क्या आपको पता है कि हनुमान जी का जन्म कहां हुआ था? हनुमान का जन्म झारखंड राज्य
के सबसे उग्रवाद प्रभावित गुमला जिले में जिला मुख्यालय से से 20 किमी दूर आंजनधाम में हुआ था।
यही नहीं, पवनसुत हनुमान के जन्म स्थली के अलावा गुमला जिले के पालकोट प्रखंड
में बालि व सुग्रीव का राज्य था। यहीं पर शबरी आश्रम भी है, जहां माता शबरी ने भगवान राम
व लक्ष्मण को जूठे बेर खिलाए। पंपापुर सरोवर भी यहीं है, जहां भगवान राम और भ्राता लक्ष्मण ने
रुककर स्नान भी किया था।
अंजनी माता ने बंद किया गुफा का द्वार
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गुमला शहर से मात्र 20 किमी दूर जंगल व पहाड़ों से
घिरा आंजन गांव एक अति प्राचीन धार्मिक स्थल है। यहीं पहाड़ की चोटी स्थित गुफा
में माता अंजनी के गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ था, जहां अंजनी माता की प्रस्तर
मूर्ति विद्यमान है। अंजनी माता जिस गुफा में रहा करती थीं, उसका प्रवेश द्वार एक विशाल
पत्थर की चट्टान से बंद है। अंजनी माता के भक्त द्वार के एक छोटे छिद्र से अक्षत व
पुष्प अंदर चढ़ाते हैं। एक जनश्रुति के अनुसार एक बार आदिवासियों ने माता अंजनी को
प्रसन्न करने के मकसद से अंजनी की गुफा के समक्ष बकरे की बलि दे दी। इससे माता
अप्रसन्न हो गईं और गुफा के द्वार को हमेशा के लिए चट्टान से बंद कर लिया।
1500 फीट लंबी है गुफा
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कहा जाता है कि गुफा की लंबाई 1500 फीट से अधिक है। इसी गुफा से
माता अंजनी खटवा नदी तक जाती थीं और स्नान
कर लौट आती थीं। खटवा नदी में एक अंधेरी सुरंग है, जो आंजन गुफा तक ले जाती है।
किंतु आज इस सुरंग में अंदर जाने का साहस कोई नहीं कर पाता क्योंकि गुफा के रास्ते
में खूंखार जानवर व विषैले जीव जंतु घर बनाए हुए हैं।
यहीं है प्राचीन सप्त जनाश्रम
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आंजन पहाड़ पर रामायण युगीन ऋषि-मुनियों ने सप्त जनाश्रम
स्थापित किया था। यहां सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध थीं।
यहां सात जनजातियां निवास करतीं थीं। इनमें शबर, वानर, निषाद्, गृद्धख् नाग, किन्नर व राक्षस थे। आश्रम के
प्रभारी को कुलपति कहा जाता था। कुलपतियों में अगस्त्य, अगस्त्यभ्राता, सुतीक्ष्ण, मांडकणि, अत्रि, शरभंग व मतंग थे।
छोटानागपुर में दो स्थानों पर आश्रम है। इनमें एक आंजन व
दूसरा टांगीनाथ धाम है।
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