियार रूस से खरीदने पड़ते हैं, क्यों न हम खुद हथियार और विमान बनाएं और दूसरे देशों को बेचें।' उस वक्त मोदी विरोधियों को यह बात मजाक लगती थी। मगर अब यह सब सच होता दिख रहा है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई लाने की तैयारी कर रही है। जानकारों के मुताबिक मोदी ने यह कदम बहुत सोच समझकर उठाया है। इससे भारत को काफी फायदा होगा और सैन्य क्षमता में इजाफा होगा। इस कदम से न सिर्फ भारत रक्षा उपकरणों का हब बन जाएगा। बल्कि इससे भारत में रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

जानिए, रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का कैसा असर होगा?

सरकार के इस प्रस्ताव पर मांगी गई है राय 

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में सौ फीसदी विदेशी निवेश का कैबिनेट नोट तैयार किया है। कैबिनेट नोट में अलग-अलग सरकारी एजेंसियों से इस प्रस्ताव पर राय मांगी गई है। रक्षा मंत्रालय हमेशा से इस प्रस्ताव के विरोध में रहा है, लेकिन देश के नए वित्त और रक्षा मंत्री अरुण जेटली रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई के हिमायती हैं। 15 पन्नों के कैबिनेट नोट के मुताबिक, एफआईआई सहित पोर्टफोलियो निवेशकों को केवल 49 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति होगी। नोट में कहा गया है कि एक विदेशी कंपनी एक घरेलू इकाई का अधिग्रहण कर सकती है, बशर्ते वह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी लेकर आए। सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक जो कंपनियां भारत को तकनीक सौंपती हैं, उन्हें 50 फीसदी से ज्यादा निवेश की इजाजत दी जा सकती है। मोदी सरकार के इस कदम से भारतीय सेना के आधुनिकीकरण का काम रफ्तार पकड़ सकता है। सूत्रों ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति से रक्षा उपकरणों के लिए आयात बिल घटाने और विनिर्माण क्षेत्र में तेजी लाने व रोजगार सृजन में काफी मदद मिलेगी।


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क्या मिलेगा भारत को

अगर मोदी सरकार यह कदम उठाती है तो रक्षा क्षेत्र में एक अहम बदलाव आने की उम्‍मीद है। रक्षा क्षेत्र में सुधार के साथ साथ भारत के पास कई आधुनिक तकनीकें भी आ सकती हैं, जो आगे चलकर भारतीय सेना को बड़े स्‍तर पर मजबूती देंगी। अगर मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी देती है तो फिर देश में ही बेहतरीन फाइटर जेट्स, वॉरशिप्‍स, जेट्स के इंजन और कई नए आविष्‍कारों को अंजाम दिया जा सकेगा। ऐसा करके अमेरिका और रुस जैसे देशों पर हमारी निर्भरता को काफी हद तक कम भी किया जा सकेगा और यही भारत के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था। अगर सरकार एफडीआई को मंजूरी दे देती है तो यह आर्मी, एयरफोर्स और नेवी तीनों के लिए कारगर साबित होगा। भारत के मौजूदा फाइटर जेट्स काफी पुराने हो चुके हैं। भारतीय सेना अभी अपनी कुल उपकरण और प्रणाली जरूरतों के 70 फीसदी हिस्से का आयात करता है और पिछले एक दशक में रूस, इजरायल और अमेरिका देश का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है।

                                                                                                                   

जानिए, रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का कैसा असर होगा?

फिलहाल रक्षा क्षेत्र में कितनी एफडीआई की है मंजूरी  

अभी तक तो रक्षा क्षेत्र में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग के लिए सिर्फ 26 फीसदी एफडीआई की ही मंजूरी है। लेकिन भारत सरकार के पास यह आजादी है कि वह किसी खास मुद्दे पर अपनी इच्‍छा से विदेशी निवेश को मंजूरी दे सकती है। एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने भी साल 2012 के दौरान रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई की मांग की थी ताकि घरेलू औद्योगिक आधार का विकास हो, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा मिले और बड़े स्तर पर आयात में कमी आए। 


जानिए, रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का कैसा असर होगा?

दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्माता है अमेरिका 
 
अमेरिका के पास विश्व में सर्वाधिक परमाणु हथियार हैं। साथ ही अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा हथियार निर्माता और निर्यातक देश भी है। इस तथ्य की पुष्टि 31 जनवरी 2014 को जारी हुई स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीटयूट’ (SIPRI) की सालाना रिपोर्ट से हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व के शीर्ष 100 हथियार निर्माताओं की सूची में अमेरिका सर्वोच्च स्थान पर है। रिपोर्ट से यह भी उजागर हुआ है कि वैश्विक स्तर पर हथियारों की बिक्री में अमेरिका की बादशाहत कायम है। SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार विश्व की 100 शीर्ष हथियार निर्माता कंपनियों पर पहले दो पायदान पर अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन कॉर्पऔर बोंइगहैं। 
 
दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है भारत
 
युद्ध से जुड़े साज-ओ-सामान का आयात करने वाले देशों में भारत सबसे बड़ा आयातक देश है। चीन दूसरे नंबर पर और उसके बाद द. कोरिया और पाकिस्तान का नंबर है। स्वीडन की स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय हथियार हस्तांतरण विषयक शोध के नवीन आंकड़ों के हिसाब से भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है। इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006 से 10 के दौरान दुनिया के कुल हथियारों के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी नौ फीसद रही। भारत को करीब 82 फीसदी हथियारों का निर्यात रूस से किया गया। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006-10 की अवधि में परंपरागत हथियारों के चार बड़े खरीदार एशिया महाद्वीप में ही थे। इससे पहले 1992 में भारत दुनियाभर में सबसे अधिक हथियार खरीदने वाला देश बना था।







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