अरविंद केजरीवाल सरकार का एक महीन पूरा हो गया है। उन्होंने 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के 7वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। केजरीवाल ने सीएम बनने के 48 घंटे के भीतर ताबड़तोड़ फैसले लेते हुए 666 लीटर मुफ्त पानी और बिजली की दरों में 50 फीसदी कमी करने का एलान कर विपक्षियों के होश उड़ा दिए थे। दिल्ली विधानसभा में केजरीवाल सरकार के बहुमत हासिल करने तक दिल्ली की जनता की उम्मीदें आसमान छू चुकी थीं। इसके बाद तो मीडिया ने केजरीवाल की लोकप्रियता को नरेंद्र मोदी के मिशन पीएम के लिए खतरे की घंटी तक बता डाला था, लेकिन केजरीवाल जल्द ही मुसीबतों से घिर गए।
केजरीवाल का 10 कमरों का डुप्लेक्स और 'आप' विधायकों का गाड़ी लेना विवादों में घिर गया। फिर जनता दरबार में अफरातफरी, जनलोकपाल का लटकना, कानून मंत्री सोमनाथ भारती के साथ जुड़े एक के बाद एक विवादों ने पार्टी को उभरने का मौका ही नहीं दिया। इसके बाद रही-सही कसर केजरीवाल के धरना ने पूरी कर दी, जिसकी कड़ी आलोचना हुई। हालत यह हो गई कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिर्फ एक महीने में आंदोलनों से घिर गए हैं। दिल्ली में अस्थाई शिक्षक पक्की नौकरी के लिए धरने पर बैठे हैं तो अस्थाई तौर पर डीटीसी में कार्यरत कर्मचारी भी अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए हैं। कानून मंत्री सोमनाथ भारती के इस्तीफे की मांग को लेकर भाजपा नेता भी सोमवार को धरने पर बैठे। केजरीवाल सरकार का एक महीना किसी फिल्मी कहानी के जैसा रहा, जिसमें एक्शन से लेकर ड्रामा तक सबकुछ शामिल रहा।
केजरीवाल सरकार ने एक महीने में लिए ये अहम फैसले
* 666 लीटर पानी मुफ्त किया और बिजली 50 फीसदी सस्ती की
* केजरीवाल ने सुरक्षा लेने से इनकार किया
* बिजली कंपनियों का ऑडिट कराने के आदेश दिए
* मिलेनियम बस डिपोट को यमुना बैंक से हटाया गया
* रिटेल में एफडीआई के फैसले का विरोध किया
* भ्रष्टाचार निरोधी हेल्पलाइन नंबर जारी किया
* नर्सरी एडमिशन के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया
* दिल्ली जल बोर्ड के 800 से अधिक अफसरों और कर्मचारियों के तबादले
कौन से अहम फैसले नहीं ले सकी केजरीवाल सरकार
* अनियमित कॉलोनियों को नियमित नहीं कर पाई सरकार
* जनलोकपाल 15 दिन में लाने का वादा अब भी अधूरा
* कॉमनवेल्थ घोटाले की जांच के संबंध में स्थिति साफ नहीं
* अस्थायी टीचर्स को पक्की नौकरी अभी तक नहीं
* दिल्ली की खराब सड़कों की हालत सुधारने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया
* सरकारी अस्पतालों की हालत जस की तस
* झुग्गियों में रहने वालों को पक्के मकान देने की दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया
* मोहल्ला सभाओं का अभी तक कोई प्रारूप सामने नहीं आया
सरकार बनाने से पहले केजरीवाल ने कांग्रेस-भाजपा के सामने रखी थीं शर्तें
1. दिल्ली में वीआईपी कल्चर बंद किया जाए। दिल्ली का कोई भी विधायक, कोई भी मंत्री या अफसर लालबत्ती की गाड़ी, बड़े बंगले और अपने लिए सुरक्षा नहीं लेगा।
2. विधायक फंड और काउंसलर फंड खत्म किया जाएगा। यह फंड सीधे मोहल्ला सभाओं को जाएगा। जनता तय करेगी कि पैसा कहां खर्च हो।
3. दिल्ली के लिए लोकपाल बिल पास करना चाहते हैं। लोकपाल बिल पास होने के बाद 15 साल में कांग्रेस ने जितने घोटाले किए हैं, उनकी जांच होगी।
4. सात साल में बीजेपी ने नगर निगम में जितने घोटाले किए हैं, उनकी जांच होगी। क्या बीजेपी को मंजूर है?
