Sunday 22 February 2015

वास्तु टिप्स-बचे रहेंगे परेशानी से

8 बातें घर के मंदिर की, इनसे दूर हो सकती हैं परेशानियां

वास्तु में बताई गई बातों का ध्यान रखने पर घर में सुख-समृद्धि बढ़ सकती है और परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकता है। वास्तु सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। वास्तु दोषों की वजह धन संबंधी कार्यों में भी बाधाएं आ सकती हैं। यहां जानिए घर के अलग-अलग हिस्सों के लिए वास्तु टिप्स, जिनसे घर के वास्तु दोष दूर हो सकते हैं...

घर के पूजन स्थल या मंदिर के लिए वास्तु टिप्स

घर में पूजा स्थल होने से मन को शांति मिलती है। मंदिर वास्तु के अनुसार हो तो शुभ फल देता है...
1. घर में पूजा स्थल होना शुभता का प्रतीक है, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। घर की पवित्रता भी बनी रहती है। अगरबत्ती और दीपक के धुएं से वातावरण सुगंधित रहता है। सूक्ष्म कीटाणु घर में प्रवेश नहीं करते।
2. पूजा स्थल पूर्वी या उत्तरी ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में होना चाहिए। ईश्वरीय शक्ति ईशान कोण से प्रवेश कर नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण) से बाहर निकलती है।
3. पूजा करने वाले का मुंह पश्चिम दिशा में हो तो बहुत शुभ रहता है। इसके लिए पूजा स्थल का द्वार पूर्व की ओर होना चाहिए।

4. शौचालय तथा पूजा घर पास-पास नहीं होना चाहिए।
5. पूजा स्थल के समक्ष थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए। जहां आसानी से बैठा जा सके।
6. पूजा स्थल साफ-सुथरा रखें। कोई कपड़ा या गंदी वस्तुएं वहां न रखें।

7. पूजन में मूर्तियां अधिक न रखें। इस बात का विशेष ध्यान रहे कि गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती की मूर्तियां खड़ी स्थिति में न हो।
8. पूजा स्थल का उपयोग ध्यान, संध्या या योग के लिए भी किया जा सकता है। इस स्थान को शांत रखें। धीमी रोशनी वाले बल्ब लगाएं। अंधेरा व सीलन न हो। जब भी आपका मन अशांत हो, यहां आकर आप नई ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।


 8 बातें घर के मंदिर की, इनसे दूर हो सकती हैं परेशानियां

रसोई (किचन) घर का महत्पूर्ण हिस्सा होती है। यहां अन्नपूर्णा मां का वास भी माना जाता है। किचन में ध्यान रखें ये वास्तु टिप्स...

1. रसोई घर आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में बनवाना चाहिए। यदि आग्नेय कोण में संभव न हो तो वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में बनवा सकता हैं। रसोई के लिए नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण) कम फलदायक होता है, जबकि ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) वर्जित किया गया है।
2. वास्तु में अग्नि संबंधी चीजों के लिए आग्नेय कोण को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
3. रसोई घर न अधिक बड़ा हो न अधिक छोटा।

4. रसोई में एक खिड़की ऐसी बनवाएं जो पूर्व दिशा को ओर खुलती हो, ताकि सूर्य की प्रात:कालीन किरणें रसोई घर में प्रवेश कर सके। ऐसा होने पर हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु नष्ट हो सकते हैं। नमी, सीलन आदि भी समाप्त हो सकती है।
5. भोजन बनाते समय की आदर्श स्थिति यह है कि मुख पूर्व दिशा की ओर हो। अगर खाना बनाते समय मुख दक्षिण की ओर रहता है तो घर की महिलाओं को समस्याएं आ सकती हैं।

6. अगर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर मुख रखकर खाना बनाते हैं तो घर की सुख-शांति भंग हो सकती है।
7. पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन पकाने से त्वचा व हड्डी संबंधी रोग हो सकते हैं।
8. यदि उत्तर की ओर मुंह करके भोजन पकाया जाए तो आर्थिक हानि होने का भय रहता है।


