Monday, 3 November 2014

धारा 370 नेहरू का षडयंत्र है !

हिन्दू  मान्यता और पुराणों  के  अनुसार    कैलाश (कश्मीर )  और काशी ( बनारस )को  भगवान  शंकर  का  निवास  माना जाता है  . और इनको  इतना  पवित्र माना  गया है  कि  कुछ फारसी  के  मुस्लिम  शायरों  ने भी कश्मीर  और  बनारस को   धरती  का स्वर्ग  भी  कह  दिया  है  , यहाँ तक   कि  बनारस को भारत का  दूसरा  काबा  भी  बता  दिया  है  , जैसा कि इन पंक्तियों  में   कहा गया  है ,


"अगर फ़िरदौस  बर  रूए ज़मीनस्त - हमींनस्तो ,हमींनस्तो हमींनस्त "
अर्थ -यदि पृथ्वी  पर कहीं स्वर्ग  है , तो  वह यहीं  है  यहीं  है  और  यहीं  पर  है  . 

"ता अल्लाह बनारस  चश्मे  बद्दूर ,इबादत खानये नाकूसियानस्त ,
बर  रूए  ज़मीं फ़िरदौस मामूर , हमाना  काबाये  हिन्दोस्तानस्त "
अर्थ -अल्लाह  बनारस   को  बुरी  नजर  से बचाये  , जो शंख  बजाने  वाले (हिन्दुओं )  का पवित्र  नगर  है  , और  पृथ्वी  पर  स्वर्ग  की तरह प्रकाशमान   है  , यहाँ तक कि  हिंदुस्तान   का  काबा  है   .
इन  पंक्तियों   से  हम समझ  सकते हैं  कि  भारतीय लोगों  के दिलों  में कश्मीर  और काशी  के प्रति  कितना  लगाव  है  , लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हमारी  उदासीनता  के कारण  बनारस और   नेहरू   के  कारण  कश्मीर  प्रदूषित    हो  गया  है , प्रधान  मंत्री  नरेंद्र मोदी ने  इन  दोनो  की  सफाई  का  बीड़ा  उठा   लिया  है  .  यह हमारे लिए सौभाग्य  और  हर्ष  का  विषय  है
आज एक बार फिर से राजनीति गलियारे में धारा 370 को लेकर बहस छिड़ गयी है। कोई इसके पक्ष में है तो किसी के पास इसका विरोध करने के पर्याप्त आधार है। किसी को लगता है कि संविधान की इस धारा में संशोधन होना चाहिए तो किसी को यह बहस का मुद्दा लगता है। लेकिन हम से काफी लोगों को पता ही नहीं कि धारा 370 है क्या जो समय-समय पर लोगों की बहस और विरोध का कारण बन जाती है जिसके चलते धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को लेकर लोगों के बीच झगड़े होने लगते हैं। आईये आपको बताते हैं कि धारा 370 है क्या? जो देश के विशेष राज्य कश्मीर में लागू है।
1-कश्मीर  का  मतलब   क्या  है  ?

 जहाँ  तक  हम  कश्मीर  की  बात  करते  हैं  ,तो उसका  तात्पर्य  सम्पूर्ण  कश्मीर    होता  है  ,जिसमे कश्मीर घाटी , जम्मू , पाक अधिकृत  कश्मीर  का भाग (   ) चीन  अधिकृत   सियाचिन  का  हिस्सा और लद्दाख  भी  शामिल  है  . भले ही  हम  ऐसे  कश्मीर  को भारत का अटूट  अंग  कहते  रहें  लेकिन नेहरू  के दवाब  में  बनायीं  गई  संविधान  की  धारा 370  के प्रावधान के अनुसार कोई भी समझदार  व्यक्ति  कश्मीर  को भारत का अंग नहीं  मान  सकता  , इसलिए  जब  जब  धारा 370  को  हटाने  की  बात  की  जाती  है तो कांग्रेसी  और  सेकुलर  इसके खिलाफ  खड़े  हो  जाते  हैं ,उदहारण  के  लिए जब 27 मई 2014 मंगलवार को मोदी  सरकार के राज्य मंत्री  जितेंद्र सिंह  ने   धारा 370  को  देश  की एकता  और अखंडता के लिए हानिकरक  बताया  तो  तुरंत ही  शेख  अब्दुल्लाह  के  नाती  उमर अब्दुलाह  इतने  भड़क  गए कि यहाँ  तक  कह  दिया  " या तो धारा 370 रहेगी  या  कश्मीर  रहेगा " उमर के  इस  कथन  का रहस्य  समझने  के  लिए  हमें नेहरू और शेख अब्दुलाह  के रिश्तों  के  बारे में  जानकारी  लेना  जरुरी  है  .

