Wednesday 12 November 2014

आरक्षण जिहाद !



लगता है आजकल राजनेताओं का उद्देश्य देशवासियों की सेवा करना नहीं,बल्कि सत्ता हासिल करना है .जिसके लिए वह हर तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं .इसका एक ताजा उदहारण यह है कि पांच विधान सभाओं के चुनाव से पहले ही केंद्र सरकार ने मुसलमानों के लिए 4 .5 प्रतिशत का आरक्षण कर दिया .जो पिछड़े हिन्दुओं के 27 प्रतिशत से काटा जायेगा .

जानकारों के अनुसार इस गैर संवैधानिक कदम से देश में आगे गृहयुद्ध की नौबत सकती है .क्योंकि मुलायम ,लालू ,और मा. . जैसी पार्टियाँ इसे कम मानती हैमुसलमान किसी किसी बहाने से अपने जिन अधिकारों के लिए संघर्ष करते आये है .इसी को जिहाद कहा जाता है .धर्म के आधार पर देश को बांटना भविष्य में घातक हो सकता है .इस बात को ठीक से समझाने के लिए हमें जिहाद के बारे में पूरी जानकारी होना जरुरी है .जो यहाँ पर दी जा रही है -




1-जिहाद का लक्ष्य 

कुरान, हदीसों एवं मुस्लिम विद्वानों के अनुसार जिहाद के उद्देश्य है-

(1) गैर-मुसलमानों को किसी भी प्रकार से मुसलमान बनाना

(2) मुसलमानों के एक मात्र अल्लाह और पैगम्बर मुहम्मद में अटूट विश्वास करके तथा नमाज, रोजा, हज्ज और जकात द्वारा उन्हें कट्टर मुसलमान बनाना

(3) विश्व भर के गैर-मुस्लिम राज्यों, जहाँ की राज व्यवस्था सेक्लयूरवाद, प्रजातन्त्र, साम्यवाद, राजतंत्र या मोनार्की आदि से नियंत्रित होती है, उसे नष्ट करके उन राज्यों में शरियत के अनुसार राज्य व्यवस्था स्थापित करना और 

(4) यदि किसी इस्लामी राज्य में गैर-मुसलमान बसते हों तो उनको इस्लाम में धर्मान्तरित कर के अथवा उन्हें देश निकाला देकर उस राज्य को शत प्रतिशत मुस्लिम राज्य बनाना।

इसीलिए मै कहता हूँ कि इस्लाम एक धर्म-प्रेरित मुहम्मदीय राजनैतिक आन्दोलन है, कुरान जिसका दर्शन, पैगम्बर मुहम्मद जिसका आदर्श, हदीसें जिसका व्यवहार शास्त्र, जिहाद जिसकी कार्य प्रणाली, मुसलमान जिसके सैनिक, मदरसे जिसके प्रशिक्षण केन्द्र, गैर-मुस्लिम राज्य जिसकी युद्ध भूमि और विश्व इस्लामी साम्राज्य जिसका अन्तिम उद्देश्य है।

निःसंदेह यह अत्यन्त उच्च महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जिसके आगे विश्व भर के धर्म आसानी से घुटने नहीं टेकेगें, और कट्टर मुसलमान इस संघर्ष पूर्ण जिहाद को स्वेच्छा से बन्द ही करेंग। अतः मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच अल्लाह के नाम पर 'जिहाद' तब तक चलता ही रहेगा जब तक कि मुसलमान अपने सार्वभौमिक राज्य के समने को नहीं त्यागते। 

2-जिहाद की विधियाँ

मुसलमान विश्व भर में अल्लाह का साम्राज्य स्थापित करने के लिए जिहाद की जो विधियाँ अपनाते हैं उन्हें व्यापक रूप में चार भागों में बाँटा जा सकता है जैसेः

(1) सहअस्तित्ववादी जिहाद

(2) शान्तिपूर्ण जिहाद

(3) आक्रामक जिहाद और 

(4) शरियाही जिहाद। 

जिन देशों में मुसलमानों की संखया 5 प्रतिशत से कम, और वे कमजोर होते हैं, वहाँ वे शान्ति, प्रेम भाई-चारा आपसी सहयोग द्वारा सह-अस्तित्ववादी जिहाद अपनाते हैं; तथा अपने धार्मिक आचरण से प्रभावित करके गैर-मुसलमानों को धर्मान्तरित करने की कोशिश करते हैं। जिन देशों में मुसलमान 10-15 प्रतिशत से अधिक होते हैं, वहाँ वे शान्तिपूर्ण जिहाद अपनाते हैं। साथ ही ''इस्लाम खतरे में'', मुस्लिम उपेक्षित' आदि का नारा लगाते हैं। साथ ही मुस्लिम वोट बैंक एक-जुट करके देश के प्रभावी राजनैतिक गुट से मिल जाते हैं तथा मुस्लिम वाटों के बदले सत्ता दल को अधकाधिक धार्मक, आर्थिक एवं राजनैतिक अधिकार देने को विवश करते हैं। 