5. रामलीला मैदान के अंदर स्पेशल असेंबली सेशन बुलाएंगे और लोकपाल बिल वहां पास किया जाएगा।
6. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। कांग्रेस केंद्र में भी इसे पास कराने में मदद करे।
7. बिजली कंपनियों का ऑडिट होना चाहिए। बिजली कंपनियों ने भारी हेराफेरी की है। ऑडिट करने से इनकार करने वाली कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया जाए। ऑडिट के बाद बिजली की दरें तय की जाएं। दिल्ली में 50 पर्सेंट से ज्यादा बिजली के दाम कम किए जाएं।
8. दिल्ली में बिजली के मीटर तेज तल रहे हैं। इनकी निष्पक्ष जांच करवाई जाए। अगर मीटर गलत पाया जाता है तो लगने की अवधि से कंपनी से पैसा वसूला जाए।
9. दिल्ली में पानी का माफिया काम कर रहा है। इसे बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का संरक्षण है। इनको तिहाड़ जेल भेजा जाए। आम आदमी को 700 लीटर पानी मुफ्त दिया जाए।
10. दिल्ली की 30 फीसदी से ज्यादा जनता अनाधिकृत कॉलोनियों में रहती है। 'आप' चाहती है कि एक साल के अंदर इन्हें नियमित किया जाए।
11. दिल्ली की झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों को पक्के मकान दिए जाएं। झुग्गियों को मकान मिलने तक तोड़ा न जाए। शौचालय की व्यवस्था भी की जाए।
12. आम आदमी पार्टी की सरकार व्यापार और उद्योग के लिए बने कानून और नीतियों की समीक्षा करेगी।
13. आम आदमी पार्टी दिल्ली में रीटेल मे एफडीआई के खिलाफ है।
14. दिल्ली के किसानों को दूसरे राज्यों के किसानों की तरह सब्सिडी का लाभ मिले। ग्रामसभा की मंजूरी के बिना जमीन का अधिग्रहण न हो।
15. प्राइवेट स्कूलों में डोनेशन सिस्टम बंद किया जाए। फीस की प्रक्रिया पारदर्शी बने। 500 से अधिक नए स्कूल खुलें।
16. नए सरकारी अस्पताल खोल जाएंगे। प्राइवेट अस्पतालों में भी बेहतर इलाज का प्रबंध किया जाएगा।
17. दिल्ली में नई अदालतें खोली जाएं और नए जजों की नियुक्ति भी हो। इससे मामले 6 महीने में निपटाए जा सकें।
18. कई मुद्दों को क्रियान्वित करने के लिए दिल्ली नगर निगम के सहयोग की जरूरत होगी। दिल्ली नगर निगम में बीजेपी का राज है, क्या इन मुद्दों पर बीजेपी 'आप' का सहयोग करेगी? (केजरीवाल ने यह शर्त बीजेपी के सामने भी रखी थीं।)
अपनी ही बातों से कैसे मुकरे केजरीवाल और उनकी सरकार
* मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उनके मंत्रियों ने दिल्ली मेट्रो से शपथ-ग्रहण समारोह में रामलीला मैदान जाने के लिए सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा था कि वह सार्वजनिक परिवहन साधनों का प्रयोग करेंगे, लेकिन तीन दिन बाद ही मंत्रियों ने सरकारी गाड़ियां ले लीं।
* अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनने के अगले ही दिन सचिवालय में मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था।
* अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि वह सुरक्षा नहीं लेंगे, 26 जनवरी की परेड में वह 10 सुरक्षाकर्मियों के साथ पहुंचे।
