Sunday, 12 January 2014

लोमड़ी , भेड़िये , सियार और शेर

लोमड़ी के राज में जंगल के सभी जानवर त्रस्त थे .............

क्योंकि पड़ोसी जंगल के भेड़िये जब तब घुस आते और............ 

नन्हे जानवरों को खा जाते....... 

ऐसे में एक शक्तिशाली राजा की ज़रूरत थी जो उन्हें बचा सके .......... 

जंगल में चारों तरफ़ चर्चा थी............ 

कि इस बार शेर को ही जिताएंगे ........

और अपना राजा बनाएंगे......... 

हालांकि लोमड़ पार्टी इसका यह कह कर पुरज़ोर विरोध कर रही थी..... 

कि शेर तो हिंसक है, गुस्से वाला है.... 

अगर वोह राजा बन गया तो जंगल का विनाश हो जाएगा,.......... 

लेकिन सभी प्राणी ठान चुके थे ....

कि इस बार शेर को ही शासन सौंपना है......!!!


अपना सिंहासन डोलता देख.......


लोमड़ी ने वहाँ के तमाम ............

सियारों को चुपके से डिनर पर बुलाया और कहा.......... 

कि इस बार मेरी हार निश्चित है .......

लेकिन अगर शेर सिंहासन पर आ गया तो तुम भी मारे जाओगे..... 

और मैं भी...., इसलिए तुम तुरत फुरत...... 

एक दल बनाओ और पूरे जंगल में घूम घूम कर मेरा विरोध करो........., 

मुझे गालियां दो और मुझे जेल भेजने की घोषणाएं करो ..........…

इससे फायदा यह होगा कि...... 

चुनाव दो तरफ़ा से तीन तरफ़ा हो जाएगा ......

अर्थात जो लोग मुझसे नाराज़ हो कर शेर को वोट देने वाले हैं............., 

उनमें से बहुत सारे वोट तुम्हें इसलिए मिल जायेंगे...... 

क्योंकि तुम पर हिंसक होने का कोई ख़ास ठप्पा नहीं  है....... 

लिहाज़ा जंगल के सभी .......

धर्मनिरपेक्ष तुम्हारे साथ हो जायेंगे...!!!


आगे यह तय हुआ कि......... 


चुनाव में लोक दिखावे के लिए तो......... 

लोमड़ दल और सियार दल इक दूजे का पुरज़ोर विरोध करेंगे ............

परन्तु चुनाव परिणाम में अगर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला......... 

तो हम इक दूजे के काम आयेंगे....... --

जैसे भी हो, ......ये शेर नहीं आना चाहिए.....!!!


वही हुआ,........... सीटों के हिसाब से चुनाव परिणाम.......... 


शेर के पक्ष में होते हुए भी वह राजा नहीं बन सका .........

और जिसे सबने नकार दिया था.......... 

उसी के समर्थन से सियारों ने अपनी सरकार बना ली......!!!


.....जंगल के सभी प्राणी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं....!!!!


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