Thursday 5 June 2014

हिन्दू संगठित कैसे हों ?


प्रश्न उठता है हिन्दूवादी संगठन कौन करेगा?
हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिये हिन्दूवादी कहाँ से आयेंगे ?
अगर आप का उत्तर है कि वह वक्त आने पर हो जायेगाया हम करेंगेतो वह कभी नहीं सफल होगा। आजकल हमका अर्थ कोई दूसरा करेगालगाया जाता है और हम उस में अपने आप को शामिल नहीं करते हैं। इस लिये अब सच्चे देश भक्तों को कर्मयोगी बन कर यह संकलप करना होगा कि यह संगठन मैं करूँगा और देश की पहली हिन्दूवादी इकाई मैं स्वयं बन जाऊँगा
अपनी सोच और शक्ति को हमसे मैंपर केन्द्रित कर के इसी प्रकार से आगे भी सोचना और करना होगा। अब मुझे किसी दूसरे के साथ आने का इन्तिजार नहीं है। मुझे आज से और अभी से करना है अपने आप को हिन्दू-राष्ट्र के प्रति समर्पित इकाई बनाना है। सब से पहले अपनी ही सोच और जीवन शैली को बदलना है। मुझे ही मन से, वचन से और कर्म से सच्चा हिन्दूवादी बनना है।केवल यही मानस्किता हिन्दूवादियों को संगठित कर सकती है जो हिन्दू राष्ट्र के सपने को साकार करेंगे। दूसरों को उपदेश देने से कुछ नहीं होगा।
कर्म ही धर्म है
जैसे किः-
अपने निकटतम हिन्दू संगठन से जुड कर कुछ समय उन के साथ बिताऊँ ताकि मेरा मानसिक, बौधिक और सामाजिक अकेलापन दूर हो जाये। मेरे पास कोई संगठन न्योता देने नहीं आयेगा, मुझे स्वयं ही संगठन में आपने आप जा कर जुडना है
अपने देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी को सीखूं, अपनाऊँ और फैलाऊँ। जब ऐक सौ करोड लोग इसे मेरे साथ इस्तेमाल करेंगे तो अन्तर्राष्ट्रीय भाषा हिन्दी ही बनेगी। मुझे अपने पत्रों, लिफाफों, नाम प्लेटों में हिन्दी का प्रयोग करना है। मैं अंग्रेजी का इस्तेमाल सीमित और केवल अवश्यकतानुसार ही करूंगा
मुझे किसी भी स्वार्थी, भ्रष्ट, दलबदलू, जातिवादी, प्रदेशवादी, अल्पसंखयक प्रचारक और तुष्टिकरण वादी राज नेता को निर्वाचन में अपना वोट नहीं देना है और केवल हिन्दू वादी नेता को अपना प्रतिनिधि चुनना है 
मुझे उन फिल्मों, व्यक्तियों और कार्यों का बहिष्कार करना है, जो मेरे ही धन से, कला और वैचारिक स्वतन्त्रता के नाम पर हिन्दू विरोधी गतिविधियाँ करते हैं

मुझे जन्मदिन, विवाह तथा अन्य परिवारिक अवसरों को हिन्दू रीति रिवाजों के साथ आडम्बर रहित सादगी से मनाना है और उन्हें विदेशीकरण से मुक्त रखना है
जन-जागृति के लिये पत्र पत्रिकाओं तथा अन्य प्रचार स्थलों में लेख लिखूँगा, और दूसरे साथियों के विचारों को पढूँगा। हिन्दूओं के साथ अधिक से अधिक मेल-जोल करने के लिये मैं स्वयं अपने निकटतम घरों, पार्को, मन्दिरों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जा कर उन में दैनिक जीवन के सामाजिक तथा राजनैतिक विषयों पर विचार-विमर्श करूँगा
मैं अपने देश में किसी भी अवैध रहवासी अथवा घुसपैठिये को किसी प्रकार की नौकरी य़ा किसी प्रकार की सहायता नहीं दूंगा। मैं अवैध मतदाताओं के सम्बन्ध में पुलिस तथा स्थानीय निर्वाचन आयुक्त को सूचित करूंगा ताकि उन के नाम सूची से काटे जा सकें
अपने निजी जीवन में उपरोक्त बातों को अपनाने का भरसक और निरन्तर प्रयत्न करते रहने के साथ साथ अपने जैसा ही कम से कम ऐक और सहयोगी अपने साथ जोडूँगा ताकि मैं अकेला ही ऐक से ग्यारह की संख्या तक पहुँच सकूँ।( इस का मतलब है कि मैं '' को जोडु़गा,'' '' को जोडेगा ,'' '' को जोड़ेगा और सिलसिला इसे तरह से चलता रहेगा)
संगठित प्रयास
जब ऐक से ग्यारह की संख्या हो जाये तो समझिये आपका संगठन तैय्यार हो गया। यह संगठित टोली अब आगे भी इस तरह अपने आप को मधुमक्खी के छत्ते की तरह अन्य टोलियों के साथ संगठित कर के अपना विस्तार और सम्पर्क तेजी से कर सकती है।
http://www.facebook.com/ashutoshsir2020

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