Saturday, 1 November 2014

अल्लाह और ईश्वर एक नहीं अलग अलग है


अल्लाह, और ईश्वर,एक है कहना पागलपन है ? 

धरती पर मानव समाज में आनेक मत, पंथ, समाज, सम्प्रदय है, जो परमात्मा के बताये उपदेश को नहीं माना, अपने मनमानी तरीके से सब ने ईश विधान को मान कर अपनी दुकानदारी.या फिर अपना लीडरशिप चमकाने के लिए सृष्टि कर्ता के नियमों का उलधन किया, और मानव मात्र के बनाये नियमों को तोड़ा, जो नियम मानव मात्र के लिए परमात्मा ने बताया है, उसे मान कर मात्र अपना स्वार्थ लाभ के लिए मानव समाज को टुकड़ों में विभाजित कर दिया

सृजन कर्ता ने आदि में मानव मात्र अपना ज्ञान दिया, कारण ज्ञान के बिना कोई भी काम करना संभव नही हो सकता किसी भी काम को करने के लिए ज्ञान चाहिए जो ज्ञान परमात्मा का दिया हुवा है | अगर यह ज्ञान सृष्टि के अदि में दे तो परमात्मा पर दोष लगेगा, यही कारण बना की ईश्वर प्रदत्त जितने भी सामान है वह पहले है, और ज़रूरत बाद में है|

ध्यान से देखें और सोचें, देखने से पहले सूरज है, कारण सूरज हो तो देखना संभव नही होगा, भूख से पहले खुराक है, बच्चा अभी धरती पर नही आया, माँ के उदर में ही है, किन्तु माँ के आँचल में दूध गया | प्यास से पहले पानी है, चलने से पहले धरती है, अगर, धरती पहले दें तो प्राणी का आना कहाँ होगा ? अब धरती पर चलने को अगर ज्ञान दे तो चलना कैसे संभव होगा

यह है सृष्टि कर्ता कि सृष्टि नियम व्यवस्था, इसी श्रृंखला को आप किसी भी मजहबी किताब में खोजें कहीं भी मिलना संभव नही है | सबने अपनी अपनी मनमानी व्यवस्था बताया है, जिस कारण आज मानव समाज में यह विघटन, मतभेद, झगडा, लड़ाई, फ़साद, एक दुसरे को जानसे मारने, और समाप्त, या फिर ख़तम करने को तुले हैं | मजेदार बात यह है की यह सब अल्लाह के नामसे हो रहा है, अथवा कर रहे हैं |

किन्तु परमात्मा ने सृष्टि के आदि में जो मानव मात्र को ज्ञान दिया उसमे, यह उपदेश ही नही है की, जो आल्लाह कहने वाले हैं उसे मारो, जैसा अल्लाह ने कहा जो अल्लाह वाला हो उसे मारो जो नमाज पढ़े, जकात दे, हज करे उसे मारो, इस्लाम कुबूल करे तो उसे छोड़ दो आज जो सामने मौजूद है.

ISIS अथवा जितने भी इस्लामी संगठन है इन सबका यही मकसद है कि किसी तरह इस्लामी राज्य पूरी दुनिया में हो, और यह सब आदेश अल्लाह का दिया हुवा है जिसपर यह लोग अमल कर रहे हैं | परमात्मा का उपदेश हिन्दू मुस्लिम, सिख ईसाई, का नही है मात्र मानव मात्र के लिए है

यथेमां वाचं कल्याणीमावदानि जनेभ्य: | ब्रह्मराजन्यभ्यां शूद्राय चार्याय स्वायचारणाय ||

यह कल्याणकारी वेदवाणी मनुष्य मात्र के लिए है, ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य, और शुद्र, और अपने पराये सब के लिए है | प्रभु निर्मित सूर्य, चन्द्रमा, हवा, पानी, पृथ्वी, यह सब के लिये अर्थात मनुष्य मात्र के लिए है परमात्मा का दिया हुआ ज्ञान वेद विश्वजन्य है, कल्याणी वाक् सभी का हित करेगी, सभी का कल्याण करेगी | वेद वाणी प्रमति है, उत्तम ज्ञान की खान है, सुमित है, दुर्मति नहीं, अर्थात वेद में मानव समाज के उत्कर्ष के साधन वर्णित | ऐसे कोई भी शिक्षा वेद.में नहीं, जिससे मनुष्य का पतन संभव हो