* केजरीवाल ने दिल्लीवालों की समस्याओं को सुनने के जनता दरबार लगाने की घोषणा की थी, लेकिन पहले जनता दरबार के दौरान मची अफरातफरी के बाद केजरीवाल ने जनता दरबार लगाने के फैसले को भी पलट दिया।
* 666 लीटर पानी नि:शुल्क देने का ऐलान किया था, लेकिन इसी के साथ 10 प्रतिशत पानी की दरें बढ़ा दीं गईं।
* केजरीवाल ने चुनाव से पहले कहा था कि वह सत्ता में आए तो सरकारी मकान नहीं लेंगे, लेकिन मनीष सिसोदिया सरकारी आवास ले चुके हैं और अरविंद केजरीवाल जल्द ही अपने नए आवास में शिफ्ट होने जा रहे हैं।
* केजरीवाल ने कहा था कि लोकपाल बिल रामलीला मैदान में विशेष सत्र बुलाकर पास कराया जाएगा, लेकिन अब वह इससे पीछे हट चुके हैं।
केजरीवाल के 10 कमरों के डुप्लेक्स पर हुआ था हंगामा
अरविंद केजरीवाल की सरकार बहुमत हासिल करने अगले ही दिन विवादों में घिर गई। 3 जनवरी को शुक्रवार के दिन आम आदमी पार्टी के विधायक मनिंदर सिंह धीर को स्पीकर चुन लिया गया। धीर के चुनाव ठीक पहले दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 10 कमरों के डुप्लेक्स को लेकर जमकर बवाल मचा।
भाजपा विधायकों ने केजरीवाल पर सीएम को मिलने वाले बंगले से बड़ा डुप्लेक्स लेने की कड़ी आलोचना की। केजरीवाल ने जो डुप्लेक्स देखा था, उसका 'कवर्ड' एरिया 6 हजार वर्ग फुट था और 3 हजार वर्गफुट का लॉन भी उसमें था। ये डुप्लेक्स पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों से बड़ा था। इस पर काफी मचा, जिसके बाद केजरीवाल ने इसे छोड़ दिया।
शीला दीक्षित पर केजरीवाल का रुख नरम
दिल्ली में सरकार बनाने के बाद अरविंद केजरीवाल पर शीला दीक्षित पर नरम रुख अपनाने के भी आरोप लग रहे हैं। बहुमत साबित करने के बाद से ही केजरीवाल अप्रत्याशित रूप से शीला दीक्षित पर कुछ नरम रुख अपनाते दिख रहे। उनसे जब पूछा गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका रुख क्या रहेगा तो उन्होंने कहा- भ्रष्टाचार चाहे कांग्रेस का हो या भाजपा का, या फिर हमारी पार्टी का कोई नेता इसमें लिप्त पाया जाएगा तो हम कार्रवाई करेंगे, लेकिन केजरीवाल शीला दीक्षित व अन्य कांग्रेसी नेताओं का नाम लेने से बचते दिखे। इसके बाद डॉक्टर हर्षवर्धन ने उनसे कॉमनवेल्थ घोटाले की जांच के आदेश देने की मांग की, तो केजरीवाल ने उनसे सबूत मांगे। चुनाव से पहले केजरीवाल खुद शीला दीक्षित के खिलाफ सबूत होने की बात कहते थे, लेकिन सरकार बनाने के महीने बाद भी वह उस घोटाले की जांच की बात नहीं कर रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल की एक महीने की सरकार में अगर कोई सबसे ज्यादा चर्चा में रहा तो वह हैं कानून मंत्री सोमनाथ भारती। इनके साथ सबसे पहले विवाद तब जुड़ा जब इन्होंने जजों की बैठक बुलाई। इसे लेकर कानून के जानकारों में बहस छिड़ गई। इसके बाद भारती पर सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगे और फिर तो मानो वह विवादों के मंत्री बन गए। मालवीय नगर के खिड़की एक्सटेंशन में उनकी छापेमारी के बाद पूरी केजरीवाल सरकार की साख दांव पर लग गई।
