कांग्रेस
के कई युवा सांसदों को लगता है कि उनके वरिष्ठ नेता अभी से चुनाव को हारी हुई बाजी मान रहे हैं।
उन्होंने गुरुवार को उपाध्यक्ष राहुल गांधी को
साफ तौर पर यह बताया है। राहुल ने पार्टी के युवा सांसदों, विधायकों
व नेताओं से कहा है कि अभी से हार मानने की जरूरत नहीं है।राहुल आज कांग्रेस
कार्यसमिति के सदस्यों से भी अनौपचारिक तौर पर मिल रहे हैं। राहुल गांधी अपनी राय
से कार्यसमिति के सदस्यों को अवगत कराएंगे। उनसे सुझाव मांगेगे, साथ
ही अपना चुनावी एजेंडा भी बताएंगे। कांग्रेस कार्यसमिति में अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत
तमाम बड़े नेता शामिल हैं। राहुल द्वारा इसकी बैठक बुलाए जाने को इस बात के संकेत
के रूप में देखा जा रहा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष ने पार्टी के चुनाव प्रचार की
कमान पूरी तरह अपने हाथों में ले ली है।
गुरुवार
को युवा सांसदों से मुलाकात में राहुल ने कहा कि पार्टी को आम चुनाव पूरी ताकत से लड़ना है क्योंकि
कांग्रेस के पास बताने को बहुत कुछ है। उन्होंने भ्रष्टाचार के मसले पर किसी भी
तरह से रक्षात्मक न होने का सुझाव दिया। कहा कि लोगों को बताना है कि विपक्ष किस
तरह से भ्रष्टाचार विरोधी विधेयकों
की राह में रोड़ा बनता रहा है। उन्होंने कहा कि हमें पूरी आक्रामकता से विपक्ष को जवाब देना है।
गुरुवार
को कांग्रेस मुख्यालय पर हुई बैठक में करीब 45 नेता शामिल हुए। इनमें पार्टी के युवा
सांसद, विधायक
व पदाधिकारी शामिल थे। कुछ युवा नेताओं को शिकायत थी कि कुछ वरिष्ठ नेताओं के
हावभाव से लगता है कि अभी से चुनाव को हारी बाजी मानकर चल रहे हैं। इसके जवाब में
राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव हमें पूरी ताकत से लड़ना है। उन्होंने चुनाव के घोषणा
पत्र के बारे में युवा नेताओं के सुझाव मांगे और अब तक के फीडबैक की जानकारी दी।
राहुल
गांधी ने कहा कि चुनाव में यूथ पर खास फोकस करना है। पार्टी चुनाव में भी ज्यादा
से ज्यादा युवाओं पर दांव लगाने को तैयार है। पार्टी के घोषणा पत्र को कैसे आम
आदमी का घोषणा पत्र बनाने का प्रयास हो रहा है इसके बारे में भी कांग्रेस
उपाध्यक्ष ने पार्टी नेताओं को बताया। पार्टी के कुछ नेताओं ने सुझाव दिया कि हर
वर्ग के गरीबों का ख्याल पार्टी को रखना चाहिए। पार्टी का घोषणा पत्र ऐसा होना
चाहिए जिसमें सभी वर्ग के गरीबों का ख्याल रखने की बात नजर आए।
राहुल
गांधी के साथ बैठक के बाद एक युवा सांसद ने कहा कि आम चुनाव की रणनीति खुद राहुल
गांधी बना रहे हैं यह बिल्कुल साफ है। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया है कि आम चुनाव 2014 उनके
ही रंग ढंग से लड़ा जाएगा।
राहुल
के एजेंडे में शामिल बिल पास कराने की जल्दी
संसद
के मौजूदा सत्र में अगर भ्रष्टाचार विरोधी छह बिल पारित नहीं हुए तो सरकार
अध्यादेश ला सकती है। संसद सत्र शुक्रवार को ही खत्म होने की संभावना है। केंद्रीय
मंत्री और कांग्रेस प्रवक्ता शशि थरूर ने
कहा कि ये छह बिल पारित नहीं होने से राष्ट्र को गहरा नुकसान होगा। लिहाजा उन्हें
अन्य रास्तों के जरिए प्रभावी करने के लिए सभी विकल्पों पर गौर किया जाएगा। इन
विकल्पों में अध्यादेश लाना भी शामिल है।
बतौर
पार्टी प्रवक्ता अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में थरूर ने कहा, ‘कानून
तो अच्छी तरह से संसद के जरिए ही बन पाते हैं। ऐसा अब भी मुमकिन है। हमारे पास
वक्त कम बचा है। लेकिन हमें उम्मीद है कि ये बिल पारित हो जाएंगे। हम अन्य दलों से
बातचीत कर रहे हैं। उम्मीद है कि वे संसद सत्र बढ़ाने को राजी हो जाएं।’
राहुल
की मांग हैं छह बिल
व्हिसिलब्लोअर
बिल और भ्रष्टाचार विरोधी कानून में संशोधन का विधेयक इन छह बिलों में शामिल हैं।
इन पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जोर
दे रहे हैं। राहुल ने आरोप लगाया था कि भाजपा इन विधेयकों को पारित नहीं कराना
चाहती। वहीं, भाजपा
का कहना है कि ये बिल चुनावी साल में राहुल का एजेंडा हैं। राहुल के एजेंडे पर
संसद क्यों चलनी चाहिए?
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