Tuesday 17 June 2014

वर्ण व्यवस्था एवं छुआ-छूत.....अरबी मुस्लिमों की एक कुरीति ...



मुस्लिम और उनके सरपरस्त सेक्यूलरों द्वारा अक्सर ही यह अफवाह उड़ाई जाती है कि.... हमारा हिन्दू धर्म..... पूर्व काल में ....वर्ण व्यवस्था एवं छुआ-छूत जैसी कुरीतियों से भरा पड़ा था ... इसीलिए, बहुत से दलित हिन्दू ... पहले बौद्ध और फिर इस्लाम की ओर आकर्षित हो गए....!

लेकिन... ऐसा कहने वालों के पास इस बात का जबाब नहीं होता है कि..... अगर ऐसा ही था.... तो, 

हिन्दुओं के आराध्य भगवान राम ..... ब्राह्मण ना होकर एक क्षत्रिय थे.... और, भगवान कृष्ण भी यदुवंशी थे..... जिन्हे आज OBC में ही गिना जाता है..... 

फिर अगर , उस समय के समाज मे छुआ-छूत मौजूद होते तो, ..... गैर-ब्राह्मणों को भगवान के रूप में मान्यता कैसे मिल गयी ...???

सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि.... महर्षि व्यास, बाल्मीकि इत्यादि तो अति पिछड़े वर्ग के होते हुए भी .... ब्राह्मणों तक के लिए पूजनीय थे...

कहने का तात्पर्य है कि..... मुस्लिम और सेक्यूलरों द्वारा कहने जाने वाली कहानी में कहीं न कहीं कोई बड़ा झोल जरूर है... तभी वे तर्कसंगत जबाब नहीं दे पाते हैं...!

और वो झोल ये है कि.... हम हिन्दुओं में वर्ण व्यवस्था तो जरूर थी.... लेकिन, छुआ-छूत जैसी कुरीतियां नहीं थी..... क्योंकि, इसका कोई कारण ही नहीं था....!

जबकि .. इसके उलट .... अरब में .... इस्लाम का प्रादुर्भाव होने के उपरान्त.... वहां कबीलाई झगड़ा अपने चरम पर था.... और, एक कबीले के लोगों द्वारा ..... दूसरे कबीले के अनाज, पशु और औरत को लूट लाना आम बात थी....!

इसीलिए..... अरब में मुस्लिमों ने .... अपनी औरतों को दूसरे कबीले के लुटेरों से बचाने के लिए.... उन्हें घर में ही रखना शुरू कर दिया ..... और, उनके दैनिक कार्यों की व्यवस्था घर के अंदर ही कर दी.... जिसे बाद में परिवार के ही किसी "अन्य सदस्य द्वारा"... घर के बाहर फेंका अथवा फिंकवा दिया जाता था... (प्रारंभिक मेहतर प्रथा ).

कालांतर में... जब उन तुर्क मुस्लिम लुटेरों ने .... हमारे हिंदुस्तान पर आक्रमण किया तो... उन्होंने अपनी ये कुरीतियां अपने साथ हमारे हिंदुस्तान में ले आयीं .... और, वे हिंदुस्तान में अपने युद्धबंदियों ( जो कि हिन्दू थे ) से ये काम करवाने लगे ....!

उसके बाद .... जब हमारे हिंदुस्तान में मुगलों का शासन हो गया तो..... वे यहाँ के बहुसंख्यक हिन्दुओं को .... तलवार के जोर पर ....इस्लाम ग्रहण करने के लिए दबाव बनाने लगे ... साथ ही उन्हें लोभ देने लगे....!

जिससे कायर हिन्दुओं की एक बड़ी संख्या .... मुस्लिम हो गये ....

परन्तु... जिन हिन्दुओं को अपनी आन प्यारी थी.... उन्होंने मुगलों की बात मानने से इंकार दिया ... और, उन मुगलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया...!

मुगलों के साथ इस लड़ाई में ..... युद्ध हार जाने के बाद .... उन्हें अपमानित करने के लिए..... मुगलों ने उन सैनिकों और सेनापतियों को ..... अपने हरम में..... मैला उठाने के काम में लगा दिया ...... जिसमे उस समय ... युद्ध बंदियों की पत्नियों और बहन बेटियों को .... मुग़ल सुल्तान ..... जबरन अपनी रखैल बना कर रखा करते थे...!

चूँकि.... हमारे हिंदुस्तान में मुगलों का शासन काफी समय तक रह गया.... इसीलिए, कुछ समय बाद ये कुरीति .... राजमहल के बाहर भी फ़ैल गयी और.... अमीर लोग .... उन ""राजकीय दास"" से...... "पैसे के बदले ये सेवा".... लेने लगे....!

और, चूँकि...... इस काम की शुरआत ही .....हिन्दू युद्धवीरों और जांबाजों को अपमानित करने के लिए किया गया था.... इसीलिए, उनकी बस्तियां और खाने-पीने का प्रबंध भी शहर से बाहर कर दिया गया ताकि, वे घबरा कर इस्लाम कबूल कर लें...!

परन्तु.... हम सभी को ..... अपने उन हिन्दू युद्धवीरों और जांबाजों के दृढ संकल्प के आगे नतमस्तक होना चाहिए कि.... उन्होंने सारे अपमान और दुःख को सहते हुए भी..... अपना धर्म नहीं छोड़ा और इस्लाम को दुत्कार दिया...!

उसके बाद... तरीके से ..... मुग़ल सल्तनत के कमजोर पड़ते ही.... हिन्दुओं को .... उन अपमान झेलते हिन्दू युद्धवीरों और जांबाजों को गले लेना चाहिए था और उन्हें हिन्दू धर्म के प्रति दी गयी इस बलिदान के लिए सम्मानित किया जाना चाहिए था....!

लेकिन... हम हिन्दुओं से एक बड़ी गलती फिर हो गयी..... और, हिन्दुओं ने उन्हें गले लगाने की जगह .... उसे वंशवादी कार्य बना दिया... और, अपने ही संगठित समाज में जहर का बीज बो दिया.... जिससे आगे चलकर ... एकीकृत और मजबूत हिन्दू समाज .... छोटी-छोटी जातियों में विभक्त होकर .... आपस में ही लड़ने लगे .... जो आज भी जारी है...!

इस तरह.... अरबी मुस्लिमों की एक कुरीति ..... हम हिन्दुओं की बेवकूफी और अदूरदर्शिता के कारण..... हम हिन्दुओं के विनाश का कारण बन गयी...!


No comments:

Post a Comment