Monday 23 December 2013

दुल्हन बैठी इंतजार मेँ

दिल्ली की कुर्सी पे बैठने, दो दो दूल्हे आए...

दुल्हन बैठी इंतजार मेँ, मंद मंद मुस्काए...

बीजेपी का दुल्हा बोला, मेरे बाराती कम हैँ... ले जाओ

तुम केजरी भैया, गर सच मेँ तुम मेँ दम है... काँग्रेस

बोली केजरी से, हम देँगे तुमको समर्थन...

केजरी तुम्हारी शादी मेँ, धोएँगे सारे बर्तन...

केजरी बेचारा बोले न करनी मुझे शादी भैया,

बनना मुझे दूल्हा... तुम दोनोँ मिलकर के मुझसे,

फूँकवाओगे चूल्हा... आज सुबह केजरी भैया को, एक

संदेशा आया... लड़की के बापू ने उनको, घर पे अपने

बुलावा... मान जाओ अब केजरी बेटा, क्यूँ अब

तरसाते हो... दूसरी शादी का खर्चा क्यूँ, सिर पर

चढ़वाते हो... दुल्हन के नखरे देखे बहुत, अब

दूल्हा नखरे दिखाए... शादी करने से पहले ही 18           

वचन बताए... जो न मानो शर्तेँ मेरी, मैँ

शादी नहीँ करुँगा... शादी के मंडप के बाहर, अनशन

फिर से करुँगा... न जाने क्यूँ सारे मिलकर, मेरे

ही पीछे पड़े हो... 'बलि का बकरा' बनवाने को, सब
तैयार खड़े हो

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