साथ ही गैर-मुसलमानों को धर्मान्तरित, उनकी युवा लड़कियों का अपहरण, एवं प्रेमजाल में फंसाकर, चार शादियाँ करके तथा तेजी से जनसंखया दर बढ़ाने का प्रयास करते हैं। आज कल भी 'लव जिहाद राजनैतिक जिहाद का एक मुखय अंग है। भारत के विभिन्न प्रान्तों में लव जिहाद की अनेक घटनाएँ हुई हैं अकेले केरल में पिछले चार वर्षों में ही गैर-मुसलमानों की 2800 लड़कियाँ 'लव जिहाद Love Jihad' के जाल में फंसकर इस्लाम में धर्मान्तरित हो गई हैं। (Pioneer- 11.12.2009

इस मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के फलस्वरूप मुस्लिम अल्पमत में होते हुए भी बड़ी प्रभावी स्थिति में हो जाते हैं। फिर भी वे वहाँ की मूल राष्ट्र धारा से नहीं जुड़ते हैं। अलगाववाद इस्लाम की मौलिक विशेषता है क्योंकि यह राष्ट्रवाद, प्रजातंत्र, सेक्यूलरवाद और मुसलमानों को स्वतंत्र चिन्तन की आज्ञा नहीं देता है। इतिहास साक्षी है कि पड़ोसी मुस्लिम देशों से अवैध घुसपैठ, आव्रजन (इम्मीग्रेशन) और मुस्लिम जनसंखया विस्फोट के फलस्वरूप विश्व के अनेक गैर-मुस्लिम देश इस्लामी राज्य हो गए हैं। यूरोप भारत में यह प्रक्रिया आज भी तेजी से चली रही है। जनसंखया विशेषज्ञों के अनुसार 2060 तक भारत में हिन्दू अल्पमत में हो जायेंगे (जोशी आदि-रिलीजस डेमोग्राफी ऑफ इंडिया Religious Demography of India)

सार की बात यह है कि किसी देश में जिहाद की कार्यविधि वहाँ इस्लाम की शक्ति और उद्देश्य के अनुसार बदलती रहती है। जैसे-जैसे मुसलमानों की शक्ति बढ़ती जाती है, सह अस्तित्ववादी शान्तिपूर्ण जिहाद सशस्त्र आक्रामक जिहाद में बदल जाती है। यह नीति पूर्णतया कुरान पर आधारित है जिसे कि मक्का और मदीना में अवतरित आयतों के स्वभाव में अन्तर साफ साफ देखा जा सकता है।

3-भारत का इस्लामीकरण 

पाकिस्तान मिलने के बाद मुसलमानों ने नारा दिया : ''हँस के लिया है पाकिस्तान, लड़ लेंगे हिन्दुस्तान'' इसीलिए 1947से ही भारत में इस्लामी जिहाद जारी है जिसमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तानी एवं भारतीय मुसलमान सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। 

कांग्रेस नेता एवं भूतपूर्व शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद ने पूरे भारत के इस्लामीकरण की वकालत करते हुए कहा- ''भारत जैसे देश को जो एक बार मुसलमानों के शासन में रह चुका है, कभी भी त्यागा नहीं जा सकता और प्रत्येक मुसलमान का कर्तव्य है कि उस खोई हुई मुस्लिम सत्ता को फिर प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करें'' बी.आर. नन्दा, गाँधी पेन इस्लामिज्म, इम्पीरियलज्म एण्ड नेशनलिज्म पृ. 117)

एफ. . दुर्रानी ने कहा- ''भारत-सम्पूर्ण भारत हमारी पैतृक सम्पत्ति है उसका फिर से इस्लाम के लिए विजय करना नितांत आवश्यक है तथा पाकिस्तान का निर्माण इसलिए महत्वपूर्ण था कि उसका शिविर यानी पड़ाव बनाकर शेष भारत का इस्लामीकरण किया जा सके।'' (पुरुषोत्तम, मुस्लिम राजनीतिक चिन्तन और आकांक्षाएँ, पृ. 51,53)

