Sunday, 2 November 2014

काबा या अल्लाह की कालकोठरी ?



भारत के सभी धर्मों में ईश्वर को सर्वव्यापी ( Omnipresnt ) माना जाता है . अर्थात ईश्वर का निवास किसी विशेष स्थान पर नहीं हो सकता . हम उसकी उपासना किसी भी देश , किसी भी स्थान पर कर सकते हैं .हम श्रद्धा पूर्वक ईइश्वर को जहाँ भी पुकारते है . ईश्वर वहीँ उपस्थित हो जाता है .ईसाइयों के अनुसार उनके खुदा का निवास वैसे तो स्वर्ग के चौथे असमान पर है , लेकिन वह अपने नबियों जैसे , आदम . मूसा और दाऊद से मिलने के लिए पृथ्वी पर उतर जाता था . और नबियों से आमने सामने बातें भी करता था .लेकिन मुसलमानों का अल्लाह सिर्फ जन्नत में बताया जाता है . जैसे कुरान में दिया है .


1--अल्लाह का निवास 

"जो एक महान सिंहासन का स्वामी है .सूरा -नम्ल 27 :26 

वह एक बड़े सिंहासन पर विराजमान है .सूरा -अत तौबा 9 :29 

वह ऊंचाई पर स्थित तख़्त का स्वामी है. सूरा -अल मोमनीन 40 :15 

अरबी भाषा में" काबा كعبه"का अर्थ "टखने Ankle " होता है .लेकिन इसका तात्पर्य " उच्च स्थान a high place .इज्जत वाला respected भी होता है .इसे " बैतुल अतीक بيت العتيق" यानि पुराना घर और " मस्जिदुल हरामمسجد الحرام  "यानि वर्जित मस्जिद भी कहा जाता है .

2-अरब में कई काबा थे 

इस्लाम से पूर्व अरब में छोटे बड़े मिलाकर लगभग 20 काबा मौजूद थे . और सभी में उपासना होती थी .जिनने कुछ प्रसिद्ध कबाओं के बारे में हदीसों में भी उल्लेख है .यह इस प्रकार हैं .इस्लाम से पहले के एक कवि " जोहैर इब्न अबी सलमा " ने अपनी किताब"अल मुआल्ल्का " में अरब के कुछ प्रसिद्ध काबा के नाम दिए हैं . 

1 . नजरान काबा 

यह मक्का से दक्षिण में था 2 .सिंदाद काबा यह कूफा में था 3 .जुल खलश काबा यह मक्का के पूर्व में था .शद्दाद काबा 4 .गफ्तान काबा इसे सन 624 में तुड़वा दिया गया 5 . मक्का का काबा जो कुरैश लोगों ने बनाया था .इनमे कुछ ऐसे भी थे जिनमे मूर्ति पूजा नहीं होती थी . फिर भी मुहम्मद ने उन्हें तुड़वा दिया . यह हदीसों से साबित है जैसे 

1.नजरान काबा 

नजरान के जब्ल तसल की पहाड़ी पर एक काबा था . जहाँ जादातर ईसाई थे . जो मूर्तिपूजक नहीं थे . कुछ अरब भी वहां इबादत करते थे .मुहम्मद ने सन 631 में वहां हमला किया , और लोगों को इस्लाम कबूल करने को कहा . और जब उन लोगों ने इंकार किया तो मुहम्मद वहां के सभी 2000 लोगों को क़त्ल करा कर उनकी लाशें जलवा दीं.

" सही मुस्लिम - किताब 4 हदीस 1003 

2-गफ्तान काबा 

अरब के नज्द शहर के पास बनी गफ्तान यहूदी कबीले का एक काबा था .वह लोग मूर्ति पूजक नहीं थे . लेकिन अरब के लोग उस काबा को भेंट चढाते थे . जब मुहम्मद को पता चला तो उसने इस्लामी महीने जमादुल ऊला हिजरी 4 सन 624 को मदीना से आकर वहां हमला किया . और लोगों को क़त्ल करके वह काबा नष्ट करा दिया .