ये विवाद जुड़े हैं भारती के साथ
* कानून मंत्री सोमनाथ भारती पर आरोप है कि उनके समर्थकों ने 15 जनवरी को मालवीय नगर के खिड़की एक्सटेंशन में छापेमारी के दौरान युगांडा की महिला को बुरी तरह पीटा था।
* युगांडा की महिला का आरोप है कि उसे टॉयलेट तक नहीं जाने दिया और उसे सार्वजनिक तौर पर पेशाब करने के लिए मजबूर किया गया। महिला भारती की पहचान भी कर चुकी है।
* युगांडा की महिला के आरोपों के बाद दिल्ली महिला आयोग ने सोमनाथ भारती को नोटिस भेज चुका है।
* मालवीय नगर छापेमारी के मामले में दिल्ली पुलिस के साथ भी भारती का विवाद है। दिल्ली पुलिस उपराज्यपाल को कानून मंत्री के खिलाफ रिपोर्ट भेज चुकी है। इसके अनुसार भारती ने उन्हें कानून के विरुद्ध जाकर कार्रवाई करने को कहा था।
* भारती साकेत में एक होटल मैनेजर से भी भिड़ चुके हैं। उन्होंने 11-12 जनवरी की रात साकेत में एक होटल मैनेजर से लाइसेंस दिखाने को कहा था। मैनेजर ने बताया कि लाइसेंस होटल मालिक के पास है और वह अभी मौजूद नहीं हैं। मैनेजर ने यह भी कहा कि लाइसेंस की एक कॉपी पुलिस के पास जमा है। इस पर सोमनाथ भारती नाराज हो गए और उन्होंने पुलिस को बुला लिया। पुलिस ने भी इस बात की पुष्टि कर दी कि होटल के लाइसेंस की एक कॉपी उनके पास है।
* कानून मंत्री सबूतों से छेड़छाड़ के भी आरोप हैं। यह मामला बैंक ऑफ मैसूर के 116 करोड़ रुपए के घोटाले से जुड़ा है। भारती इसमें आरोपी के वकील थे, पांच माह पहले सीबीआई कोर्ट की जज ने भारती के खिलाफ टिप्पणी करते हुए उनके व्यवहार को अनैतिक बताया था।
* सोमनाथ भारती दिल्ली प्रेस क्लब के महिला शौचालय का प्रयोग करते हुए भी देखे जा चुके हैं। भारती जब शौचालय गए तो महिलाओं को बाहर इंतजार करना पड़ा।
विनोद कुमार बिन्नी ने खोला मोर्चा
आम आदमी पार्टी से हाल में निकाले गए विधायक विनोद कुमार बिन्नी ने 16 जनवरी को पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। वह 27 जनवरी को केजरीवाल के खिलाफ धरने पर बैठे। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करके दिल्ली के मुख्यमंत्री व पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को तानाशाह बताते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कथनी व करनी में अंतर है। उन्होंने कहा था कि आप सरकार अपने उद्देश्य से भटक गई है और जनता से जो वायदे किए गए थे, उनको पूरा नहीं किया जा रहा है।
पानी का मुद्दा : चुनाव के दौरान मैंने व पार्टी ने हर मंच से कहा कि हम हर घर को 700 लीटर स्वच्छ पानी देने की बात की, लेकिन घोषणा पत्र में बहुत चतुराई से डाल दिया गया कि जैसे ही 701 लीटर पानी इस्तेमाल होगा तो पूरे पानी का बिल जमा करना होगा। यह सब शब्दों का खेल है। यह जनता के साथ बड़ा धोखा है। केजरीवाल ने सुंदरनगरी में पानी-बिजली के लिए अनशन के दौरान कहा कि लोग पानी के नाजायज बिलों को जमा करना बंद करें, सरकार बनी तो उनके बिल माफ होंगे। उसके समर्थन में 10 लाख 52 हजार लोगों ने चिट्ठियां दीं, लेकिन आज उन वादों का नाम लेने वाला कोई नहीं।
