Saturday 7 June 2014

मोदी सरकार के 7 दिन के फैसलों

मोदी सरकार के 7 दिन: जानिए इस दौरान हुए विवाद और फैसलों को


 लोगों की उम्‍मीदों के पंख पर सवार होकर पीएम की कुर्सी तक पहुंचे नरेंद्र मोदी की सरकार बने अब 7 दिन हो चुके हैं। हफ्ते भर से कुछ वक्‍त पहले तक नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे और आज वह देश के पीएम हैं। पीएम बनने के बाद मोदी ने ताबड़तोड़ ढंग से कई फैसले किए जिनमें से कुछ की तारीफ हो रही है और तो कुछ की निंदा भी।

'पेपरलेस पार्लियामेंट' का सपना होगा पूरा 

मोदी के सत्‍ता में आने के बाद सरकार के कामकाज को तेज और स्मार्ट बनाने के लिए कई कवायदें की गईं। उधर, मोदी की टेकसेवी छवि और पहली बार संसद पहुंचे जन प्रतिनिधियों की अच्‍छी-खासी संख्‍या के मद्देनजर अधिकारियों को उम्‍मीद है कि पेपरलेस पार्लियामेंट (संसद में कागज का न्‍यूनतम इस्‍तेमाल) का सपना पूरा हो सकेगा। पेपरलेस पार्लियामेंट के इस परिकल्‍पना के तहत सांसदों को प्रिलोडेड एप्लिकेशन वाले टैबलेट दिया जाना, पेपर स्लिप्‍स के बजाए ऑनलाइन मेसेजिंग सिस्‍टम का इस्‍तेमाल, सदन की कार्यवाही का लाइव वेब प्रसारण और सांसदों को इसके लिए खास ट्रेनिंग प्रोग्राम मुहैया कराना शामिल है।

मोदी सरकार के 7 दिन: जानिए इस दौरान हुए विवाद और फैसलों को

सरकार की वर्किंग स्‍टाइल में आए 5 बड़े बदलावों के बारे में 

पीएम बनने के बाद मोदी की‍ निजी जिंदगी से लेकर उनके काम करने के माहौल तक में फर्क आया है। गुजरात में मोदी के दफ्तर स्वर्णिम संकुल को देखने वाले लोग साऊथ ब्‍लॉक स्थित पीएम दफ्तर को  कमतर महसूस करते हैं।

मोदी से मुलाकात करके लौटे एक शख्‍स का कहना है कि गांधीनगर स्थित मोदी का पूर्व दफ्तर ज्‍यादा आधुनिक, चमकदार और पॉश है। 120 करोड़ रुपए की लागत से बने इस इमारत में प्राकृतिक रोशनी भरपूर रहती है और सूर्यास्‍त तक मोदी को लाइट्स जलाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। वहीं, पीएमओ का दफ्तर पुराने स्‍टाइल में बना हुआ है। जानकारों के मुताबिक, मोदी अगर चाहते तो वह पीएमओ स्थित अपने दफ्तर में मनमुताबिक बदलाव करा सकते थे, लेकिन उन्‍होंने ऐसा नहीं किया। वहीं, प्रधानमंत्री निवास में शिफ्ट होने से पहले भी उन्‍होंने वहां किसी किस्‍म के बदलाव की इच्‍छा नहीं जताई। मोदी की पसंद स्‍कॉपिर्यो कार होने की बात सामने आने पर कंपनी ने मोदी के मुताबिक कार में मोडिफिकेशन करने की पेशकश की थी, लेकिन उन्‍होंने प्रधानमंत्री के लिए पहले से तय बीएमडब्‍ल्‍यू कार को ही अपनी सवारी बनाने का फैसला किया। 

मोदी के कार्यशैली की वजह से सरकारी कामकाज में बीते एक हफ्ते में आए चेंज पर नजर डालें तो ये प्रमुख बिंदु नजर आते हैं  

1. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पीएमओ में बहुत सारे  कर्मचारी निजी स्‍तर पर उनसे पहचान बनाने में नाकाम रहे। कुछ ने तो बस मनमोहन को गाड़ी से उतरते और चढ़ते देखा, वहीं मोदी ने कार्यकाल संभालने के तीसरे दिन ही पीएमओ में चहलकदमी की और स्‍टाफ की वर्किंग और उनकी परेशानियों के बारे में जाना। 

