हल्दी वाला दूध -
रात को सोते समय देशी गाय के गर्म दूध में एक चम्मच देशी गाय का घी और चुटकी
भर हल्दी डालें . चम्मच से
खूब मिलाकर कर खड़े खड़े पियें. -
इससे त्रिदोष शांत होते है. - संधिवात यानी अर्थ्राईटिस में बहुत लाभकारी है. - किसी भी
प्रकार के ज्वर की स्थिति में , सर्दी
खांसी में लाभकारी है. - हल्दी एंटी माइक्रोबियल है इसलिए इसे गर्म दूध
के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों
में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है. यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में
मदद करती है. - वजन घटाने में फायदेमंद गर्म दूध के साथ हल्दी
के सेवन से शरीर में
जमा चर्बी घटती है. इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल्स सेहतमंद तरीके
से वजन घटाने में सहायक हैं। - अच्छी नींद के लिए हल्दी में अमीनो एसिड है
इसलिए दूध के साथ इसके सेवन के बाद नींद गहरी आती है.अनिद्रा की
दिक्कत हो तो सोने से आधे घंटे पहले गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करें. - दर्द से आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया
से लेकर कान दर्द जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है. इससे शरीर
का रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है. - खून और
लिवर की सफाई आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल शोधन क्रिया में किया जाता है। यह खून से टॉक्सिन्स
दूर करता है और लिवर को साफ करता है. पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए इसका
सेवन फायदेमंद है. - पीरियड्स में आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से
पीरियड्स में पड़ने वाले क्रैंप्स से बचाव होता है और यह मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा दिलाता है. - मजबूत हड्डियां दूध में कैल्शियम अच्छी मात्रा
में होता है और हल्दी में एंटीऑक्सीडेट्स भरपूर होते हैं
लौंग एसिडिटी के लिए बहुत फायदेमंद है। एसिडिटी होने पर लौंग
चूसना चाहिए। गुड़, केला, बादाम और नींबू खाने से एसिडिटी जल्दी ठीक हो जाती है। पानी में
पुदीने की कुछ पत्तियां डालकर उबाल
लीजिए। हर रोज खाने के बाद इन इस पानी का सेवन कीजिए। एसिडिटी में फायदा होगा।
एसिडिटी की समस्या खान-पान के कारण ज्यादा होती है। इसलिए ज्यादा गरिष्ठ भोजन करने
से परहेज करना चाहिए। एसिडिटी के समय रात को सोने से तीन घंटे पहले डिनर कर लेना
चाहिए, जिससे खाना अच्छे से पचे। इन नुस्खों को अपनाने के बाद भी एसिडिटी अगर
ठीक न हो रही हो तो चिकित्सक से संपर्क अवश्य कीजिए
सर्दियों में बादाम से ज्यादा असरदार है चना, रोज खाएंगे तो होंगे ये ढेरों
फायदे ____________________________________________________
सर्दियों में रोजाना 50 ग्राम चना खाना शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है। आयुर्वेद मे माना
गया है कि चना और चने की दाल दोनों के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है। चना खाने से
अनेक रोगों की चिकित्सा हो जाती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन व विटामिन्स पाए जाते हैं।
चने का गरीबों का बादाम कहा जाता है, क्योंकि ये सस्ता होता है लेकिन इसी सस्ती चीज में बड़ी से बड़ी
बीमारियों की लड़ने की क्षमता है। चने के सेवन से सुंदरता बढ़ती है साथ ही दिमाग भी
तेज हो जाता है। मोटापा घटाने के लिए रोजाना नाश्ते में चना लें। अंकुरित चना 3 साल तक खाते रहने से कुष्ट रोग
में लाभ होता है। गर्भवती को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू पिलाएं। चना पाचन
शक्ति को संतुलित और दिमागी शक्ति को भी बढ़ाता है। चने से खून साफ होता है जिससे
त्वचा निखरती है। सर्दियों में चने के आटे का हलवा कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन
करना चाहिए। यह हलवा वात से होने वाले रोगों में व अस्थमा में फायदेमंद होता है।
रात को चने की दाल भिगों दें सुबह पीसकर चीनी व पानी मिलाकर पीएं। इससे मानसिक
तनाव व उन्माद की स्थिति में राहत मिलती है। 50 ग्राम चने उबालकर मसल लें। यह जल
गर्म-गर्म लगभग एक महीने तक सेवन करने से जलोदर रोग दूर हो जाता है। चने के आटे की
की नमक रहित रोटी 40 से 60 दिनों तक खाने से त्वचा संबंधित बीमारियां जैसे-दाद, खाज, खुजली आदि नहीं होती हैं। भुने
हुए चने रात में सोते समय चबाकर गर्म दूध पीने से सांस नली के अनेक रोग व कफ दूर
हो जाता हैं। 25 ग्राम काले चने रात में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से डायबिटीज
दूर हो जाती है। यदि समान मात्रा में जौ चने की रोटी भी दोनों समय खाई जाए तो
