^ राजीव
गांधी के हत्यारे और लिट्टे समर्थक {तमिल
हिन्दू संघटन} के
सदस्यो को माफ़ी मिलने पर हमें बेहद ख़ुशी है और हम इसका स्वागत करते है।
जरुरी
है आप लिट्टे {LTTE } के
बारे में थोड़ी जानकारी ले लीजिये। श्री लंका में तमिल हिन्दू जो कि अल्पसंख्यकः है
और ईसाई बहुसंख्यक रहते है। आज तक श्री लंका में तमिल हिन्दुओ को वोट डालने तक का
अधिकार नहीं मिला हुआ है। यहाँ तक कि श्री लंका के सविधान में साफ़ तोर पर लिखा है कि तमिल हिन्दू दूसरे दर्जे के नागरिक है। अगर हैम तमिल
हिन्दुओ पर किये गाय अत्याचारो को बताने लग जाये तो इसी वक्त हमारा पेज बंद
जायेगा। आप कल्पना कीजिये कितना भयानक रूप से तमिलो का कत्लेआम किया गया होगा।
इसी
अत्याचार के विरोध में वलिपिलाई प्रभाकरन ने लिट्टे {लिबरसन टाइगर ऑफ़ तमिल इल्म } का निर्माण किया। हिन्दू तमिलो के सामने सिर्फ दो ही रस्ते
बच गय थे ,एक
ईसाइयो के अत्याचारो का शिकार बनकर बुजदिल कि मौत मरो और दुसरो रास्ता स्वाभिमान
के खातिर लड़ते हुए मौत को लगे लगा लो। हिन्दू तमिलो ने दूसरा रास्ता चुना और
प्रभाकरन का साथ देते हुए श्री लंका के साथ युद्ध छेड़ दिया। शुरुवाती दशको में
लिट्टे को जबरदस्त कामयाबी मिली और आंशिक रूप से श्री लंका हार तक मान ली थी।
तबी
हमारे भुत पूर्व प्रधानमन्त्री श्री श्री श्री राजीव गांधी जी हस्तक्षेप करते है
और श्री लंका कि सेना को मदत करते है जी हां अपने ठीक सुना ,भारत ईसाइयो कि मदत करता है और प्रभाकरन के खिलाफ युद्ध छेड़
देता है। जिसके जवाब में प्रभाकरन ,राजीव
गंधी कि हत्या करवा देते है।
अगर उस
वक्त प्रभाकरन का थोडा भी साथ दिया गया होता तो आज हिन्दू तमिलो का एक अलग देश
होता और श्री लंका से जी हजुरु ना करनी पड़ती। क्यूंकि तब तमिलो का देश हमारे साथ
खड़ा होता।
आज भी
श्री लंका में तमिल हिन्दुओ कि स्थिति दयनीय है
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