Thursday 19 June 2014

हिंदी बनेगी मोदी सरकार के माथे की बिंदी

सरकारी काम होगा हिंदी में


सरकारी काम होगा हिंदी में
राजभाषा सप्ताह मनाकर हर साल सरकारी कामकाज हिंदी में करने की रस्म अदायगी फिलहाल अतीत की बात होने जा रही है। केंद्र सरकार ने सभी सरकारी कामकाज हिंदी मे किए जाने का निर्णय किया है।

बृहस्पतिवार को इस आशय का निर्देश जारी करते हुए गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने कहा कि नई सरकार सभी विभागों एवं सार्वजनिक जीवन में हिंदी मे कामकाज को बढ़ावा देगी। हालांकि सरकार के इस फैसले पर द्रमुक ने सख्त नाराजगी जाहिर की है।

इसके बाद सरकार ने साफ किया कि हिंदी भाषा को बढ़ावा दिए जाने का मतलब यह नहीं है कि दूसरी भाषाओं की सरकार उपेक्षा कर रही है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बृहस्पतिवार को ही शुरू हुए ट्विटर एकाउंट पर मंत्रालय की ओर से सफाई देते हुए कहा गया कि सभी भारतीय भाषाएं महत्वपूर्ण हैं और सरकार उनके संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।


मोदी ने संसद में अपने भाषण में थी घोषणा
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि नई सरकार सभी विभागों एवं सार्वजनिक जीवन में हिंदी के इस्तेमाल पर जोर देगी। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि सरकार अन्य भाषाओं को कमतर देख रही है।

सरकार ने निर्णय किया है कि हम विभिन्न विभागों एवं सार्वजनिक जीवन में हिंदी के प्रोत्साहन को प्राथमिकता देंगे क्योंकि यह हमारी राजभाषा है। उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी पहचान, संस्कृति, भाषा और विविधता के साथ तरक्की करनी है। हमें एक साथ आगे बढ़ना है। इसलिए हिंदी भाषा को बढ़ावा दिए जाने को अन्य भाषाओं को कमतर आंकना सही नहीं है।


राजभाषा विभाग की बुलाई बैठक
गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को प्रमुखता देने के लिए बृहस्पतिवार को राजभाषा विभाग की बैठक बुलाई थी। उन्होंने इस बैठक में साफ कहा कि हिंदी राजभाषा है, इसलिए इसको बढ़ावा दिया जाना भी स्वाभाविक है।

द्रमुक ने जताई नाराजगी

60 के दशक मे तमिलनाडु मे हिंदी विरोधी आंदोलन चलाने वाले द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने सोशल मीडिया में हिंदी को प्राथमिकता देने के लिए राजग सरकार के कथित निर्देश का विरोध किया है।

उन्होंने हिंदी को प्राथमिकता दिए जाने को गैर हिंदी भाषी लोगों के साथ भेदभाव करने और उन्हें दूसरे दर्जे के नागरिक मानने के प्रयास की दिशा मे पहला कदम बताया है।

उन्होंने सवाल किया कि हिंदी को संविधान की आठवीं अनुसूची की अन्य भाषाओं के मुकाबले में प्राथमिकता क्यों दी जानी चाहिए। करुणानिधि ने कहा कि सरकारी कामकाज हिंदी मे करने की बाध्यता के बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आर्थिक वृद्धि एवं सामाजिक विकास पर ध्यान देना चाहिए।




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