Wednesday 18 June 2014

रजामंदी से बने शारीरिक संबंध रेप नहीं

सहमत‌ि से संबंध रेप नहीं


सहमत‌ि से संबंध रेप नहीं
अदालत ने विवाह का झांसा देकर रेप करने के मामले में आरोपी पुनीत कुमार त्रिपाठी को रिहा कर दिया। अदालत ने कहा कि साक्ष्यों से स्पष्ट है कि उसके साथ जबरदस्ती नहीं की गई बल्कि उसकी रजामंदी से शारीरिक संबंध बने थे। 
ऐसे में यह मामला रेप का नहीं बनता।
साकेत अदालत स्थित भरत पराशर ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयानों से भी स्पष्ट है कि आरोपी पुनीत व उसके बीच शारीरिक संबंध विवाह के वायदे पर हुए थे।


पांच साल से थे युवक-युवती में संबंध
अदालत ने कहा कि जबकि आरोपी ने पीड़ित से शारीरिक संबंध उसकी रजामंदी से बनाए थे और उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की गई। अदालत ने कहा सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को रेप नहीं कहा जा सकता।

अदालत ने कहा कि इसके अलावा घटना पांच वर्ष पूर्व हुई और यह नहीं माना जा सकता कि पांच वर्ष तक आरोपी विवाह के नाम पर उससे रेप करता रहा हो। स्पष्ट है कि शारीरिक संबंध में दोनों बराबर के जिम्मेदार है।


य‌ुवती की मां ने कराई थी श‌िकायत
अदालत ने कहा कि पीड़िता ने जब शारीरिक संबंध रजामंदी से बनाए तो उसके अपहरण का सवाल ही नहीं उठता। अदालत ने आरोपी और उसके दोस्त को अपहरण के आरोप से भी बरी कर दिया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार युवती की मां ने वसंत कुंज नार्थ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई थी कि पुनीत ने उसकी पुत्री से रेप किया और किसी को भी बताने पर हत्या की धमकी दी है।





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