बिजली का मुद्दा : बिजली के 50 फीसदी दाम सीधे-सीधे कम करने की बात हुई थी, उसमें कोई शर्त नहीं जुड़ी थी। दिल्ली की जनता को यही संदेश था। यह बात नहीं थी कि कॉमर्शियल, रेजिडेंशियल, झुग्गी बस्तियों के लिए अलग-अलग नियम होंगे। क्या जरूरत थी चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए 400 यूनिट वाली एक स्कीम घोषित करके वाहवाही लूटने की? इससे दिल्ली की बाकी जनता खुद को छला हुआ महसूस कर रही है। आज उन लोगों का क्या जिन्होंने बिजली पानी आंदोलन के बाद बिल नहीं भरे और आज उनके ऊपर लाख-लाख रुपए के बिल बकाया हैं, आज उनसे कोई बात तक नहीं कर रहा।
जनलोकपाल कानून : आम आदमी पार्टी ने सरकार बनने के 15 दिन में जनलोकपाल बिल पारित करने का वादा किया था। कानून न बनाने के पीछे मंशा क्या है, जनता के सामने यह स्पष्ट करने की जरूरत है। केजरीवाल सरकार किसी तरह दो महीने गुजारने की सोच रही है, ताकि आचार संहिता लागू हो जाए और काम न करने का बहाना मिल जाए।
मेरे नाम का इस्तेमाल किया : बिन्नी ने आरोप 'आप' पर आरोप लगाया है कि पार्टी ने उनके नाम का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा- मुझे तब बहुत दुख होता है जब ये लोग मुझे कहते हैं कि मैं पद का लालची हूं, मुझे लोकसभा का टिकट चाहिए। मैं तो जब इस पार्टी को देना शुरू किया जब इस पार्टी के पास देने के लिए कुछ नहीं था। मैं व्यक्ति विशेष से प्रेम करके नहीं, बल्कि विचारधारा से जुड़ा। सच बताऊं तो मैंने पार्टी को दिया, पहला एक चुना हुआ पार्षद दिया, मैंने विधायक के रूप में एक प्रतिनिधि दिया। केजरीवाल ने चुनाव अभियान में यदि 200 सभाएं की थीं तो 150 सभाओं में मेरा नाम लिया और कार्यशैली की चर्चा की।
महिला सुरक्षा का मसला : बिन्नी का कहना है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक विदेशी महिला के साथ गैंगरेप हुआ, लेकिन सरकार की तरफ से एक बयान तक नहीं आया। आज यदि यहां कोई दूसरी सरकार होती तो आम आदमी पार्टी क्या कर रही होती, निश्चित तौर पर वह आंदोलन कर रही होती। महिला सुरक्षा की बात करने पर आपको शर्म आनी चाहिए। आपने कमांडो फोर्स बनाने की बात की, लेकिन इतने संवेदनशील मामले को आपने भुला दिया।
मीडिया को बुलाकर करते हैं ड्रामा : आपने अस्पताल, स्कूल, एमसीडी व सरकारी विभागों में ठेकेदारी पर काम करने वालों से वादा किया था कि उन्हें तुरंत पक्का करेंगे। आज वे आपसे मिलने सचिवालय आते हैं तो आपके पास वक्त नहीं है। इसी तरह से अस्पतालों की बात थी कि आते ही अस्पतालों की दशा सुधारने का वादा किया गया था, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। मंत्री मीडिया को बुलाते हैं, फोटो खिंचवाते हैं और घर जाकर सो जाते हैं।
