Saturday, 1 November 2014

इस्लाम का भविष्य क्या होगा ?

मुसलमान अक्सर अपनी बढ़ती जनसंख्या की डींगें मारते रहते है .और घमंड से कहते हैं कि आज तो हमारे 53 देश हैं .आगे चलकर इनकी संख्या और बढ़ेगी .इस्लाम दुनिया भर में फ़ैल जायेगा .विश्व ने जितने भी धर्म स्थापक हुए हैं ,सभी ने अपने मत के बढ़ने की कामना की है .लेकिन मुहम्मद एकमात्र व्यक्ति था जिसने इस्लाम के विभाजन ,तुकडे हो जाने और सिमट जाने की पहिले से ही भविष्यवाणी कर दी थी .यह बात सभी प्रमाणिक हदीसों में मौजूद है .

यदि कोई इन हदीसों को झूठ कहता है ,तो उसे मुहम्मद को झूठ साबित करना पड़ेगा .क्योंकि यह इस्लाम के भविष्य के बारे में है .सभी जानते हैं कि किसी आदर्श ,या नैतिकता के आधार पर नहीं बल्कि तलवार के जोर पर और आतंक से फैला है .इस्लाम कि बुनियाद खून से भरी है .और कमजोर है .मुहम्मद यह जानता था .कुरान में साफ लिखा है -

1-इस्लाम की बुनियाद कमजोर है

"कुछ ऐसे मुसलमान हैं ,जिन्होंने मस्जिदें इस लिए बनायीं है ,कि लोगों को नुकसान पहुंचाएं ,और मस्जिदों को कुफ्र करने वालों के लिए घात लगाने और छुपाने का स्थान बनाएं .यह ऐसे लोग हैं ,जिन्होंने अपनी ईमारत (इस्लाम )की बुनियाद किसी खाई के खोखले कगार पर बनायीं है ,जो जल्द ही गिरने के करीब है .फिर जल्द ही यह लोग जहन्नम की आग में गिर जायेंगे 

"सूरा -अत तौबा 9 :108 और 109

2 -इस्लाम से पहिले विश्व में शांति थी .

यद्यपि इस्लाम से पूर्व भी अरब आपस में मारकाट किया करते थे ,लेकिन जब वह मुसलमान बन गए तो और भी हिंसक और उग्र बन गए .जैसे जैसे उनकी संख्या बढ़ती गयी उनका आपसी मनमुटाव और विवाद भी बढ़ाते गए .वे सिर्फ जिहाद में मिलने वाले माल के लिए एकजुट हो जाते थे .फिर किसी किसी बात पर फिर लड़ने लगते थे ,शिया सुनी विवाद इसका प्रमाण है .
इसके बारे में मुहमद के दामाद हजरत अली ने अपने एक पत्र में मुआविया को जो लिखा है 

उसका अरबी के साथ हिंदी और अंगरेजी अनुवाद दिया जा रहा है -

3 -हजरत अली का मुआविया को पत्र

हजरत अली का यह पत्र संख्या 64 है उनकी किताब" नहजुल बलाग "में मौजूद है .
http://www.imamalinet.net/EN/nahj/nahj.htm

"यह बात बिलकुल सत्य है कि,इस्लाम से पहिले हम सब एक थे .और अरब में सबके साथ मिल कर शांति से रह रहे थे .तुमने (मुआविया )महसूस किया होगा कि ,जैसे ही इस्लाम का उदय हुआ ,लोगों में फूट और मनमुटाव बढ़ाते गए .इसका कारण यह है ,कि एक तरफ हम लोगों को शांति का सन्देश देते रहे ,और दूसरी तरफ तुम मुनाफिक(Hypocryt )ही बने रहे ,और इस्लाम के नाम पर पाखंड और मनमर्जी चलाते रहे.तुमने अपने पत्र में मुझे तल्हा और जुबैर की हत्या का आरोपी कहा है .मुझे उस पर कोई सफ़ाई देने की जरुरत नहीं है .लेकिन तुमने आयशा के साथ मिलकर मुझे मदीना से कूफा और बसरा जाने पर विवश कर दिया ,तुमने जो भी आरोप लगाये हैं ,निराधार है ,और मैं किसी से भी माफ़ी नहीं मांगूंगा "
मुआविया के पत्र का हजरत अली का मुआविया को जवाब -नहजुल बलाग -पत्र संख्या 64