बुखारी - किताब 8 हदीस 630 

3-यमनी काबा 

जरीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा मैंने रसूल को बताया कि यमन में एक और काबा है . जिसे लोग " जिल खलश ذي هلسا" या " काबा अल यमनिया" और " काबा अश शम्शिया  الكعبة الشامية " कहते हैं . वहां "अहमस " कबीले के लोग रहते है . यह सुनते ही रसूल ने कहा तुम तुरंत फ़ौज लेकर वहां जाओ . और उस काबा को तोड़ दो . और वहां मौजूद सभी लोगों को क़त्ल कर दो .क्योंकि दुनिया में एक ही काबा रह सकता है .

बुखारी -जिल्द 5 किताब 58 हदीस 160 

जबीर ने कहा कि इस काबा के उत्तर में यमन में अहमस कबीले का एक और काबा था . जिसे " जुल खलश" काबा कहते थे . रसूल के कहने से हम 350 घुड सवारों की फ़ौज लेकर गए और वहां के सभी लोगों को क़त्ल करके और उस काबा को नष्ट करके वापस गए .

सही मुस्लिम किताब 31 हदीस 6052 

मुहम्मद के आदेश से अप्रेल सन 632 यानि हिजरी 10 मुसलमानों ने यमन का काबा नष्ट कर दिया . और वहां मौजूद सभी लोगों को क़त्ल कर दिया 
.
बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 641 

3-कुरान का झूठा दावा और काबा
मुसलमान समझते हैं कि काबा का निर्माण इब्राहीम ने अपने हाथों से किया था . जैसा कुरान कि कुरान में लिखा है ,

"याद रखो जब हमने काबा को केंद्र बनाया और इब्राहीम को आदेश दिया कि इस जगह को इबादत की जगह बनाओ ,और इस काम की इब्राहीम और इस्माइल को जिम्मेदारी सौंप दी " सूरा - बकरा 2 :125 

"और जब इब्राहीम और इस्माइल काबा की नींव रख रहे थे ,तो उन्होंने दुआ की थी ,कि हमारी तरफ इस घर को स्वीकार कर लो " सूरा - 2 :127 

4-बाइबिल से प्रमाण 

कुरान का यह दावा कि काबा इब्राहीम ने बनाया था . सरासर झूठ है . क्योंकि बाइबिल अनुसार इब्राहीम और इस्माइल अरब या मक्का कभी नहीं गए .चूँकि बाइबिल कुरान से काफी पुरानी है . इसलिए उसकी बात सही है . उसमे लिखा है .

"फिर इब्राहीम ऊर से निकल कर बेतेल के पूर्व में एक पहाड़ पर तंबू बनाकर रहने लगा .और वहीं उसने एक वेदी भी बनायीं "उत्पत्ति 12 :8 

फिर कुछ सालों के बाद इब्राहीम अपना तम्बू उखाड़ कर ममरे के बांजों में हेब्रोन में जाकर बस गया . और जीवन भर वहीं रहा "उत्पत्ति 13 :18 

इब्राहीम कनान देश के ऊर शहर में पैदा हुआ था . और जब बूढ़ा हुआ तो 175 साल की आयु में मर गया . उसके लडके इशक और इस्माइल ने उसे मकपेला की गुफा में दफना दिया .अर्थात जो जमीन उसने हित्तियों से खरीदी थी .बाद में इब्राहीम की पत्नी सारा को भी उसी जमीन में दफना दिया गया 

"बाईबिल .उत्पत्ति 25 :9 -10 

" और जब इस्माइल भी 137 साल का होकर मरा तो उसे भी उसी भूमि में दफना दिया गया ."उत्पति 25 :17 

