Saturday 7 June 2014

गंगा और यमुना का होगा कायाकल्प

अब गंगा और यमुना का होगा कायाकल्प


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालते ही देश की दो प्रमुख नदियों-गंगा और यमुना के कायाकल्प की आस बंधी है। मोदी ने दिल्ली में बदसूरत हो चुकी यमुना नदी की सफाई और सुंदरीकरण की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली सरकार, दिल्ली जल बोर्ड, टूरिजम और इन्वाइरनमेंट डिपार्टमेंट के साथ मीटिंग की। इसमें डीडीए ने भी अपनी प्रेजेंटेशन रखी।

डीडीए के सूत्रों के मुताबिक परिवहन भवन में हुई इस मीटिंग में नितिन गडकरी को बताया गया कि वह किस तरह से यमुना को साबरमती नदी जैसा बनाया जा सकता है। फिर यमुना के भी दोनों ओर हरा-भरा घास का मैदान और बाग-बगीचा होगा। जहां लोग घूमने-फिरने और पिकनिक मनाने भी आ सकते हैं। प्रेजेंटेशन में यह भी बताया गया कि भविष्य में यमुना को किस तरह से ट्रांसपोर्ट के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें गिरने वाले 22 नालों के गंदे पानी से किस तरह से निपटा जा सकता है। 

कैसे गंगा का होगा उद्धार: 


 अब गंगा और यमुना का होगा कायाकल्प

देश की कई नदियों और घाटों का चेहरा बदलेगा 

गंगा समेत देश की प्रमुख नदियों को लेकर केंद्र की योजना पर सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में काम शुरू हो गया है। एक ओर वाराणसी के दशाश्वमेध घाट सहित दस प्रमुख घाटों को विकसित करने के लिए देश की नामी प्राइवेट कंपनियां आगे आई हैं। इसी तरह गंगा, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी और महानदी को जोड़कर जल परिवहन ग्रिड तैयार करने की बेहद महत्वाकांक्षी योजना जहाजरानी मंत्रालय ने तैयार कर ली है।
पर्यटन मंत्रालय की पहल पर होटल और पर्यटन क्षेत्र की शीर्ष कंपनियां वाराणसी के दस प्रमुख घाटों के विकास और रखरखाव के लिए आगे आई हैं। ताज और ललित समूह सहित इस क्षेत्र की शीर्ष कंपनियां इनमें शामिल हैं। ये कंपनियां अपनी सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) गतिविधि के तौर पर इन घाटों को विकसित करेंगी। कंपनियां वाराणसी नगर निगम के साथ एक समझौता पत्र पर दस्तखत करेंगी, जिसके तहत वे यह जिम्मेदारी अपने ऊपर लेंगी। 

पर्यटन मंत्रालय इन घाटों को बेहतर करने की 18 करोड़ की अपनी योजना पर अलग से भी काम कर रहा है। जहाजरानी मंत्रालय ने गंगा, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी और महानदी को जोड़कर जलमार्ग विकसित करने की योजना बनाई है। 25 हजार करोड़ की इस प्रस्तावित योजना के जरिए इन प्रमुख नदियों में साल भर जल का प्रवाह सुनिश्चित कर इस जलमार्ग से माल की ढुलाई की जा सकेगी।

मंत्रालय का मानना है कि इस तरह से होने वाली माल ढुलाई की लागत सड़क और रेल के मुकाबले सस्ती होगी। साथ ही इससे नदियों का जलस्तर भी बेहतर बन सकेगा। गंगा सहित इन प्रमुख नदियों में प्रदूषण की समस्या का भी समाधान किया जा सकेगा।


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