वास्तव  में  नेहरू    तो कश्मीरी  पंडित  था  और  हिन्दू  था  , इसके प्रमाण  इस  बात से  मिलते  हैं  की  कश्मीरी  पंडितों  ने  नेहरू  गोत्र  नहीं  मिलता  .  और नेहरू  ने  जीवन  भर  कभी कश्मीरी भाषा  या  संस्कृत  का एक  वाक्य  नहीं  बोला , नेहरू सिर्फ  उर्दू और अंगरेजी  बोलता  था  . और  और उसके हिन्दू विरोधी होने का कारण  यह है   कि नेहरू एक  मुसलमान गाजीउद्दीन  का  वंशज  था  . और  शेख अब्दुलाह  मोतीलाल  की  एक मुस्लिम रखैल  की  औलाद  था  . अर्थात  जवाहर लाल  नेहरू  और शेख अब्दुलाह  सौतेले  भाई  थे  . इसी लिए  जब  संविधान  में  कश्मीर  के  बारे में लिखा जा रहा था  तो  नेहरू ने शेख अब्दुलाह को तत्कालीन  कानून  मंत्री  बाबा  साहब  अम्बेडकर  के  पास  भेजा  था   ,

2-धारा 370 क्या  है ?

धारा 370  भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद (धारा) है जिसे अंग्रेजी में आर्टिकल 370 कहा जाता है। इस धारा के कारण ही जम्मू एवं कश्मीर राज्य को सम्पूर्ण भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार अथवा (विशेष दर्ज़ा) प्राप्त है। देश को आज़ादी मिलने के बाद से लेकर अब तक यह धारा भारतीय राजनीति में बहुत विवादित रही है। भारतीय जनता पार्टी एवं कई राष्ट्रवादी दल इसे जम्मू एवं कश्मीर में व्याप्त अलगाववाद के लिये जिम्मेदार मानते हैं तथा इसे समाप्त करने की माँग करते रहे हैं। भारतीय संविधान में अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध सम्बन्धी भाग 21 का अनुच्छेद 370 जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था। स्वतन्त्र भारत के लिये कश्मीर का मुद्दा आज तक समस्या बना हुआ है

3-कश्मीर के  मामले में संविधान भी  लाचार  

जो  लोग संविधान  को सर्वोपरि बताते  हैं ,  और  बात बात  पर संविधान  की दुहाई  देते  रहते  हैं  , उन्हें पता  होना चाहिए की उसी  संविधान  की धारा  370  ने कश्मीर  के  मामले में संविधान  को लचार  और बेसहाय  बना  दिया  है , उदाहरण   के  लिए  ,

धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।

इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती
इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।

1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते।
भारतीय संविधान की धारा 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।

जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय करना ज़्यादा बड़ी ज़रूरत थी और इस काम को अंजाम देने के लिये धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को उस समय दिये गये थे।

4-धारा  370  में राष्ट्रविरोधी  प्रावधान 

1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है  

2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है  

3. जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है  

4. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है  

5. भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश जम्मू - कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं  

6. भारत की संसद को जम्मू - कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है  

7. जम्मू कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी  

8. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI लागु नहीं है RTE लागू नहीं है CAG लागू नहीं होता  ।कश्मीर  पर    भारत का कोई भी कानून लागु नहीं होता  