जैसे मुहम्मद के अध्यक्ष मौलाना मसूद अजहर, जिन्हें 2000में कंधार में हवाई जहाज में बन्धक बनाए 160यात्रियों के बदले छोड़ा गया था, ने हाजरों लोगों की उपस्थिति में कहाः ''भारतीयों और उनको बतलाओ, जिन्होंने मुसलमानों को सताया हुआ है, कि मुजाहिद्दीन अल्लाह की सेना है और वे जल्दी ही इस दुनिया पर इस्लाम का झंडा महराएंगे। मैं यहाँ केवल इसलिए आया हूँ कि मुझे और साथी चाहिए। मुझे मुजाहिद्दीनों की जरूरत है जो कि कश्मीर की मुक्ति के लिए लड़ सकें। मैं तब तक शान्ति से नहीं बैठूंगा जब तक कि मुसलमान मुक्त नहीं हो जाते। इसलिए ( युवकों) जिहाद के लिए शादी करो, जिहाद के लिए बच्चे पैदा करो और केवल जिहाद के लिए धन कमाओ जब तक कि अमरीका और भारत की क्रूरता समाप्त नहीं हो जाती। लेकिन पहले भारत।'' (न्यूज 8.1.2000)

तहरीका--तालिबान के सदर हकीमुल्लाह ने कहाः ''हम इस्लामी मुल्क चाहते हैं। ऐसा होते ही हम मुल्की सीमाओं पर जाकर भारतीयों के खिलाफ जंग में मदद करेंगे।' (दै. जागरण, 16.10.2009)
भारतीय पाकिस्तानी मुसलमान पिछले 62वर्षों से एक तरफ कश्मीर में हिंसा पूर्ण जिहाद कर रहे हैं जिसके कारण पांच लाख हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी हो गए तथा हजारों सैनिक निरपराध नागरिक मारे जा चुके हैं; तथा दूसरी तरफ वे शान्तिपूर्ण जिहाद द्वारा भारत सरकार के सामने नित नई आर्थिक, धार्मिक राजनैतिक मांगे रख रहे हैं। इनके कुछ नमूने देखिए-

4-मुसलमानों की विभिन्न मागें 

नौकरियों में आरक्षण

(1) मुसलमान युवकों को रोजगार-परक शिक्षा के लिए मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सरकारी स्कूल खुलवाना

(2) उर्दू के विकास के लिए संघर्ष करना

(3) सामान्य प्रोफेशनल कॉलेजों में दाखिले के लिए आरक्षण मांगना

(4) स्पर्धा वाली सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष वजीफा सुविधा आदि मांगना

(5) सरकारी गैर-सरकारी संस्थाओं में नौकरियों में आरक्षण मांगना

(6) निजी व्यवसाय खोलने के लिए कम ब्याज दर पर पर्याप्त ऋण पाने की मांग करना आदि।

आर्थिक सहायता

(1) बढ़ती मुस्लिम जनसंखया के लिए अधिकाधिक हज्ज के लिए सब्सिडी की मांग करना

(2) मुस्लिम बहुल राज्यों में हज्ज, हाउसों की स्थापना की मांग करना


(3) मस्जिद, मदरसा, धार्मिक साहित्य के लिए प्राप्त विदेशी सहायता पर सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करना

(4 )उर्दू के अखबारों के लिए सरकारी विज्ञापन एवं धार्मिक साहित्य छापने के लिए सस्ते दामों पर कागज का कोटा माँगना

(5) मस्जिदों के इमामों के लिए वेतन माँगना

(6) वक्फ बोर्ड के नाम पर राष्ट्रीय सम्पत्ति पर कब्जा करना एवं सरकारी सहायता मांगना आदि।



मुस्लिम जनसंखया

मुस्लिम जनसंखया वृद्धि दर को बढ़ाना ताकि अगले 15-20वर्षों में वे बहुमत में आकर भारत की सत्ता के स्वतः वैधानिक अधिकारी हो जावें। इसके लिए 

(1) बहु-विवाह करना

(2) परिवार नियोजन अपनाना

(3) हिन्दू लड़कियों का अपहरण करना

(4) धनी, शिक्षित हिन्दू लड़कियों को स्कूल कॉलेजों में तथा कार्यालयों में प्रेमजाल में फंसाकर एवं धर्मांतरण कर विवाह करना

(5) बंगला देश के मुसलमान युवकों को योजनापूर्ण ढंग से भारत में बसाना, उनकी यहाँ की लड़कियों से शादी कराना बेरोजगार दिलाना