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बेडरूम के लिए वास्तु टिप्स
8 बातें घर के मंदिर की, इनसे दूर हो सकती हैं परेशानियां

1. शयनकक्ष की सबसे अच्छी स्थिति घर के दक्षिण-पश्चिम कोण में होती है, क्योंकि इसका संबंध पृथ्वी तत्व से होता है, जो स्थिर और निष्क्रिय है।
2. दक्षिण-पश्चिम दिशा नींद के लिए सबसे शांतिपूर्ण और आरामदायक स्थितियां प्रदान करती है। यदि दक्षिण-पश्चिम दिशा में शयन कक्ष नहीं बनाया जा सकता हो तो घर के पश्चिम या दक्षिण दिशा में से किसी एक दिशा में शयन कक्ष बनवाया जा सकता है।
3. यदि आपका घर बहुमंजिला हो तो बेडरूम भूतल पर नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि यहां ऐसा लगेगा जैसे कोई आपकी गतिविधियों पर नजर रख रहा है। बड़े कमरों में से किसी एक कमरे को शयन कक्ष बनाना चाहिए।

4. पति-पत्नी को शयनकक्ष में पलंग या बिस्तर खिड़की के पास नहीं लगाना चाहिए। इससे रिश्तों में तनाव और आपसी असहयोग की प्रवृत्ति बढ़ती है। यदि खिड़की के पास बिस्तर लगाना पड़े तो अपने सिरहाने और खिड़की के बीच पर्दा जरूर डाल लेना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा रिश्तों पर बुरा असर नहीं डाल पाएगी।
5. वास्तु के अनुसार घर के दक्षिण-पश्चिम भाग को आपसी रिश्तों के लिए एक्टिव माना जाता है। इसलिए इस भाग में सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय और नकारात्मक ऊर्जा को निष्क्रिय करने के लिए आप जो भी प्रयास करेंगे, वह बहुत फलदायी साबित होता है। अत: इस भाग में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने वाली चीजें रखें।

6. ऐसी चीज का प्रयोग करने से बचें जो अलगाव दर्शाती हो। छत पर बीम का होना या एक पलंग पर दो अलग-अलग गद्दों का प्रयोग भी अलगाव दर्शाता है।
7. नवदंपतियों के लिए बिस्तर (गद्दा, चादर वगैरह) भी नया होना चाहिए। यह संभव न हो तो कोशिश करें कि ऐसी चादर या बिस्तर बिलकुल ही प्रयोग में न लाएं जिसमें छेद हो या कहीं से कटे-फटे हो।

8. बेडरूम में वैसे तो कोई यंत्र टीवी, रेफ्रिजरेटर या कंप्यूटर आदि नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इनसे निकलने वाली हानिकारक तरंगे शरीर पर दुष्प्रभाव डालती हैं। यदि टीवी और ये चीजें शयनकक्ष में रखना ही पड़े तो इन्हें किसी कैबिनेट के अंदर या ढंककर रखना चाहिए। जब टीवी न चल रहा हो तो कैबिनेट का शटर बंद कर देना चाहिए।
9. रंगों का भी रिश्तों पर खासा असर होता है। शयनकक्ष की दीवारों के लिए हल्का गुलाबी, हल्का नीला, ब्राउनिश ग्रे या ग्रेइश येलो रंग का ही प्रयोग करें। ये रंग शांत और प्यार को बढ़ाने वाले हैं।

10. दंपत्ति के पलंग के नीचे कुछ भी सामान न रखा जाए। जगह को खाली रहने दें। इससे आपके बेड के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा बिना किसी बाधा के प्रवाहित हो सकेगी।
11. जिस पलंग पर दंपत्ति सोते हों उस पर किसी और को न सोने दें।
12. शयनकक्ष में प्रवेश द्वार वाली दीवार के साथ अगर आपने अपना बेड लगा रखा है तो इससे बचें। इससे रिश्तों में तनाव बढ़ता है।

