जब
दुर्योधन (कॉंग्रेस) को लगा की वो अपने दम पर अर्जुन (मोदी)
को परास्त नहीं कर सकता तो उसने कर्ण (AAP) से दोस्ती कर ली
और उसे अंग देश (दिल्ली) का राजा बना दिया, इस अहसान के
बदले कर्ण , दुर्योधन और उसके साथियों (शीला government)
के अधर्म(corruption) की तरफ अपनी आँखें बंद कर लीं और
इस अधर्म को छुपाने और खुद को दानवीर कहलाने केलिए
अपनी हैसियत से ज़्यादा दान (subsidy) दिया और
दुर्योधन (कॉंग्रेस) को विजयी बनानेकी पूरी कोशिश
की.इस धर्म युद्ध मे भीष्म और द्रोण (media) और
socialactivists) ने भी इस गठजोड़ का साथ दिया!
लेकिन जनार्दन (जनता जनार्दन) ने अर्जुन (मोदी)का
साथ नहीं छोड़ा और ये तो सर्व विदित है की अंत में
जीत उसी कि होती है ...जिसके साथ जनार्दन (जनता)
होते हैं
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