ऐसे उत्तम सुमतिदाता परमात्मा ने प्रकृति का बखान किया है वेद में, मनुष्यउपयोगी ऐसा कोई भी पदार्थ नही कि जिसका व्याखान या उपदेश वेद में वर्णन हो ? किन्तु मानव कहला कर भी परमात्मा के दिया ज्ञान को नही लिया, और मानव कृत स्वार्थ भरी बातों को ही ईश ज्ञान मानकर समझकर मानवों के खून से धरती को रंगरहे हैं | क्या इसी का नाम मानव है ? नही यह कभी नही हो सकता, यह मानव नही, और ही मानवता इनके पास है | सही में अगर कोई मानव बनना चाहता है तो वेद को मानना होगा वेद से ही सीखना होगा मानवता क्या है,जो ऊपर दर्शाया गया है, यह तो ईश्वर उपदेश है |

अब अल्लाह का उपदेश सुनलें, जिस से की हमें आसन हो जाये समझने में, की सही में ईश्वर और अल्लाह एक ही है, अथवा अलग, अलग ? कुरान का उपदेश है ईमान लाने वालों, किस पर ईमान लाया ? अल्लाह पर, रसूल पर, अल्लाह्की किताबों पर, और आख़ेरत के दिनों पर, जिब्रील, और मीकाईल नामी फरिश्तों पर,मरने के बाद जन्नत और जहन्नुम में जाने पर आदि |

مَنْ كَانَ عَدُوًّا لِّلّٰهِ وَمَلٰۗىِٕكَتِهٖ وَرُسُلِهٖ وَجِبْرِيْلَ وَمِيْكٰىلَ فَاِنَّ اللّٰهَ عَدُوٌّ لِّلْكٰفِرِيْنَ 98؀ جو شخص اللہ کا، اس کے فرشتوں کا، اس کے رسولوں کا، جبریل کا اور مکاَئلى کا دشمن ہو تو بلاشبہ اللہ تعالیٰ خود (ایسے) کافروں کا دشمن ہے

अर्थ:- जो शख्स अल्लाह का, उसके फरिश्तों का, उसके रसूलों का, जिब्रील के और मीकाईल का दुश्मन हो तो बिलाशुबः अल्लाहतायला खुद ऐसे काफिरों का दुश्मन है|

अब मै इसी एक ही आयात से धरती पर मानव कहलाने वालों को चुनौती दे रहा हूँ , कि कुरान का अल्लाह जो उपदेश यह सूरा बकर =आयत 98 में दिया है | परमात्मा का यही =या इस प्रकार का उपदेश वेद, उपवेद, वेदांग, दर्शन.उपनिषद, अथवा वैदिक मान्यता के किसी भी ग्रन्थ से दिखादें

अब जब परमात्मा का, और अल्लाह का उपदेश एक ही नही है, फिर यह मुर्खता हम किसलिए कर रहे है की अल्लाह और ईश्वर एक है ? इस बात को हमें जानना चाहिए की मानव समाज में यही अल्लाह का उपदेश क्या है, किनके लिए है ? और वेद का उपदेश क्या है और किनके लिए है ? मात्र इतना ही नही और देखें कुरान का अल्लाह शारीर धारी है,कुरान में 

اِنَّ رَبَّكُمُ اللّٰهُ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ فِيْ سِتَّةِ اَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰى عَلَي الْعَرْشِ يُدَبِّرُ الْاَمْرَ ۭمَا مِنْ  شَفِيْعٍ اِلَّا مِنْۢ بَعْدِ اِذْنِهٖ ۭ ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ فَاعْبُدُوْهُ ۭ اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ Ǽ۝ تحقق تمہارا رب اللہ ہے جس نے بنائے آسمان اور زمنِ چھ دن مںَ پھر قائم ہوا عرش پر تدبرٖ کرتا ہے کام کی کوئی سفارش نہںع کرسکتا مگر اس کی اجازت کے بعد، وہ اللہ ہے رب تمہارا سو اس کی بندگی کرو کاا تم دھانن نہںِ کرتے،

अर्थ :-तहकीक तुम्हारा रब अल्लाह है,जिसने बनाये आसमानों और जमीन छः दिनमे,फिर. कायेम हुवा अर्श पर तदबीर करता है काम की कोई सुफारिश नही कर सकता मगर उसकी इजाजत की बाद, वह अल्लाह है तुम्हारे सिवा उसकी बन्दगी करो क्या तुम ध्यान नही करते ?

