जो लोग महिलाओं को पुरुषों के बराबर
अधिकार और सम्मान दिलाने की बात करते हैं , वह यह्नाही जानते कि हिन्दू परंपरा में
स्त्रियों को पुरुषों के बराबर नहीं बल्कि पुरुषों से अधिक सम्मान दिया गया है
.उदहारण के लिए जब भी किसी अवतार या देवता का स्मरण किया जाता है ,तो उनकी
पत्नी का नाम पहले लिया जाता है .जैसे , सीता -राम , राधे -कृष्ण
,गौरी -शंकर , लक्ष्मी -
नारायण और इसी तरह किसी के अभिभावक का उल्लेख करते समय उसके माता -पिता शब्द का प्रयोग
किया जाता है .यहाँ तक जब भी कोई यज्ञ किया जाता है तो पत्नी बिठाना अनिवार्य होता
है .. परन्तु बड़े ही दुर्भाग्य कि बात है कि इतने समय तक इस्लाम की नारी विरोधी
शिक्षा से प्रभावित होकर हिन्दू भी नारियों का सम्मान करने की पुरानी परंपरा भूलते
जा रहे हैं .जिसके कारण देश भर में जगह जगह महिलाओं पर अत्याचार , भेदभाव ,और बलात्कार
हो रहे हैं .क्योंकि इस्लाम एक ऐसा नारी विरोधी विचार है ,जो
स्त्रियों को पुरुषों से हीन और उपभोग की वस्तु मानकर उनपर अत्याचार करने को जायज
बताता है .यहाँ पर कुरान और हदीसों से यही बात सिद्ध की जा रही है .
1-पुरुष स्त्रियों से श्रेष्ठ हैं
इस्लामी मान्यता है
कि अल्लाह ने पुरुषों को श्रेष्ठ और स्त्रियों को हर प्रकार से निकृष्ट बनाया है .
इसलिए स्त्रियों को समान अधिकार नहीं दिए जा सकते ,क्योंकि कुरान में
लिखा है ,
-पुरुषों को स्त्रियों से ऊंचा दर्जा प्राप्त है
" सूरा -बकरा 2 :228
पुरुष स्त्रियों से श्रेष्ठ है , क्योंकि अल्लाह ने उनको बडाई दी है " सूरा निसा 4 :34
2-औरतें अय्याशी का साधन
इस्लाम स्त्रियों को
मनुष्य नहीं , उपभोग की ऐसी वस्तु मानता है .पुरुष जिसका जैसा भी चाहे उपयोग
कर सकता है . और दिल भर जाने पर बिना कारण ही औरत को तलाक नयी औरत ला सकता है .यह
अल्लाह ने कहा है
तुम्हारे लिए आजादी है कि, तुंम दो दो , तीन तीन और चार चार शादियाँ कर लो
"सूरा -निसा 4 :3
तुम जब चाहो अपनी औरतों को छोड़ कर दूसरी
औरतें रख सकते हो " सूरा 4 :20
तुम जब चाहो अपनी औरतों को तलाक दे सकते
हो .तुम्हें अल्लाह ढेरों नयी औरतें दे देगा और रब के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है
"सूरा -अत तहरीम 66 :5
3-महिलाविरोधी अँधा
कानून
इस्लामी कानून के
चलते स्त्रियों को न्याय कभी नहीं मिल सकता .जब तक कुरान में यह आयत रहेगी
यदि औरतें व्यभिचार में पकड़ी जाएँ और
अपने पक्ष में चार गवाह पेश न कर सकें , तो उनको घर में तब तक बंद रखो जब तक वह (
भूखों ) न मर जाएँ "
सूरा -निसा 4 :15
यदि स्त्रियाँ अश्लील काम करती पायी जाएँ
तो उनको दोगुनी सजा दी जाये "सूरा -अहज़ाब 33 :30
4-पत्नी को पीटना जायज
है
मुसलमान अपनी
जनसंख्या बढ़ा कर विश्व पर राज्य करना चाहते है , और औरतों को बच्चे
पैदा करने की मशीन मानते हैं .और यदि औरत सहवास से मना करती है . तो पुरषों को उसे
मारने पीटने का अधिकार है ,यही कुरान और हदीस कहती हैं
रसूल ने कहा है , यदि कोई व्यक्ति अपनी औरत की पिटायी करता है , तो उस से इसके बारे में कोई सवाल नहीं किया जा सकता "
अबू दाऊद -किताब 11 हदीस 2142
तुम हाथों से एक कोई टहनी तोड़ लो .और उस
से औरत की पिटाई करो " सूरा -साद 38 :44
एक औरत रसूल के पास
फरियाद लेकर गयी और बोली कि मेरा पति मुझे बिना बात पर ही बुरी तरह से मारता रहता
है . उसने रसूल को अपने शरीर मार पीट के जख्म ,और त्वचा पर
पड़े हुए नीले हरे सूजन के निशान भी दिखाए .लेकिन रसूल ने उसकी विनती पर कोई ध्यान
नहीं दिया और हंसते हुए उस औरत से कहा जाओ उसी पति के पास वापिस जाओ . और उसकी
वासना को संतुष्ट करो .यही मेरा निर्णय है ."