ومن كتاب له عليه السلام
كتبه إلى معاوية، جواباً عن كتاب منه
أَمَّا بَعْدُ، فَإِنَّا كُنَّا نَحْنُ وَأَنْتُمْ عَلَى مَا ذَكَرْتَ مِنَ الاَُْلْفَةِ وَالْجَمَاعَةِ، فَفَرَّقَ بيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ أَمْسِ أَنَّا آمَنَّا وَكَفَرْتُمْ، وَالْيَوْمَ أَنَّا اسْتَقَمْنَا وَفُتِنْتُمْ، وَمَا أَسْلَمَ مُسْلِمُكُمْ إِلاَّ كَرْهاً وَبَعْدَ أَنْ كَانَ أَنْفُ الاِِْسْلاَمِكُلُّهُ لِرَسُولِ اللهِ صلى الله عليه وآله حرباً
وَذَكَرْتَ أَنِّي قَتَلْتُ طَلْحَةَ وَالزُّبَيْرَ، وَشَرَّدْتُ بِعَائِشَةَ وَنَزَلْتُ بَيْنَ الْمِصْرَيْنِ وَذلِكَ أَمْرٌ غِبْتَ عَنْهُ، فَلاَ عَلَيْكَ، وَلاَ الْعُذْرُ فِيهِ إِلَيْكَ

[ A reply to Mu'awiya's letter. ]

It is correct as you say that in pre-Islamic days we were united and at peace with each other. But have you realized that dissensions and disunity between us started with the dawn of Islam. The reason was that we accepted and preached Islam and you remained heathen. The condition now is that we are faithful and staunch followers of Islam and you have revolted against it. Even your original acceptance was not sincere, it was simple hypocrisy. When you saw that all the big people of Arabia had embraced Islam and had gathered under the banner of the Holy Prophet (s) you also walked in (after the Fall of Makkah.)
In your letter you have falsely accused me of killing Talha and Zubayr, driving Ummul Mu'minin Aisha from her home at Madina and choosing Kufa and Basra as my residence. Even if all that you say against me is correct you have nothing to do with them, you are not harmed by these incidents and I have not to apologize to you for any of them.

4 -इस्लाम का विभाजन

इस्लाम के पूर्व से ही अरब के लोग दूसरों को लूटने और आपसी शत्रुता के कारण लड़ते रहते थे .लेकिन मुसलमान बन जाने पर उनको लड़ने और हत्याएं करने के लिए धार्मिक आधार मिल गया .वह अक्सर अपने विरोधियों को मुशरिक ,मुनाफिक और काफ़िर तक कहने लगे और खुद को सच्चा मुसलमान बताने लगे .और अपने हरेक कुकर्मों को कुरान की किसी भी आयत या किसी भी हदीस का हवाला देकर जायज बताने लगे .धीमे धीमे सत्ता का विवाद धार्मिक रूप धारण करता गया .मुहम्मद की मौत के बाद ही यह विवाद इतना उग्र हो गया की मुसलमानों ने ही मुहम्मद के दामाद अली ,और उनके पुत्र हसन हुसैन को परिवार सहित क़त्ल कर दिया .उसके बाद ही इस्लाम के टुकडे होना शुरू हो गए .

जिसके बारे में खुद मुहम्मद ने भविष्यवाणी की थी .-

"अबू हुरैरा ने कहा कि,रसूल ने कहा था कि यहूदी और ईसाई तो 72 फिरकों में बँट जायेंगे ,लेकिन मेरी उम्मत 73 फिरकों में बँट जाएगी ,और सब आपस में युद्ध करेंगे 

"अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4579

"अबू अमीर हौजानी ने कहा कि ,रसूल ने मुआविया बिन अबू सुफ़यान के सामने कहा कि ,अहले किताब (यहूदी ,ईसाई ) के 72 फिरके हो जायेंगे ,और मेरी उम्मत के 73 फिरके हो जायेंगे ..और उन में से 72 फिरके बर्बाद हो जायेंगे और जहन्नम में चले जायेंगे .सिर्फ एक ही फिरका बाकी रहेगा ,जो जन्नत में जायेगा 

"अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4580 .

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,ईमान के 72 से अधिक टुकडे हो जायेंगे ,और मुसलमानों में ऐसी फूट पड़ जाएगी कि वे एक दुसरे की हत्याएं करेंगे ."

अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4744 .

"अरफजः ने कहा कि मैं ने रसूल से सुना है ,कि इस्लाम में इतना बिगाड़ हो जायेगा कि ,मुसलमान एक दुसरे के दुश्मन बन जायेंगे ,और तलवार लेकर एक दुसरे को क़त्ल करेंगे "अबू 

दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4153 .

"सईदुल खुदरी और अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,पाहिले तो मुसलमान इकट्ठे हो जायेंगे ,लेकिन जल्द ही उनमें फूट पड़ जाएगी .जो इतनी उग्र हो जाएगी कि वे जानवरों से बदतर बन जायेगे .फिर केवल वही कौम सुख से जिन्दा रह सकेगी जो इनको इन को ( नकली मुसलमानों )को क़त्ल कर देगी .फिर अनस ने रसूल से उस कौम की निशानी पूछी जो कामयाब होगी .तो रसुलने बताया कि,उस कौम के लोगों के सर मुंडे हुए होंगे .और वे पूरब से आयेंगे 

"अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4747 .