सूरा यूनुस =3 =सूरा अयरफ= आयत 54 =सूराहूद =7 =सूराफुरकान =59 =सूरा हदीद -4 

= और भी अनेक जगह है |

नोट:-अब यहाँ देखें अल्लाह कौन है ? जो आसमानों को और जमीं को छः दिन मे बनाया, यह उपदेश परमात्मा का नही हो सकता, परमात्मा का उपदेश है आकाश शून्यस्थान, खाली जगह का नाम है | इसी को अल्लाह ने सात बताया दिया कुरान में, अब यहाँ जब अल्लाह=और ईश्वर,के उपदेश में अन्तर है तो फिर अल्लाह और ईश्वर एक कैसे होंगे

ईश्वर ने मानवों को एक दुसरे से मित्र वत आचरण का उपदेश दिया| और कुरान ईमानदारऔर काफ़िर कहकर मानव समाज को एक दुसरे के खूनका प्यासा बनाया इसके बाद भी अगर कोई कहे की ईश्वर और अल्लाह एक ही है,उसे पागल के सिवा और क्या कह्सकते हैं हम ? इस्लामी आतंकवादी को देखकर भी लोग समझना नही चाहते तो वह देखता हुवाभी अँधा ही है | फिर सम्पूर्ण वेद में यह उपदेश भी कही नही है की परमात्मा ने छः दिन में दुनिया बनाये, अथवा छः दिन लगे परमात्मा को दुनिया बनाने में | यह विज्ञान विरुद्ध है, सृष्टि नियम विरुद्ध है, मानवता विरुद्ध भी है

कुरान के मानने वालें भी नही बता सकते की सूरज को बिना बनाये अल्लाह को पता कैसे लगा की छः दिन हो गये ? फिर अर्श करार पकड़ा, अर्श पर जा बैठे, वेद विरुद्ध है यह वाक्य,कारण बैठने वाला शारीर धारी होगा, और परमात्मा निराकार है, फिर दोनों का एक होना किसलिए संभव होगा ?

وَّالْمَلَكُ عَلٰٓي اَرْجَاۗىِٕهَا ۭ وَيَحْمِلُ عَرْشَ رَبِّكَ فَوْقَهُمْ يَوْمَىِٕذٍ ثَمٰنِيَةٌ 17؀ۭ اور فرشتے اس کے کناروں پر ہوں گے اور اس دن آٹھ فرشتے آپ کے پروردگار کے عرش کو اپنے اوپر اٹھائے ہوئے ہوں گے

अर्थ :- और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे और उसदिन आठ {8}फ़रिश्ते आप के परवरदिगार के अर्श को अपने ऊपर उठाये हुए होंगे

नोट:- मै ईश्वरऔर अल्लाह एक है कहने वालों को यह चुनौती दे रहा हूँ की वेद से कोई यह दिखा दे की अल्लाह जैसा किसी तख़्त पर बैठे हों जिसे 8 दूत रोके हों ? मै प्रलय तक समय दे रहा हूँ कोई भी अपने माता का दूध पीने वाला मुझे यह प्रमानित करे की वेद का ईश्वर, अल्लाह जैसा फरिश्तों से काम लेते हैं- कहीं वेद का परमात्मा किसी दूत से काम ले रहे हों ?

जो जो प्रमाण मै कुरान से दिया हूँ यही बात कोई परमात्मा के नाम से दिखा दे तो मैं भी ईश्वर और अल्लाह को एक ही मानने लगूंगा | और अगर यह नही दिखा सकता तो जो मै प्रमाण के साथ बता रहा हूँ इसी सत्य को मानलेना ही मानवता है, इस गलत पाठ को भूलें तथा मुर्ख और पागल बन कर सत्य को धारण,और असत्य का त्याग करें इसी मे मानवता की रक्षा होगी |


____________महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली



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