जल्दी फायदा होगा। चने को पानी में भिगो दें उसके बाद चना निकालकर पानी को पी
जाएं। शहद मिलाकर पीने से किन्हीं भी कारणों से उत्पन्न नपुंसकता समाप्त हो जाती
है। हिचकी की समस्या ज्यादा परेशान कर रही हो तो चने के पौधे के सूखे पत्तों का
धुम्रपान करने से शीत के कारण आने वाली हिचकी तथा आमाशय की बीमारियों में लाभ होता
है। पीलिया में चने की दाल लगभग 100 ग्राम को दो गिलास जल में भिगोकर उसके बाद दाल पानी में से निकलाकर 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4-5 दिन तक खाएं राहत मिलेगी। देसी
काले चने 25-30 ग्राम लेकर उनमें 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण मिला लें चने को कुछ घंटों के लिए भिगो दें। उसके
बाद चने को किसी कपड़े में बांध कर अंकुरित कर लें। सुबह नाश्ते के रूप में इन्हे
खूब चबा चबाकर खाएं। बुखार में ज्यादा पसीना आए तो भूने को पीसकर अजवायन और वच का
चूर्ण मिलाकर मालिश करनी चाहिए। चीनी के बर्तन में रात को चने भिगोकर रख दे। सुबह
उठकर खूब चबा-चबाकर खाएं इसके लगातार सेवन करने से वीर्य में बढ़ोतरी होती है व
पुरुषों की कमजोरी से जुड़ी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। भीगे हुए चने खाकर दूध
पीते रहने से वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है। दस ग्राम चने की भीगी दाल और 10 ग्राम शक्कर दोनों मिलाकर 40 दिनों तक खाने से धातु पुष्ट हो
जाती है। गर्म चने रूमाल या किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो
जाता है। बार-बार पेशाब जाने की बीमारी में भुने हूए चनों का सेवन करना चाहिए।
गुड़ व चना खाने से भी मूत्र से संबंधित समस्या में राहत मिलती है। रोजाना भुने
चनों के सेवन से बवासीर ठीक हो जाता है
अगर आपको नींद नहीं आती है तो अपनाएं ये उपाय क्या आपको रात
में नींद ठीक से नहीं आती? या फिर एक बार नींद खुल जाने के बाद दोबारा नींद ही नहीं आती? कहते हैं मेहनत करने के बाद नींद अच्छी आती है लेकिन बदलती जीवनशैली में भागदौड़
और तनाव भरी दिनचर्या के बाद भी कई बार हमें नींद नहीं आने की शिकायत होती है फिर
भी हम इसकी अनदेखी करते हैं। कई बार नींद न आने की समस्या इतनी गंभीर हो जाती है
कि यह हमारी मानसिक सेहत को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में अगर आप भी नींद से
संबंधित ऐसी ही किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो ये उपाय जरूर अपनाएं। समय निर्धारित
करें भले ही आपका रुटीन कितना भी व्यस्त क्यों न हो लेकिन अच्छी नींद आए इसके लिए
सबसे जरूरी है कि आप अपने सोने का एक समय तय करें। इससे आपके शरीर के सोने और उठने
का चक्र संतुलित हो जाता है। शुरुआत में भले ही आपको थोड़ी दिक्कत होगी लेकिन
नियमित रूप से एक निर्धारित समय पर अगर आप सोने की कोशिश करेंगे तो यह आपकी
दिनचर्या में शामिल हो जाएगा। बेडरूम साफ रखें अच्छी नींद और सुकून के बीच बहुत
गहरा संबंध है। अगर आपके सोने का कमरा स्वच्छ होगा तो मन शांत रहेगा और नींद आसानी
से आएगी। गहरी नींद के लिए आप बेडरूम में हल्का इंस्ट्रयूमेंटल म्यूजिक भी चला
सकते हैं जिससे मानसिक शांति मिलेगी और नींद जल्दी आएगी। इनसे बरतें दूरी दिन भर
काम करने के बाद अगर आप अपने आराम के क्षणों में भी कंप्यूटर या टीवी से चिपके
रहते हैं तो इनसे थोड़ी दूरी बना लें। कम से कम सोने के पहले कंप्यूटर पर काम करने
से तो परहेज करना शुरू ही कर दें। इसके अलावा, चाय और कॉफी जैसे पेय भी रात में
न लें। बहुत अधिक मसालेदार और हैवी भोजन रात में करें। फायदेमंद डाइट सोने से पहले
एक ग्लास गर्म दूध लें। अनिद्रा से छुटकारे के लिए यह नुस्खा बहुत कारगर है। इसके
अलावा, आप चेरी, खसखस, मेवे आदि का भी सेवन कर सकते हैं। आयुर्वेदिक उपचार भी इस दिशा में
कारगर है। आयुर्वेद बबूने के सूखे फूल (कैमोमाइल फ्लॉवर), लैवेंडर आदि के उपयोग की सलाह
देता है, लेकिन इसके लिए पहले चिकित्सक से परामर्श लें। सोने से पहले ढेर सारा
पानी पीएं। तलवे की मसाज सोने से पहले हाथ-पैर साफ करें और फिर अपने तलवों की मसाज
करें। इससे शरीर का रक्त प्रवाह सही रहता है और थकान दूर होती है। अच्छी नींद के
लिए रोज सोने से पहले इस मसाज से आपकी अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी। योग भी
मददगार वैसे तो सेहतमंद शरीर के लिए योग और व्यायाम कारगर माना ही जाता है पर कुछ
ऐसे भी योग हैं जिन्हें करने से नींद अच्छी आती है। जैसे शवासन, वज्रासन, भ्रामरी प्राणायम आदि। इन्हें
नियमित रूप से करने से अनिद्रा की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा और थकान पूरी तरह
दूर होगी।
खड़े होकर खाना क्यों नहीं खाना चाहिए!