कांग्रेस के साथ सांठगांठ : चुनाव के दौरान हमने कमस खाकर जनता को विश्वास दिलाया था कि हम किसी पार्टी से न तो समर्थन लेंगे और न ही समर्थन देंगे, लेकिन परदे के पीछे से चंद लोगों ने चतुराई से सरकार बनाने का जाल बुना। उसका नतीजा यह हुआ कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री व भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ आपने एक आदेश तक नहीं दिया। ऑटो के पीछे पोस्टर लगा-लगाकर आपने पूरी दिल्ली को बताया कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व मंत्री भ्रष्टाचारी हैं। आज आप हर्षवर्धन से कह रहे हैं कि उनके पास कोई सुबूत हैं तो दें उनकी जांच कराएंगे। मतलब आपके पास सुबूत नहीं था तो आपने जनता से झूठ क्यों बोला।
संदीप दीक्षित से नजदीकी : सूत्र बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल के पूर्वी दिल्ली के सांसद संदीप दीक्षित के साथ बहुत नजदीकियां हैं। आज जितने भी महत्वपूर्ण फैसले आम आदमी पार्टी की सरकार में हो रहे हैं, वे सब कांग्रेस की ओर से आए आदेश की तरह हैं। आज जो सांठगांठ परदे के पीछे हुई है वह साबित करती है, कहीं न कहीं ये लोग मिले हुए हैं। यही वजह है कि चुनाव के दौरान छह महीने में भ्रष्टाचारियों को जेल में डालने की बात करने वाले आज चुप हैं।
विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में भ्रष्टाचार हुआ : विधानसभा टिकट बंटवारे में भ्रष्टाचार हुआ था। पैसे का लेनदेन ही नहीं बल्कि किसी का हक छीनकर किसी और को दे देना भी भ्रष्टाचार ही है। ये तय था कि लक्ष्मीनगर से बिन्नी, पटपडग़ंज से मनीष, आरके पुरम से शाजिया इल्मी, बाबरपुर से गोपाल राय चुनाव लड़ेंगे तो फॉर्म भरवाने का ड्रामा क्यों किया गया? जनता व वॉलिंटियर के साथ धोखा क्यों किया गया? तब रायशुमारी का तरीका भी अलग था। उस रायशुमारी को नहीं माना गया। आज भी दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों के नाम तय हैं, लेकिन फॉर्म मंगाए जो रहे हैं।
बंद कमरों में होते हैं फैसले : अरविंद कैसे कह सकते हैं कि मैं टिकट मांगने गया और उन्होंने मना कर दिया। वो कैसे मना कर सकते हैं? क्या वह तानाशाह हो गए हैं। इसका मतलब तो आप अकेले फैसला लेने वाले लोग हो गए हैं? कहां गया स्वराज? इस पार्टी में चार-पांच लोग बंद कमरे में फैसले करते हैं, अरविंद भाई उन्हें फरमान सुनाते हैं और अगर कोई उनके खिलाफ जाता है तो पहले उसे समझाते हैं, फिर उस पर आंखे तरेरते हैं, गुस्से में आ जाते हैं।
21 जनवरी को धरने पर बैठे थे केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल की एक महीने पुरानी सरकार को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उसने कानून मंत्री सोमनाथ भारती के छापेमारी विवाद को लेकर दिल्ली पुलिसकर्मियों के इस्तीफे की मांग की। इसी मांग को पूरा कराने के लिए केजरीवाल 21 जनवरी को धरने पर बैठ गए थे, लेकिन उन्हें अगले ही दिन शाम को इसे पास लेना पड़ा। दिल्ली पुलिस के चार अधिकारियों के निलंबन की मांग को लेकर 21 जनवरी की सुबह धरने पर बैठे केजरीवाल ने 22 जनवरी की रात को मांगें पूरी हुए बिना ही धरना वापस ले लिया। उन्होंने बताया था कि पहाड़गंज के पीसीआर इंचार्ज और मालवीय नगर के SHO को छुट्टी पर भेजा जाएगा। इसे उन्होंने 'जनता की आंशिक जीत' बताया और कहा कि उन्होंने धरना समाप्त करने का फैसला लेते वक्त गणतंत्र दिवस और उपराज्यपाल नजीब जंग की अपील को भी ध्यान में रखा।