2. पीएम का पद संभालने वाले दिन ही पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात। इसके अलावा, सार्क देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात। मोदी ने अपने काम करने के तरीके से बता दिया कि वह अहम मुद्दों पर देरी करने में भरोसा नहीं रखते और उन्‍हें किसी पूर्व तैयारी की जरूरत नहीं है। 

3. कुछ मामलों में नरेंद्र मोदी काफी जल्‍दबाजी में भी नजर आए। ट्राई के चेयरमैन रहे नृपेंद्र मिश्रा को पद संभालने के कुछ घंटे के अंदर ही आपातकालीन अधिकारों का इस्‍तेमाल करते हुए अपना मुख्‍य सचिव बनाया। इसके लिए पीएमओ ने टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्‍ट 1977 में विधेयक लाकर बदलाव किया। इस कदम की कुछ आलोचना भी हुई। 

4. आलोचक यह मानते रहे हैं कि यूपीए सरकार में कई पावर सेंटर थे। मोदी की कैबिनेट पर नजर डालें तो पता चलता है कि उन्‍होंने ऐसी कोई गुंजाइश बाकी ही नहीं छोड़ी। उनके हर कदम की राजनीतिक समीक्षा करने पर यही पता चलते है कि मोदी ही अपनी सरकार के सर्वेसर्वा हैं। 

5. पिछली सरकार में मंत्रियों की नियुक्ति बहुत कुछ उनके अनुभव और कद के मुताबिक की गई, लेकिन मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में कुछ नए लोगों को मौका देकर नई शुरुआत की। निर्मला सीतारमण, स्‍मृति ईरानी, प्रकाश जावड़ेकर समेत कई नाम इनमें शामिल हैं। पीएम के इस सेलेक्‍शन की आलोचना भी हुई। 

मोदी सरकार के पांच बड़े  फैसले

मोदी सरकार के 7 दिन: जानिए इस दौरान हुए विवाद और फैसलों को

1. सरकार बनते ही नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने ब्‍लैकमनी पर एसआईटी के गठन को मंजूरी दे दी। यह मुद्दा काफी वक्‍त से टल रहा था। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि मोदी इस फैसले को टाल भी नहीं सकते थे क्‍योंकि इसमें सुप्रीम कोर्ट ने डेडलाइन तय कर दी थी। 

2. जीओएम भंग 
हर नीतिगत मसले और विवादों को जीओएम (मंत्री समूह) व ईजीओएम (उच्चाधिकार प्राप्त मंत्री समूह) के हवाले करने की यूपीए सरकार की परिपाटी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खत्म करने का फैसला किया। इस फैसले से साफ हो गया है कि अब सरकार में कैबिनेट मंत्रियों को फैसले लेने की आजादी मिलेगी, साथ ही जवाबदेही भी तय होगी।

3. मोदी ने कई मंत्रालयों को मिलाकर सुपर मिनिस्‍ट्री बनाने का फैसला किया और मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्‍सीमम गवर्नेंस के वादे को निभाने की कोशिश की। जानकार मानते हैं कि एक कैबिनेट मंत्री को कई मंत्रालय की जिम्‍मेदारी देकर मोदी ने ब्‍यूरोक्रेट्स की भूमिका बढ़ा दी है।  


4. मोदी सरकार ने यूपीए 2 के कार्यकाल के आखिरी दिनों में कुछ नेताओं को अलॉट किए गए बंगलों के आदेश को पलट दिया। इससे लालू प्रसाद यादव समेत कई बड़े नेताओं के बंगले उनसे छिन जाएंगे। बता दें कि हाल ही में एक आरटीआई से साफ हुआ था कि दो दर्जन के करीब पूर्व मंत्री तयशुदा से ज्‍यादा वक्‍त से सरकारी बंगलों में रह रहे थे। 

5. मोदी ने अपने सभी मंत्रियों को 18 घंटे रोज काम करने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया। उन्‍हें 10 सूत्रीय एजेंडा दिया और 100 दिन का प्‍लान भी मांगा। इसके अलावा, अपने मंत्रियों काे कहा कि वे अपने रिश्‍तेदारों को पीए  के तौर पर तैनात न करें। सभी मंत्रियों को हफ्ते में 6 दिन काम करने के लिए भी कहा गया है।

पांच बड़े विवाद 

1 स्‍मृति ईरानी को मानव संसाधन मंत्रालय दिए जाने की खासी आलोचना हुई। मधु किश्‍वर से लेकर कांग्रेस तक ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए ईरानी की शैक्षिक योग्‍यता पर सवाल उठाए। हालांकि, बाद में इस मसले पर कांग्रेस खुद बंटी नजर आई और बीजेपी के हमलावर होने के बाद मामला दब गया। वहीं, गोपीनाथ मुंडे की शैक्षिक योग्‍यता पर भी सवाल उठा है। 

2. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री संजीव बालियान पर निशाना साधा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि संजीव बालियान को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया है जो कि हाल में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी हैं। क्या इससे भी कुछ संदेश जाता है? बता दें कि संजीव बालियान को मोदी सरकार में कृषि राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। 

मोदी सरकार के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बयान दिया कि केंद्र की नई सरकार जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 की खूबियों और खामियों पर खुली बहस को तैयार है। इस बयान पर विवाद गहरा गया, जिसके बाद जितेंद्र सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के बारे में उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर मीडिया में पेश किया गया।

मोदी ने पहले ही मंत्रियों और सांसदों को अपने परिवार के सदस्यों को पीए, पीएस तथा प्रतिनिधि बनाने से मना किया था। इसके बावजूद, एेसा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाराबंकी से नवनिर्वाचित भाजपा सांसद प्रियंका सिंह रावत को अपने पिता उत्तम राम को अपना सांसद प्रतिनिधि बनाने पर फोन कर फटकार लगाई। 

5. मनपसंद मंत्रालय न मिलने से शिवसेना के खफा होने की खबरें आईं। इसके बाद, बिहार बीजेपी में भी अंसतोष की बात सामने आई। 

मोदी सरकार से क्‍या है उम्‍मीद आम जनता को 

मोदी सरकार के 7 दिन: जानिए इस दौरान हुए विवाद और फैसलों को

मोदी सरकार के शुरुआती एक हफ्ते के कामकाज से लोगों को कई मुद्दों पर तुरंत कार्रवाई होने की उम्‍मीद है।

1.ब्‍लैकमनी: सरकार द्वारा ब्‍लैकमनी के मामले पर एसआईटी का गठन किए जाने के बाद यह उम्‍मीद जगी है कि विदेशी बैंकों में रखे अरबों की दौलत को देश वापस लाए जाने की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाया जाएगा।  

2 महंगाई को कम करना: देश के नए वित्‍त मंत्री बजट लाने की तैयारी कर रहे हैं। उधर, सरकार जल्‍द ही रिजर्व बैंक के मुखिया से मुलाकात कर ठोस आर्थिक रणनीति बनाने के मूड में दिख रही है। जनता को उम्‍मीद है कि सरकार के किसी भी कवायद से महंगाई से फौरी तौर पर राहत मिल सकेगी। 

3 गंगा की सफाई: मोदी द्वारा चुनावी प्रचार में गंगा की सफाई का वादा करने के बाद जनता को उम्‍मीद है कि सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी। बता दें कि इससे पहले की सरकारें इस मामले में करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उधर, पीएम मोदी ने इस मामले का एक अनोखा हल निकाला है। इसके तहत, एक प्रयोग के तहत वाराणसी के सबसे अहम घाटों की साफ-सफाई और मेंटेनेंस का जिम्‍मा ट्रायल के तौर पर भारत की कुछ बड़ी कंपनियों को दी जाएंगी। उधर, वाराणसी में बुनकरों के हालात ठीक करने की दिशा में भी मोदी को काफी कुछ करना है। 

4  पाक समर्थित आतंकवाद पर लगाम : मोदी ने पीएम बनते ही पाक के साथ रिश्‍तों को सही करने की जो कोशिशें दिखाई, उससे यह उम्‍मीद हो चली है कि पाक समर्थित आतंकवाद और सीमा पार पर होने वाले सीजफायर के उल्लंघन के मामलों में कमी आएगी। इसके अलावा, अगर दोनों देश के बीच रिश्‍ते सुधरे तो भारत की आंतरिक सुरक्षा की बेहतरी की भी उम्‍मीद जगेगी। 

5. बेहतर जनसुविधाओं की उम्‍मीद: मोदी ने एक्‍शन में आते ही जिस तरह मंत्रियों को एक्टिव रहने, सादगी बरतने और ज्‍यादा से ज्‍यादा काम करने का आदेश दिया है, उससे उम्‍मीद की जा रही है कि सरकारी मंत्रालयों से लेकर जनसेवाओं से जुड़े दफ्तरों की कार्यशैली में बदलाव आएगा। इसके अलावा, जनसेवाओं तक आम नागरिक तक पहुंच को आसान बनाए जाने की भी उम्‍मीद है।









  


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