5-मुहम्मद का सफ़ेद झूठ 

अबू जर ने कहा मैंने रसूल से पूछा कि दुनिया में सबसे पहले अल्लाह का कौन सा घर बना था . रसूल बोले " मस्जिदुल हराम " यानि काबा . फिर मैंने पूछा दूसरा घर कौन सा बना है तो रसूल बोले " मस्जिदुल अक्सा " जो यरूशलेम में है .फिर मैंने पूछा इन दौनों घरों के निर्माण में कितने सालों का अंतर है . तो रसूल बोले चालीस साल 

' बुखारी - जिल्द 4 किताब 55 हदीस 636 

6-यरूशलेम का मंदिर 

यरूशलेम स्थित जिस मस्जिद को मुसलमान " बैतुल मुकद्दस " कहते हैं उसे हिब्रू में " बेथ मिकदिश בֵּית־הַמִּקְדָּשׁ‎" कहते है .मुसलमान इसे " मस्जिदुल अक्सा " भी कहते हैं .इसका निर्माण राजा सुलेमान ( Solomon ) ने 957 ई० पू . में किया था . वास्तव में वह मस्जिद नहीं एक यहूदी मंदिर Temple था . जहाँ वेदी पर चढ़ावा चढ़ाता था और स्तुति होती थी 

7-किबला का परिवर्तन 

मुसलमान जिस उपासना स्थल की तरफ नमाज पढ़ते हैं उसे " क़िबला " कहा जाता है .पहले मुसलमान यरूशलेम के मंदिर की तरफ नमाज पढ़ते थे . लेकिन मुहम्मद ने 11 फरवरी सन 624 ( शाबान महीना हिजरी 2 ) अचानक मुसलमानों को काबा की तरफ नमाज पढ़ने का हुक्म दे दिया . यह बात कुरान में भी इस तरह लिखी है 

"यह मूर्ख लोग कहते हैं कि मुसलमान जिस किबले पर थे उसे किस चीज ने फेर दिया " सूरा- 2 :142 

"तो समझ लो हमीं हैं . जो तुम्हें उस किबले से उस किबले की तरफ फेरे देते हैं . जिसे तुम पसंद करोगे . और अब तुम अपना मुंह मस्जिदुल हराम यानि काबा की तरफ फेर दो " सूरा -बकरा 2 :144 

8-काबा में चित्र और मूर्तियाँ 

प्रसिद्ध इतिहासकार , F. E. Peters ने अपनी पुस्तक " The Hajj " के पेज 3 से 41 में काबा के बारे में बताया है ,यह किताब सन 1994 में प्रकाशित हुई है .इसके अनुसार मुहम्मद का एक पूर्वज "अम्र इब्न लुहैय(Amr ibn Luhayy )जब एकबार मेसोपोटामिया गया था तो , वहां से " हुब्ल( Hubl ) नामके देवता की मूर्ति लाया था . और मक्का के काबा में लगा दी थी . लोग हुब्ल को सबसे बड़ा देवता मानते थे , फिर देखादेखी कुरैश लोगों ने काबा में कई देवी देवताओं की मूर्तियाँ लगा दी .काबा में मरियम . इब्राहीम और इस्माइल के चित्र भी लगे थे . जिन पर लोग धन चढाते थे.जो पुजारियों में बाँट दिया जाता था . काबा के पुजारी को " शेख " कहा जाता था . मुहम्मद के समय मुख्य पुजारी " अबू सुफ़यान " था 

इब्न अब्बास ने कहा कि जब रसूल काबा के अन्दर जाने लगे तो देखा कि वहां दीवार पर इब्राहीम और इस्माइल की तस्वीर बनी हुई है . जो हाथों में तीर लेकर उनकी संख्या गिन कर शकुन निकाल रहे है . रसूल बोले लानत है कुरैश पर . इब्राहिम और इस्माइल ने कभी ऐसा नहीं किया . तुम इस तस्वीर को मिटा डालो "
बुखारी - जिल्द 4 किताब 55 हदीस 571 