सही बुखारी - जिल्द 7 किताब 72 हदीस 715
आयशा ने कहा कि रसूल
को मेरा बाहर जाकर किसी से मिलना पसंद नहीं था . और जब भी मैं किसी कारण से बाहर
जाती थी ,तो वापिस
आते ही रसूल मेरी छातियों पर इतनी जोर से घूंसे मारते थे कि मुझे कई दिनों तक दर्द
होता रहता था "सही मुस्लिम -किताब 4 हदीस 2127
आयशा और हफ्शा ने
कहा कि रसूल के ससुर अबू बकर और उमर जब भी किसी बात से नाराज हो जाते थे , तो उनको
बुरी तरह से पीटते थे. यह बात सुन कर रसूल बहुत खुश हुए
" सही मुस्लिम -किताब
9 हदीस 3506
5-स्त्रीशिक्षा का शत्रु इस्लाम
इस्लाम चाहता है कि
स्त्रियाँ सिर्फ घर के अन्दर रहकर नमाज पढ़ती रहें और बच्चे पैदा करती रहें .और
आधुनिक शिक्षा से दूर रहें .क्योंकि यदि स्त्रियाँ शिक्षित हो जाएँगी तो इस्लाम की
पोल खुल जाएगी .इसी डर से तालिबान ने मलाला नामकी लड़की को गोली मारी थी .इसके
पीछे कुरान की यह आयत है ,
स्त्रियाँ बस घर में रहें और सजधज न करें
और नमाज पढ़ती रहें "सूरा -अहजाब 33 :33
6-परिवार का शत्रु इस्लाम
सभी धर्मों में
परिवार के सभी सदस्यों का यथायोग्य आदर और सम्मान करने की शिक्षा दी गयी है .
लेकिन इस्लाम परिवार के उन सभी लोगों को शत्रु मानने की शिक्षा देता है , जो रसूल की
बेतुकी बातों का विरोध करते हों .
हे ईमान वालो तुम अपने माँ बाप और भाइयों
को अपना मित्र नहीं बनाना यदि वह मुसलमान नहीं बनते
"सूरा -तौबा 9 :23
तुम उन लोगों को अपना मित्र नहीं मानो , जो रसूल के विरोधी हों .चाहे वह उनके बाप ,बेटे , सगे भाई या घराने के लोग ही क्यों न हों
"सूरा -मुजादिला 58 :22
7-इस्लाम पाखंड
जकारिया नायक जैसे
अनेकों धूर्त इस्लाम के प्रचारक लोगों को धोखा देने , और इस्लाम
की तारीफ करने के लिए अक्सर इस हदीस का हवाला देकर कहते हैं , कि इस्लाम
में माता को सबसे बड़ा दर्जा दिया गया है ,वह हदीस इस प्रकार है ,
मुआविया बिन जाहमिया ने रसूल से कहा कि
मैं जिहाद पर जाना चाहता हूँ .रसूल ने उस से पूछा कि क्या तुम्हारे घर में माँ
मौजूद है .जाहमिया ने कहा हाँ .तब रसूल ने कहा अपनी माँ के पास रहो . क्योंकि माँ
के पैरों के नीचे जन्नत होती है "(Paradise is beneath feets of mother )
""الجنة
تحت أقدام الأم "(अल जन्नत तहत इकदाम अल उम्म )
सुन्नन
नसाई -हदीस 3104 और यही बात मुसनद अहमद बाब 3 हदीस 429 में भी है .
लेकिन यह हदीस " जईफ " यानि
अपुष्ट , फर्जी , और बनावटी है .अर्थात झूठी है .क्योंकि
मुहम्मद ने अपने सभी सहबियों से कहा था कि वह मेरी औरतों को अपनी माताएं समझें .जिनमे
मुहम्मद की नौ साल की पत्नी आयशा भी शामिल है .कुरान में कहा है ,
रसूल की पत्नियां ईमान वालों की माताएं
है
"सूरा -अहजाब 33 :6
इस आयत में मुहम्मद
साहब ने यह आदेश दिया है कि लोग रसूल की पत्नियों को माता के समान आदर करें .
लेकिन हदीस में कहा है कि लोग अपनी सगी माता और बहिन से भी शादी कर सकते हैं
.देखिये विडियो
Islam adultery sex incest with own
daughter allowed!!!!!!!
8-मुस्लिम औरतों की दुर्गति
मुस्लिम औरतें चाहे
किसी भी मुस्लिम देश में रहें ,कुरान और हदीसों के ऐसे ही स्त्री विरोधी नियमों के कारण उन
पर हमेशा अत्याचार होते रहेंगे .और वह हमेशा दुखी होती रहेंगी .जैसा कि मुहम्मद
साहब की प्रिय पत्नी आयशा ने इस हदीस में कहा है
आयशा ने कहा कि मैंने दुनियां में इतनी
दुखी और सताई गयी औरतें कहीं नहीं देखीं , जितनी दुखी और
सताई गयी औरतें ईमान वालों (मुसलमानों ) के घर में होती हैं " सही बुखारी
-जिल्द 7 किताब 72 हदीस 715 A
इसलिए मुस्लिम लड़कियों को
चाहिए कि जल्द ही किसी हिन्दू लडके से शादी कर लें . और जिंदगी भर सुखी जीवन
बिताएं !
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