5 -इस्लाम के प्रमुख फिरके

आमतौर पर लोग मुसलमानों के दो ही फिरकों शिया और सुन्नी के बारे में ही सुनते रहते है ,लेकिन इनमे भी कई फिरके है .इसके आलावा कुछ ऐसे भी फिरके है ,जो इन दौनों से अलग है .इन सभी के विचारों और मान्यताओं में इतना विरोध है की यह एक दूसरे को काफ़िर तक कह देते हैं .और इनकी मस्जिदें जला देते है .और लोगों को क़त्ल कर देते है .शिया लोग तो मुहर्रम के समय सुन्नियों के खलीफाओं ,सहबियों ,और मुहम्मद की पत्नियों आयशा और हफ्शा को खुले आम गलियां देते है .इसे तबर्रा कहा जाता है .इसके बारे में अलग से बताया जायेगा .

सुन्नियों के फिरके -हनफी ,शाफई,मलिकी ,हम्बली ,सूफी ,वहाबी ,देवबंदी ,बरेलवी ,सलफी,अहले हदीस .आदि -
शियाओं के फिरके -इशना अशरी ,जाफरी ,जैदी ,इस्माइली ,बोहरा ,दाऊदी ,खोजा ,द्रुज आदि
अन्य फिरके -अहमदिया ,कादियानी ,खारजी ,कुर्द ,और बहाई अदि

इन सब में इतना अंतर है की ,यह एक दुसरे की मस्जिदों में नमाज नहीं पढ़ते .और एक दुसरे की हदीसों को मानते है .सबके नमाज पढ़ने का तरीका ,अजान ,सब अलग है .इनमे एकता असंभव है .संख्या कम होने के से यह शांत रहते हैं ,लेकिन इन्हें जब भी मौका मिलाता है यह उत्पात जरुर करते हैं .

6 -इस्लाम अपने बिल में घुस जायेगा

मुहम्मद ने खुद ही इस्लाम की तुलना एक विषैले नाग से की है .इसमे कोई दो राय नहीं है .सब जानते हैं कि यह इस्लामी जहरीला नाग कितने देशों को डस चुका है .और भारत कि तरफ भी अपना फन फैलाकर फुसकार रहा है .लेकिन हम हिन्दू इतने मुर्ख हैं कि सेकुलरिज्म ,के नामपर ,और झूठे भाईचारे के बहाने इस इस्लामी नाग को दूध पिला रहे हैं .और तुष्टिकरण की नीतियों को अपना कर आराम से सो रहे है .आज इस बात की जरुरत है की ,हम सब मिल कर मुहम्मद की इस भविष्यवाणी को सच्चा साबित करदें ,जो उसने इन हदीसों में की थीं .-

"अबू हुरैरा ने कहा की ,रसूल ने कहा कि,निश्चय ही एक दिन इस्लाम सारे विश्व से निकल कर कर मदीना में में सिमट जायेगा .जैसे एक सांप घूमफिर कर वापिस अपने बिल में घुस जाता है 'बुखारी -जिल्द 3 किताब 30 हदीस 100 .
"अब्दुल्ला बिन अम्र बिन यासर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जल्द ही एक ऐसा समत आयेगा कि जब लोग कुरान तो पढेंगे ,लेकिन कुरान उनके गले से आगे कंधे से निचे नहीं उतरेगी.और इस्लाम का कहीं कोई निशान नहीं दिखाई देगा "

बुखारी -जिल्द 9 किताब 84 हदीस 65

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा है कि ,इस्लाम सिर्फ दो मस्जिदों (मक्का और मदीना )के 

बीच इस तरह से रेंगता रहेगा जैसे कोई सांप इधर उधर दो बिलों के बीच में रेंगता है "

सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 270 .

"इब्ने उमर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ऐसा निकट भविष्य में होना निश्चय है ,कि इस्लाम और ईमान दुनिया से निकलकर वापस मदीने में इस तरह से घुस जायेगा ,जैसे कोई विषैला सांप मुड़कर अपने ही बिल में घुस जाता है "

सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 271 और 272 .

अब हम देखते हैं कि मुसलमान इन हदीसों को झूठ कैसे साबित करते है . आज लीबिया ,यमन और दूसरे इस्लामी देशों में जो कुछ हो रहा है ,उसे देखते हुए यही प्रतीत होता है कि मुहम्मद साहिब की यह हदीसें एक दिन सच हो जायेगीं ,जिनमे इस्लाम के पतन और विखंडन की भविष्यवाणी की गयी है .!



http://www.faithfreedom.org/oped/AbulKasen50920.htm

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