.देखिये विडियो Islam Exposed: Kaaba is the House of Idols:


9-मूर्तियाँ तोड़ने का कारण

उस समय काबा के अन्दर और दीवार के पास 360 देवी देवताओं की मूर्तियाँ रखी थी .जिनकी पूजा करने के लिए हर कबीले के कई पुजारी रहते थे . जिन्हें शेख कहा जाता था .चूँकि मक्का यमन से सीरिया जाने वाले मुख्य व्यापारिक में पड़ता था इसलिए काफिले वाले काबा के देवताओं पर जो धन चढाते थे वह सभी पुजारियों में बंट जाता था .और अक्सर बहुत कम चढ़ावा आता था .मुहम्मद से समय मुख्य पुजारी " अबू सुफ़यान " था
मुहम्मद ने रमजान के महीने हिजरी 8 सन 630 को उसे कैद कर लिया और कई पुजारियों को क़त्ल करा दिया .और काबा की सभी मूर्तियों को तोड़ कर काबा अपने रिश्तेदारों के हवाले कर दिया .और कहा "सत्य गया और असत्य मिट गया 

" सूरा -बनी इसराइल 17 :81 

हमने तो कुरैश के लोगों से रिश्ता बना लिया . और उन्हीं को अल्लाह के इस घर की इबादत करने के लिए नियुक्त कर दिया . ताकि भूखों मरने के डर से बच सकें . और निश्चिन्त होकर खाएं पियें .सूरा- कुरैश 106 : 1 से 4 तक 

10-काबा के अन्दर क्या है ?

काबा की लम्बाई 39 .6 इंच है .और कुल क्षेत्रफल 627 फुट है . यानि 13 x 9 वर्ग मीटर है छत की ऊंचाई 2 .2 मीटर और दीवार एक मीटर मोटी है 
उत्तरी अमेरिका के इस्लामी सोसायटी के अध्यक्ष को 1998 में काबा के अन्दर जाने का अवसर मिला था . उन्होंने जो देखा वह इस प्रकार है ,अन्दर दो खम्भे हैं . एक सुगंधी जलाने चौकी है . छत पर कंदील लटका है लेकिन बिजली नहीं है . कोई खिड़की नहीं है . बह एक ही दरवाजा है .

देखिये विडियो 
Inside Kaaba Video


इन सभी प्रमाणों से निम्न बातें स्पष्ट रूप से सिद्ध होती है कि  

1.मुसलमानों का अल्लाह ईश्वर नहीं हो सकता क्योंकि वह सर्वव्यापी नहीं है .यदि वह सर्वव्यापी है तो किसी और देश में काबा क्यों नहीं बन सकता .

2 - मुहम्मद को यरूशलेम के इतिहास का कोई ज्ञान नहीं था , इस लिए उसे अल्लाह का रसूल मानना मुर्खता है 

3 .मुहम्मद का एकेश्वरवाद सिर्फ पाखंड था . वह उसके बहाने दुसरे धर्म स्थानों को लूटना चाहता था . वर्ना उसने उन कबाओं को क्यों तोडा जहाँ मूर्ति पूजा नहीं होती थी .

4.अगर अल्लाह सचमुच जिन्दा है तो वह आज किसी मुल्ले मौलवी से बात क्यों नहीं करता , क्या सभी मुसलमान पापी हैं ?

5 . मुहमद ने अपने कुनबे के लोगों का हमेशा के लिए पेट भरने का इंतजाम कर दिया था .लेकिन वास्तविकता तो यही है कि अल्लाह चाहे कैसा भी रहा होगा वह आज तक एक ऐसी अँधेरी और बंद कालकोठरी में कैद है , जिसमे हवा भी नहीं जा सकती .

अल्लाह काबा में कैद है . और कैदी की उपासना बेकार है !



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