Thursday, 11 December 2014

1971 = 2000 पाकिस्तानी सैनिकों पर भारी पड़े थे 120 भारतीय जवान


१९७१: लोंगेवाला पोस्ट पर २००० पाकिस्तानी सैनिकों पर भारी पड़े थे १२० भारतीय जवान

लोंगेवाला में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा छोड़ दिए गए टैंक के साथ तस्वीर खिंचवाते भारतीय जवान।

नई दिल्ली - १९७१ में भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ी जंग में राजस्थान के लोंगेवाला पोस्ट पर हुआ संघर्ष एक टर्निंग प्वाइंट माना जाता है। भारत ने पाकिस्तान को यहां ऐसी धूल चटाई, जिसका दूरगामी असर उसके मनोबल पर पड़ा था। राजस्थान के थार के रेगिस्तान में भारत और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच यह संघर्ष ४-५ दिसंबर को हुआ। लोंगेवाला पोस्ट आज इंडो-पाक पिलर ६३८के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान ने यहां से घुसने की कोशिश तो की, लेकिन कामयाब नहीं हो सका। इस जंग को १९९७ की ब्लॉकबस्टर फिल्म बॉर्डरमें भी दिखाया गया है। इस फिल्म में सनी देओल ने जंग के हीरो रहे मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार निभाया था। कुलदीप सिंह चांदपुरी को उनकी बहादुरी के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस जंग में भारतीय पक्ष से दो जवान शहीद हुए, जबकि पाकिस्तान को अपने २०० सैनिक गंवाने पड़े। इसके अलावा, उसके ३४ टैंक और ५०० से ज्यादा हथियारबंद वाहन बर्बाद हो गए।

२००० सैनिकों के साथ पाक ने की थी चढ़ाई

२ हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक लोंगेवाला में नाश्ता, रामगढ़ में लंच और जोधपुर में डिनरका सपना लिए आधी रात को भारतीय सीमाओं की ओर बढ़े थे। हालांकि, सुबह भारतीय एयरफोर्स की जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर हो गया था। पंजाब रेजीमेंट के १२० जवानों के अलावा बीएसएफ के कुछ सुरक्षाकर्मियों ने २ हजार से ज्यादा पाकिस्तानियों को खदेड़ दिया।

चमत्कार से कम नहीं थी जीत

इस पोस्ट पर भारत को मिली जीत किसी चमत्कार से कम नहीं थी। मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी यहां पंजाब रेजीमेंट की २३वीं बटालियन के साथ जमे हुए थे। पाकिस्तान की ओर से हमला हुआ तो उन्होंने हेडक्वॉर्टर से बैकअप मांगा, लेकिन सुबह से पहले मदद आने की कोई उम्मीद नहीं थी। ऐसे में एक बटालियन ने पूरी की पूरी पाकिस्तानी सेना को रात भर रोके रखा।

दिखाया अद्भुत साहस

मेजर चांदपुरी के सामने दो विकल्प थे। या तो वह पोजिशन पर बने रहते या कंपनी के साथ पीछे हट जाते। उन्होंने रुकने का फैसला किया। वह एक बंकर से दूसरे बंकर तक जाकर अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाते रहे। मेजर चांदपुरी ने हवाई सपोर्ट मांगा था, लेकिन उस वक्त फाइटर जेट रात में उड़ने की क्षमता वाले नहीं थे। सुबह एयरफोर्स के विमानों ने वहां पहुंचकर पाकिस्तानी पक्ष में भारी तबाही मचा दी।

हल्के हथियारों से लिया टैंक से मोर्चा

पाकिस्तानी सैनिकों के पास ५० से ज्यादा टैंक थे। वहीं, भारतीय पक्ष के पास हल्की क्षमता वाले सीमित हथियार थे। इसके बावजूद, उन्होंने पाकिस्तानी सेना को ६ घंटे तक सीमा पर रोके रखा, जब तक कि मदद के लिए भारतीय एयरफोर्स के विमान नहीं पहुंचे। इसके बाद, पाकिस्तानी सैनिकों को जान बचाकर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।


http://www.hindujagruti.org/hindi/news/14023.html

No comments:

Post a Comment