अध्ययन कक्ष (स्टडी रूम) के लिए वास्तु टिप्स

1. उत्तर-पूर्व दिशा में पढ़ाई करना चाहिए। पढऩे वाले विद्यार्थी को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व का कोना) की ओर मुंह करके अध्ययन करना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो, प्रथम पूर्व या द्वितीय उत्तर या तृतीय पश्चिम मुंह करके अध्ययन चाहिए। दक्षिण मुंह करके अध्ययन ठीक नहीं है।
2. अध्ययन कक्ष में यदि जलपान, नाश्ता भी किया हो तो जूंठे बर्तन, प्लेट आदि को पढ़ाई करने से पहले ही हटा देना चाहिए।

3. अध्ययन कक्ष में पूर्व-उत्तर की ओर खिड़की अथवा हवादार हो तो अति उत्तम रहता है। इस प्रकार के कक्ष की छत यदि पिरामिड वाली हो तो सर्वश्रेष्ठ परिणाम देने वाली होती है। ऐसा विधार्थी विलक्षण प्रतिभा का धनी होता है।
4. अध्ययन करते समय अपने आस-पास का वातावरण शुद्ध हो, धीमी-धीमी सुगंध वाला वातावरण हो, दुर्गंध कदापि न हो। साथ ही टेबल पर आवश्यक सामग्री ही हो। अनावश्यक सामग्री को तुरंत हटा देनी चाहिए।

5. पढ़ने का समय ब्रह्म मुहूर्त, प्रात:काल, सूर्योदय से पूर्व अर्थात् प्रात: 4.30 से प्रथम प्रहर प्रात: 10 बजे तक उत्तम रहता है। रात को अधिक देर तक पढऩा स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है।
6. अपने अध्ययन कक्ष में सरस्वती, श्री गणेश अथवा अपने आराध्य देव या ऐसी वस्तुएं, चित्र हो जो पढ़ाई से संबंधित हो एवं प्रेरक हो लगाना चाहिए। नकारात्मक चित्रांकन वाली तस्वीरें, फिल्मी तस्वीरें, प्रेम प्रदर्शित करने वाली तस्वीरें नहीं लगाना चाहिए।

7. अध्ययन कक्ष में पुस्तकें नैऋत्य दिशा में रखें अथवा दक्षिण पश्चिम में रख सकते हैं। उत्तर-पूर्व हल्का (कम वजनी) हो। इस दिशा में हल्का सामान रखना श्रेष्ठ होता है।
8. अध्ययन कक्ष का रंग हल्के पीले या हल्के रंग, सफेद रंग का हो तो उत्तम रहेगा। गहरे रंगों का उपयोग वर्जित है। अध्ययन कक्ष में दिखाई देता कांच (दर्पण) नहीं रखना चाहिए।

बाथरूम के लिए वास्तु टिप्स

8 बातें घर के मंदिर की, इनसे दूर हो सकती हैं परेशानियां 

1. यदि आप अपने बाथरूम में एक कटोरी में खड़ा यानी साबूत नमक रखेंगे तो आपके घर के कई वास्तु दोष दूर हो जाएंगे। कटोरी में रखा नमक महीने में एक बार बदल लेना चाहिए। खड़ा नमक आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है और वातावरण को सकारात्मक बनाता है।
2. घर में बाथरूम का नल या किसी अन्य स्थान का नल लगातार टपकते रहता है तो यह बात छोटी नहीं है, वास्तु में इसे गंभीर दोष माना गया है। अत: नल से पानी टपकना बंद करवाना चाहिए।

3. यदि आपके बाथरूम में दर्पण लगा हुआ है तो इस बात का ध्यान रखें कि दर्पण दरवाजे के ठीक सामने न हो। जब-जब बाथरूम का दरवाजा खुलता है, तब-तब घर की नकारात्मक ऊर्जा बाथरूम में प्रवेश करती है। ऐसे समय पर यदि दरवाजे के ठीक सामने दर्पण होगा तो उस दर्पण से टकराकर नकारात्मक ऊर्जा पुन: घर में आ जाएगी।
4. 2-3 दिन में कम से कम एक बार पूरा बाथरूम अच्छी तरह साफ करना चाहिए। बाथरूम यदि एकदम साफ रहेगा तो इसका शुभ असर आपकी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ेगा। साफ-सफाई वाले घरों में देवी-देवताओं की विशेष कृपा रहती है।

5. इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बाथरूम और कमरे के फर्श के बीच में कुछ दूरी अवश्य हो। बाथरूम और कमरे के फर्श के बीच दूरी बनाने के लिए थोड़ी ऊंची दहलीज बनाई जा सकती है। जब बाथरूम का दरवाजा बंद रहेगा तब दहलीज के कारण दरवाजे के नीचे से भी नकारात्मक ऊर्जा कमरे में प्रवेश नहीं कर पाएगी।
6. बाथरूम में पानी का बहाव उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। यदि संभव हो तो बाथरूम घर के नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण दिशा) में बनवाना चाहिए। अगर ये संभव न हो तो वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा) में भी बाथरूम बनवाया जा सकता है।

7. गीजर आदि विद्युत उपकरण अग्नि से संबंधित हैं, अत: इन्हें बाथरूम के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में लगाएं। बाथरूम में एक बड़ी खिड़की व एक्जॉस्ट फैन के लिए अलग से रोशनदान होना चाहिए। बाथरूम में गहरे रंग की टाइल्स न लगाएं। हमेशा हल्के रंग की टाइल्स का उपयोग करें।
8. यदि बाथरूम का दरवाजा बेडरूम में खुलता हो तो उसे खुला रखने से बचना चाहिए। वैसे तो बेडरूम में बाथरूम नहीं होना चाहिए, लेकिन बेडरूम में बाथरूम है तो उसके दरवाजे पर पर्दा भी लगाना चाहिए। बेडरूम और बाथरूम की ऊर्जाओं का परस्पर आदान-प्रदान हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता।

मुख्य दरवाजे के लिए वास्तु टिप्स

8 बातें घर के मंदिर की, इनसे दूर हो सकती हैं परेशानियां

1. यदि आपके घर का दरवाजा दक्षिण दिशा की ओर है तो आप इसे गहरे महरून, पेल यलो या वर्मिलियन रेड के शेड से रंग सकते है। इन सभी कलर शेड के कलर बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
2. मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा की ओर है तो छह छड़ वाली धातु की बनी विंड चाइम लगानी चाहिए। विंड चाइम की खनखनाहट से मुख्य दरवाजे के आसपास के बुरे प्रभाव दूर हो सकते हैं। यहां बताए जा रहे वास्तु के सभी आइटम्स बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

3. पश्चिम की ओर मुख वाले दरवाजे के लिए प्लॉट या यहां तक कि बालकनी के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में तुलसी का पौधा नकारात्मक प्रभावों को भी सकारात्मकता प्रदान कर सकता है। इसी तरह चमेली की बेल भी सुगंध से प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने का काम करती है।
4. दरवाजों के दोनों ओर काफी सारे हरे और लम्बे स्वस्थ पौधे लगाए जा सकते हैं जो गलत दिशा में बने दरवाजे के दुष्प्रभावों को दूर करने का काम करेंगे।

5. मुख्य दरवाजे कोई पवित्र चिह्न लगाएं, जैसे ऊँ, श्रीगणेश, स्वस्तिक, शुभ-लाभ आदि। ऐसा करने पर घर पर सभी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और बुरी नजर से घर की रक्षा होती है।
6. मुख्य द्वार का मुख पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर है तो दरवाजे के अंदर बाएं ओर जल पात्र को पानी और फूल की पंखुड़ियों से भरकर रखें। इससे दिशा को सकारात्मक रुख देने में मदद मिलेगी। वैसे वास्तु के हिसाब से पूर्व दिशा पवित्र समझी जाती है।

7. उत्तर दिशा के दरवाजे के लिए सफेद, पेल ब्लू कलर बेहतर होते हैं।
8. मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा की ओर मुख वाला हो तो सूर्यास्त के वक्त दुष्प्रभावों को रोकने के लिए द्वार के समीप क्रिस्टल ग्लास रखें।



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