धरना खत्म करने के कारण जो केजरीवाल ने बताए थे
* सागरपुर में महिला को जिंदा जलाने के आरोपी पकड़े गए
* मालवीय नगर और पहाड़गंज के एसएचओ छुट्टी पर भेजे गए
* गणतंत्र दिवस के मद्देनजर उपराज्यपाल नजीब जंग ने की थी अपील
धरना खत्म करने के कारण जो केजरीवाल ने नहीं बताए थे
* धरना प्रदर्शन में शामिल नहीं हो रहे थे लोग। मंगलवार रात जब धरना खत्म किया गया, तब केजरीवाल के साथ सिर्फ 200 से 300 लोग ही मौजूद थे।
* कई चैनलों के सर्वे में ज्यादातर लोगों ने धरने के खिलाफ दी राय। हालांकि, सोमवार को कुछ सर्वे में ज्यादातर लोगों ने धरने का समर्थन किया था, लेकिन मंगलवार तक उनकी राय भी बदल गई थी।
* मीडिया और विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए थे केजरीवाल
* धरने के कारण मेट्रो स्टेशन बंद होने से हजारों लोगों को हो रही थी परेशानी
* केजरीवाल को पूरी होती नहीं दिख रही थीं मांगें
* धरना खत्म नहीं करते तो केजरीवाल को रेलभवन के पास से जबरन हटाने के विकल्प पर हो रहा था विचार
AAP से नाराज हुए NRIs: बंद किया चंदा और वोट देने के लिए मांगी माफी
आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की कार्यशैली से नाराज एनआरआई ने पार्टी से दूरी बनाना शुरू कर दिया है। न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में रह रहे काफी संख्या में एनआरआई ने न केवल पार्टी को फंड देना बंद कर दिया है, बल्कि उन्होंने ‘आप’ को वोट देने के लिए माफी भी मांगी है। इसके लिए एनआरआई ने एकफेसबुक पेज (I am Sorry I voted for AAP) बनाया है। इस फेसबुक पेज से करीब 100 सदस्य जुड़े हैं। इनमें से काफी ऐसे लोग हैं, जिन्होंने ‘आप’ को लाखों रुपए चंदे के रूप में दिए हैं। कई ऐसे एनआरआई, जिन्होंने ‘आप’ को चंदा दिया था और वे ‘आप’ के फेसबुक पेज से जुड़े थे, उन्होंने खुद को अनफ्रेंड कर दिया है।
कम हुआ पार्टी का फंड
जब सोमनाथ भारती ने खिड़की एक्सटेंशन में सेक्स रैकेट का छापा मारा था, तब से एनआरआई ‘आप’ सरकार की कार्यशैली से नाराज हो गए हैं और इस दौरान पार्टी के विदेशी फंड में भी काफी गिरावट आई है। 15 जनवरी से पहले पार्टी को एनआरआई की ओर से फंड के रूप में करीब 10 लाख रुपए रोजाना मिल रहे थे। लेकिन 15 जनवरी के बाद से पार्टी को मिलने वाला विदेशी फंड लाखों से घटकर हजारों में सिमट गया है।
चुनाव जीतने के बाद आई थी पार्टी के विदेशी फंड में तेजी
28 दिसंबर को जब ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, उस दिन पार्टी को चंदे के रूप में 21 लाख रुपए मिले थे। इसके बाद से पार्टी को रोजाना करीब 40 लाख रुपए मिल रहे थे। वहीं 17 जनवरी के बाद से पार्टी को रोजाना औसतन 6 लाख रुपए ही मिल रहे हैं।
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