क्या आप जानते हैं कि........ दुनिया में इस्लाम ही एक
मात्र ऐसा धर्म है .... जहाँ वेश्यावृति को ना सिर्फ वैधता प्राप्त है बल्कि....
बल्कि, इसे एक धार्मिक
कार्य मानते हुए ...इस्लाम में प्रोत्साहित भी किया जाता है....!
इसका कारण जानने से पहले हमें इस्लाम और उसके प्रतिपादक
मुहम्मद के क्रिया कलापों और उसकी मानसिकता को समझना अतिआवश्यक है...तभी हम इस्लाम
में इसकी आवश्यकता को ठीक ढंग से समझ पाने में समर्थ हो पाएंगे...!
और,
सारी कहानी का
निचोड़ ये है कि.... मुहम्मद साहब कोई साधू-महात्मा तो थे नहीं ..... बल्कि, वे तो एक अनपढ़, जाहिल और पेशे से
दुर्दांत लुटेरे थे....!
इसीलिए .... अपनी लूट -मार और तथाकथित रूप से जेहाद फ़ैलाने
के सिलसिले में उन्हें और उनके गिरोह को हफ़्तों-महीनों तक घर से बाहर रहना रहना
पड़ता था ( शायद यही वजह थी कि.. मौका लगते ही उन्होंने अपनी सगी और मात्र 6 साल
की मासूम बेटी तक को ............... ).
खैर.... तो , उसी लूट-मार के दौरान कहीं उनके साथी बिदक ना जाएँ और उनके
लूट-पाट का फलता-फूलता धंधा चौपट ना हो जाए .. इसी डर से मुहम्मद साहब ने ना सिर्फ
वेश्यावृति के धंधे को बढ़ावा दिया ...बल्कि उसे एक धार्मिक और कानूनी जामा पहनाते
हुए उसे ना सिर्फ कुरान में भी उल्लेखित कर दिया बल्कि उसे पुण्य का काम भी घोषित
कर दिया .
आपलोगों को लग रहा होगा कि ऐसा भला कैसे हो सकता है....
लेकिन आप ये बात जान लो कि.... जहाँ मुहम्मद साहब मौजूद हों वहां कुछ भी हो सकता
है (सिर्फ उलुल -जुलूल और बुरी बातें )
लीजिए .... आप भी कुरान की उन हदीसों का अध्धयन करें और
अपना सामान्य ज्ञान बढाएँ ...
इस्लाम में "मुथा" और "मिस्यर" शादी
शब्द ला कर वेश्यावृति को कानूनी जामा पहनाया गया है.... जिसे यात्री विवाह भी कहा
जाता है..!
ये ""मुथा और मिस्यर विवाह "" और कुछ
नहीं ... बल्कि, एक प्रकार से
अनुबंध आधार पर अल्पावधि शादियां हैं..... जो कुछ महीनों , कुछ दिनों से
लेकर .... महज कुछ घंटों के लिए भी हो सकती है...... जिसे आधुनिक बोलचाल की भाषा
में आप ... निःसंकोच इस्लामिक वेश्यावृति भी बोल सकते हो....!
इस्लामी धर्मग्रन्थ कुरान में.... इस तरह की वेश्यावृति को
किस तरह से धार्मिक जमा पहनाया गया है.... जरा आप भी ध्यान दें....
@ इब्न मसूद ने
बताया, "हम रसूल के साथ
लड़ रहे थे और अपनी पत्नियों हमारे साथ नहीं थीं, तब हमने रसूल से पूछा, 'क्या हम खुद को
संतुष्ट करना चाहिए....?
रसूल हमें उस से मना किया और फिर वह हमें (अस्थायी) Mutha शादी की अनुमति
दी. तो, हम सभी कपड़े का
एक टुकड़ा की दहेज के लिए एक निश्चित समय (आमतौर पर तीन दिन) के लिए शादी कर के
पत्नी बना लिए...... Al
Hadis, Vol. 2,
page no. 686
@ सलामा बिन
अल-अक्वा कहते हैं : अल्लाह से प्रेरित होकर मैं कहता हूँ .. अगर एक आदमी और एक
औरत सहमत हैं ( अस्थायी रूप से शादी के लिए) तो उनकी शादी अधिकतम तीन रातों के लिए
वैध होगी...!और उसके बाद अगर वे इसे जारी रखना चाहते हैं तो रखें रख सकते हैं, अन्यथा अलग होना
चाहते हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं....Volume 007, Book 062, Hadis Number 053.
### मुझे तो लगता है
कि जहाँ हिन्दू धर्म में स्त्रियों को सम्मान की नजर से देखा जाता है और उन्हें
देवी तक की संज्ञा दी गयी है वहीँ मुहम्मद साहब ने "इस्लाम में स्रियों
को" भोग-विलास की "मात्र एक वस्तु" बना रखने में कोई कोर-कसर नहीं
रख छोड़ी है.
और,
यही कारण है
कि.... मुस्लिम आधुनिक एवं सभ्य समाज के साथ खुद को सहज महसूस नहीं करते हैं और हर
हालत में शरियत लाना चाहते हैं... ताकि, उनके सरे कुकर्म छुपे रह सकें और वे खुल कर अपनी मनमानियां
कर सकें.....!
ध्यान रहे कि.... इस्लाम को छोड़कर दुनिया के सभी धर्मों
में चरित्रवान रहने पर जोर दिया गया है और वेश्यावृति को पाप मानते हुए उसे एक
घिनौने अपराध की संज्ञा दी गई है.... जबकि इस्लाम में उसे ना सिर्फ प्रोत्साहित
किया गया है बल्कि, कुरान के माध्यम
से वेश्यावृति को धार्मिक कार्य भी बना दिया गया है...!
जय महाकाल ...!!!
Disclaimer :
ये लेख किसी
दुर्भावना के कारण नहीं बल्कि लोगों के सामाजिक जागरूकता में वृद्धि करने के
पवित्र उद्देश्य से लिखी गई है...!
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