भोजन से ही हमारे शरीर को कार्य करने की ऊर्जा मिलती है।
हमारे देश में हर छोटे से छोटे या बड़े से बड़े कार्य से जुड़ी कुछ परंपराए बनाई
गई हैं।
वैसे ही भोजन करने से जुड़ी हुई भी कुछ मान्यताएं हैं। भोजन हमारे जीवन की सबसे आवश्यक जरुरतों में से एक है। खाना ही हमारे शरीर को जीने की शक्ति प्रदान करता है।हमारे पूर्वजो ने जो भी परंपरा बनाई थी उसके पीछे कोई गहरी सोच थी।
ऐसी ही एक परंपरा है खड़े होकर या कुर्सी पर बैठकर भोजन ना करने की क्योंकि ऐसा माना जाता है कि खड़े होकर भोजन करने से कब्ज की समस्या होती है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि जब हम खड़े होकर भोजन करते हैं तो उस समय हमारी आंते सिकुड़ जाती हैं। और भोजन ठीक से नहीं पच पाता है।
इसीलिए जमीन पर सुखासन में बैठकर खाना खाने की परंपरा बनाई गई। हम जमीन पर सुखासन अवस्था में बैठकर खाने से कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त कर शरीर को ऊर्जावान और स्फूर्तिवान बना सकते हैं।
जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन पद्मासन का एक रूप है। सुखासन से स्वास्थ्य संबंधी वे सभी लाभ प्राप्त होते हैं जो पद्मासन से प्राप्त होते हैं।बैठकर खाना खाने से हम अच्छे से खाना खा सकते हैं। इस आसन से मन की एकाग्रता बढ़ती है। जबकि इसके विपरित खड़े होकर भोजन करने से तो मन एकाग्र नहीं रहता है।इस तरह खाना खाने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों होती हैं।
वैसे ही भोजन करने से जुड़ी हुई भी कुछ मान्यताएं हैं। भोजन हमारे जीवन की सबसे आवश्यक जरुरतों में से एक है। खाना ही हमारे शरीर को जीने की शक्ति प्रदान करता है।हमारे पूर्वजो ने जो भी परंपरा बनाई थी उसके पीछे कोई गहरी सोच थी।
ऐसी ही एक परंपरा है खड़े होकर या कुर्सी पर बैठकर भोजन ना करने की क्योंकि ऐसा माना जाता है कि खड़े होकर भोजन करने से कब्ज की समस्या होती है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि जब हम खड़े होकर भोजन करते हैं तो उस समय हमारी आंते सिकुड़ जाती हैं। और भोजन ठीक से नहीं पच पाता है।
इसीलिए जमीन पर सुखासन में बैठकर खाना खाने की परंपरा बनाई गई। हम जमीन पर सुखासन अवस्था में बैठकर खाने से कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त कर शरीर को ऊर्जावान और स्फूर्तिवान बना सकते हैं।
जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन पद्मासन का एक रूप है। सुखासन से स्वास्थ्य संबंधी वे सभी लाभ प्राप्त होते हैं जो पद्मासन से प्राप्त होते हैं।बैठकर खाना खाने से हम अच्छे से खाना खा सकते हैं। इस आसन से मन की एकाग्रता बढ़ती है। जबकि इसके विपरित खड़े होकर भोजन करने से तो मन एकाग्र नहीं रहता है।इस तरह खाना खाने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों होती हैं।
No comments:
Post a Comment