(6) हिन्दुओं का धर्मान्तरण करना आदि।




आश्चर्य तो यह है कि एक तरफ सरकार भारत को सेक्यूलर राज्य कहती है और दूसरी तरफ धर्म के आधार पर मुसलमानों ईसाइयों को विशेष सुविधाएँ देती है जो पूर्णतया असंवैधितिक है।


5-मुसलमानों को दी गयी सुविधाएँ 


धार्मिक सुविधाऐं

विश्व के 57 इस्लामी देशों में से कही भी मुसलमानों को हज्ज यात्रा के लिए आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है क्योंकि हज्ज के लिए आर्थिक सहायकता लेना गैर-इस्लामी है। परन्तु भारत सरकार प्रत्येक हज्ज यात्री को हवाई यात्रा के लिए 28000/- की आर्थिक सहायता देती है। हजियों के लिए राज्यों में हज हाउस बनाए गये हैं। इतना ही नहीं जिद्दा में हाजियों की सुविधाएँ देखने के लिए एक विशेष दल जाता है, मानो वहाँ की एम्बेसी काफी नहीं है।

वक्फ बोर्ड
मुस्लिमों वक्फ बोर्डों के पास बारह लाख करोड़ी की सम्पत्ति है जिसकी वार्षिक आय 12000/- करोड़ है। फिर भी सरकार वक्फ बोर्डों को आर्थिक सहायता देती है। 

मदरसा
सरकार ने धार्मिक कट्टरवाद एवं अलगावदवाद को बढावा देने वाली मदरसा शिक्षा को केवल दोष मुक्त बताया बल्कि उसके आधुनिकीकरण के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए आर्थिक सहायता देती है। फिर भी मुसलमान इन मदरसों को केन्द्रीय मदरसा बोर्ड से जुड़ने देना नहीं चाहते। यहाँ तक कि पाठ्यक्रम में सुझाव अन्य किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं मानते 

राजनैतिक

(1) अल्पसंखयकों के नाम पर, विशेषकर मुसलमानों के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया और उनके लिए 11वीं पंचवर्षीया योजना में 15प्रतिशत बजट रखा गया। 

(2) 2004में सत्ता में आते ही कांग्रेस ने आतंकवाद में फंसे मुसलमानों को बचाने के लिए पोटा कानून निरस्त कर दिया जिसके फलस्वरूप देश में आतंकवाद बढ़ रहा है। 

(3) मुस्लिम पर्सनल कानूनों और शरियत कोर्टों का समर्थन किया

(4) 17 दिसम्बर 2006को नेशनल डवलपमेंट काउंसिल की मीटिंग में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यहाँ तक कह दिया कि ''भारतीय संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।'' 

आर्थिक

(1) सच्चर कमेटी द्वारा मुस्लिमों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 5460/- करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया

(2) उनके लिए सस्ती ब्याज दर पर ऋण देने के लिए एक कारपोरेशन बनाया गया

(3) सार्वजनिक क्षेत्र में उदारता बरतें। इस अभियान की निगरानी के लिए एक मोनीटरिंग कमेटी' काम करेगी।'' 
(दैनिक नव ज्योति,( 4.1.2006) 

13अगस्त 2006 को सरकार ने लोक सभा में बतलाया कि मुस्लिम प्रभाव वाले 90 जिलों और 338शहरों में मुसलमानों के लिए विशेष विकास फण्ड का प्रावधान किया गया है। 







स्वार्थवश कुछ दिन राज करने के लिए भारत के इस्लामीकरण में निर्लज्जता के साथ सहयोग दे रहे हैं। वे उन करोड़ों देशभक्तों के साथ विश्वासघात कर हरे हैं जिन्होंने देश के लिए बलिदान किए। कांग्रेस एवं अन्य सेक्यूलर पार्टियों का मुस्लिमों के सामने आत्म समर्पण एवं वोट बैंक की राजनीति करना देश की भावी स्वाधीनता के लिए चिन्ता का विषय है। 

सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के कारण सारा देश इस्लामी जिहाद और आतंकवाद से पीड़ित है। क्या देश की सेक्यूलर पार्टियों को दिखाई नहीं देता कि पाकिस्तान एवं भारत के मुसलमान शेष भारत में इस्लामी राज्य स्थापित करना चाहते हैं

मुस्लिम तुष्टीकरण करना उन लाखों करोड़ों देशभक्तों की शहादत का अपमान है जिन्होंने भारत को इस्लामी राज्य बनने से बचाया।




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