9. कश्मीर में महिलाओं  पर शरियत कानून लागु है  

10. कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं  

11. कश्मीर में चपरासी को 2500 ही मिलते है  

12. कश्मीर में अल्पसंख्यको [ हिन्दू- सिख ] को 16 % आरक्षण नहीं मिलता  

13. धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते है  

14. धारा 370 की वजह से ही पाकिस्तानियो को भी भारतीय नागरीकता मिल जाता है

5-अम्बेडकर  धारा  370  के  खिलाफ  थे 

बड़े  दःख की  बातहै कि  आज भी अधिकांश  लोग  यही  मानते  हैं  कि डाक्टर अम्बेडकर ने  ही  संविधान  की  धारा 370  का  मसौदा  तैयार किया  था  . अम्बेडकर ने खुद अपने  संसमरण   में इसका खंडन  किया  है  ,  वह  लिखते हैं   कि  जब सन 1949  में  संविधान   की धाराओं  का ड्राफ्ट  तैयार   हो रहा था  , तब  शेख अब्दुल्लाह  मेरे  पास आये  और बोले  कि  नेहरू  ने मुझे आपके  पास  यह  कह  कर भेजा  हैं   कि  आप  अम्बेडकर  से  कश्मीर  के बारे में अपनी  इच्छा  के अनुसार ऐसा ड्राफ्ट  बनवा  लीजिये  , जिसे  संविधान  में  जोड़ा  जा  सके  . 

अम्बेडकर  कहते  हैं  कि  मैंने  शेख  की बातें  ध्यान  से सुनी   और  उन से कहा  कि एक तरफ  तो आप चाहते  हो कि  भारत  कश्मीर  की रक्षा  करे  , कश्मीरियों  को खिलाये पिलाये , उनके विकास  और उन्नति के लिए प्रयास करे ,और  कश्मीरियों  को  भारत  के सभी प्रांतों  में  सुविधाये  और अधिकार  दिए  जाएँ  , लेकिन भारत के अन्य प्रांतों  के लोगों  को  कश्मीर में वैसी ही सुविधाओं  और अधिकारों  से वंचित  रखा  जाये  .  आपकी  बातों  से ऐसा प्रतीत  होता  है  कि आप भारत के  अन्य  प्रांतों  के लोगों को  कश्मीर  में समान  अधिकार  देने के  खिलाफ  हो  , यह  कह  कर  अम्बेडकर  ने  शेख   से कहा  मैं  कानून  मंत्री  हूँ  , मैं  देश  के  साथ  गद्दारी नहीं  कर  सकता  

"I am (the) Law Minister of India, I cannot betray my country.” )  अम्बेडकर के यह शब्द  स्वर्णिम  अक्षरों   में  लिखने के  योग्य  हैं   .  यह  कह कर  अम्बेडकर  ने शेख अब्दुलाह  को  नेहरू  के  पास  वापिस लौटा  दिया , अर्थात  शेख अब्दुलाह   के ड्राफ्ट  को संविधान  में जोड़ने से  साफ  मन कर दिया  था  ,

6- नेहरू   का  देश  के साथ विश्वासघात 
  
जब  अम्बेडकर ने शेख अब्दुल्लाह  से संविधान  में  उसके अनुसार ड्राफ्ट जोड़ने  से  यह  कह कर  साफ  मना  कर दिया  कि  मैं  देश  के साथ  विश्वासघात  नहीं  कर  सकता  . तो  शेख नेहरू  के  पास गया , तब  नेहरू  ने गोपाल स्वामी अय्यंगार को  बुलवाया   जो संविधान  समिति  का  सदस्य  और   कश्मीर के  राजा  हरीसिंह    का   दीवान  रह  चूका   था  . नेहरू  ने उसे  आदेश  दिया  कि शेख  साहब  कश्मीर  के बारे में जोभी  चाहते  हैं  ,संविधान   की धारा  370  में  वैसा ही ड्राफ्ट  बना  दो  , आज  संविधान  की  धारा 370  में  कश्मीर के मुसलमानों   को जो अधिकार  दिए  गए  हैं वह  नेहरू  ने लिखवाये  थे  .
इस घटना  से सिद्ध  होता  है कि नेहरू   ने  देश  के साथ  विश्वासघात   किया  था  , जिसका  दुष्परिणाम  देश  वासी  आज भी  भोग  रहे  हैं  .

