भारतीय
धर्मशास्त्रों की बात मानें तो एक हरे भरे वृक्ष को काटना किसी मनुष्य की हत्या के बराबर पाप समझा जाता है। समझदारी या ज्ञान विज्ञान के दौर में इस बात को नितांत बचकाना समझा जाने लगा और पोड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई होने लगी।
इससे हुए नुकसान को अब समझा जाने लगा है और उस गलती को सुधारने के लिए नई नई कोशिशें होने लगी है। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरणविद सुझाव देने लगे हैं कि हरे वृक्षों की कटाई को हत्या जैसा अपराध घोषित किया जाए।
पर्यावरणविद जेएस खुल्लर के अनुसार करीब-करीब वे सारे काम जो हम रोजाना करते हैं, उन सबसे कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओटू) निकलता है।
इसलिए वृक्ष काटना अपराध है?
औद्योगिक युग की शुरुआत के साथ ही ईधन का प्रयोग
बढ़ने जिससे (सीओटू) भारी मात्रा में निकलने लगी जंगल काटे गए तो और भी ज्यादा
सीओटू की मात्रा बढ़ने लगी क्योंकि अब उसे सोखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पेड़
ही नहीं बचे।
सभी जानते हैं कि सीओटू ग्रीन हाउस गैस के रूप में काम करती और सूर्य की गर्मी को
रोक लेती है। आज धरती के तापमान को बढ़ाने में ’ग्रीन हाउस गैस’ ही मुख्य रूप से
जिम्मेदार हैं।
मौसम में आए बदलावों के लिए भी यही कारण है। गर्मी बढ़ने, बेमौसम बरसात, सूखे और
बाढ़ का प्रकोप और सर्दी के मौसम में ठंड बढ़ने के लिए भी यही गैस जिम्मेदार है। इन
बदलावों का असर मनुष्य सहित पेड़ पौधों व पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों पर भी हो रहा
है।
यह गैस जिस खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है उसे रोकने का कारगर उपाय एक ही है
‘कार्बन-न्यूट्रल’ बनना। इसके लिए जरूरी है कि अपने कार्बन फुटप्रिंट को पूरी तरह
से मिटाने की कोशिश की जाए जैसे पेड़ लगाएं, उनकी देखभाल करें ताकि
अपने द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड को सोख ले।
वृक्षारोपण इसका सबसे आसान और प्रभावशाली तरीका है।
एक पेड़ अपने जीवन काल में एक टन कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बन और ऑक्सीजन में बदलता
है।
इस उपाय का यानी कार्बन-न्यूट्रल’ बनने का दूसरा चरण
पेड पौधों को नष्ट करना जीवहत्या जैसा है अपराध समझा जाए।
इसके लिए सरकारी स्तर पर प्रभावी कानून बनाने और उसे
सख्ती से लागू करने की बात भी सोची जा रही है। पर उसके इंतजार तक अपराध को होते रहने
देने में कोई समझदारी नहीं हैं।
http://www.amarujala.com/feature/spirituality/positive-life/cutting-trees-is-a-crime-hindi-rj/?page=0
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