चूँकि धारा 370 में कश्मीर  में शरीयत  का कानून लागू  है  ,इसलिये  जब  भी धारा  370  के  बारे में  बहस  होती  है तो उसके साथ ही जब  अम्बेडकर ने शेख अब्दुल्लाह  से संविधान  में  उसके अनुसार ड्राफ्ट जोड़ने  से  यह  कह कर  साफ  मना  कर दिया  कि  मैं  देश  के साथ  विश्वासघात  नहीं  कर  सकता  . तो  शेख नेहरू  के  पास गया

तब  नेहरू  ने गोपाल स्वामी अय्यंगार को  बुलवाया   जो संविधान  समिति  का  सदस्य  और   कश्मीर के  राजा  हरीसिंह    का   दीवान  रह  चूका   था  . नेहरू  ने उसे  आदेश  दिया  कि शेख  साहब  कश्मीर  के बारे में जोभी  चाहते  हैं  ,संविधान   की धारा  370  में  वैसा ही ड्राफ्ट  बना  दो  , आज  संविधान  की  धारा 370  में  कश्मीर के मुसलमानों   को जो अधिकार  दिए  गए  हैं वह  नेहरू  ने लिखवाये  थे  .
इस घटना  से सिद्ध  होता  है कि नेहरू   ने  देश  के साथ  विश्वासघात   किया  था  , जिसका  दुष्परिणाम  देश  वासी  आज भी  भोग  रहे  हैं  .

चूँकि धारा 370 में कश्मीर  में शरीयत  का कानून लागू  है  ,इसलिये  जब  भी धारा  370  के  बारे में  बहस  होती  है तो उसके साथ ही समान  नागरिक  संहिता की  बात  जरूर  उठती  है  . की  बात  जरूर  उठती  है  .
इसलिए हमारा प्रधान मंत्री  महोदय  से  करबद्ध  निवेदन  है  कि  वह  काशी  को प्रदुषण मुक्त  बनाने का  अभियान चला  रहे हैं  उसी तरह  कश्मीर  से धारा 370 रूपी  प्रदुषण   हटाने  की कृपा  करें  , तभी  कश्मीर  वास्तव   में भारत  का अटूट  अंग  माना   जा  सकेगा  , साथ  में यह भी  अनुरोध  है कि  कश्मीरी  भाषा को  उर्दू  लिपि  की  जगह  शारदा लिपि  में लेखे  जाने  का आदेश  देने  की कृपा   करें  ,  इस से  कश्मीर की  प्राचीन  संस्कृति  बची  रहेगी  , उर्दू लिपी  से  कश्मीर  का  पाकिस्तान  का  छोटा  भाई  लगता  है  .

इसके  अतिरिक्त  मुगलों  ने  भारत  के जितने  भी  प्राचीन  नगरों  के  नाम  बदल  दिए थे , उनके  फिर से  नाम  रखवाने  का आदेश  निकलवाने की अनुकम्पा  करें ,  जैसे  इलाहबाद  का प्रयाग  , फैजाबाद  का अयोध्या  ,  अकबराबाद   का  आगरा  ,  अहमदाबाद  का  कर्णावती  , इत्यादि

: http://indiatoday.intoday.in/story/article-370-issue-omar-abdullah-jammu-and-kashmir-jawaharlal-nehru/1/364053.html

http://hindi.oneindia.in/news/india/know-about-370-act-jammu-kashmir-275770.html


http://bhaandafodu.blogspot.in/search/label/%E0%A4%95%E0%A4%B6%E0%A5%8D


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