Saturday 1 November 2014

सूअरों और मुस्लिमों में समानता


आप में से लगभग हर कोई इस बात से अवगत हैं कि....सूअरों और मुस्लिमों में हमेशा से ही ..... बच्चे पैदा करने की प्रतिस्पर्धा लगी रहती है...!
और... दुनिया भर में मुस्लिम .... 4 बीबी और 24 बच्चे रखने के लिए...... एक बेहद कुख्यात कौम है..!

इसीलिए... ये मुस्लिम जहाँ भी रहते हैं.... अपनी सुअरिक प्रवृति के कारण... उस देश की अर्थव्यवथा को चरमरा देते हैं..... और, उस देश में बेरोजगारी, कुपोषण एवं महंगाई की बाढ़ सी जाती है...!
लेकिन....

क्या आपने कभी ये सोचा है कि.... ये खुद भूखे-नंगे होने के बाद भी .... जनसँख्या वृद्धि में हमेशा सूअरों से होड़ लगते हुए क्यों नजर आते हैं....??????

दरअसल.... इस्लाम के इस परंपरा को समझने के लिए आपको.... इस्लाम एवं उसके जन्म को समझना आवश्यक है...!

इस्लाम का जन्म ... आज से लगभग 1400 साल पहले.... मुहम्मद नामक व्यक्ति द्वारा किया गया था... जिसे मुस्लिम तथाकथित रूप से अपने ""अल्लाह का दूत"" कहते नहीं अघाते हैं...!

खैर... मुहम्मद दूत हो या भूत ..... अपने को क्या लेना-देना है....!
हमें तो इस बात से लेना-देना है कि.....

मुहम्मद .. पेशे से एक लुटेरे और एक जाहिल थे... ( देखें कुरान )

इसीलिए.... मुहम्मद ने इस्लाम बना तो लिया .....लेकिन ... एक मूर्ख होने के नाते ... मुहम्मद के पास इस्लाम को फ़ैलाने के कोई सैद्धांतिक विचार नहीं था...!!

अतः... मुहम्मद ने ..... इस मलेच्छ इस्लाम संप्रदाय को फैलाने के लिए.... अपने पेशा के अनुरूप ही .... तलवार का सहारा लिया.... और, उसे ""जिहाद"" का नाम दे दिया...!

लेकिन.. लड़ाई तो लड़ाई है.... और, लड़ाई में सिर्फ दूसरे ही मरें .... ये कभी भी नहीं हो सकता है....!

इस तरह.... मुहम्मद के फैलाये जिहाद में..... काफी बड़ी संख्या में मुस्लिम जेहादी भी मारे जाते थे.... जिस कारण ढेर सारी औरतें ""विधवा"" होती थी...!

इसीलिए.... उन विधवाओं के समुचित उपयोग ( इस्लाम में औरतों का उपयोग ही किया जाता है , इज्जत नहीं ) के लिए.... मुहम्मद ने मर्दों के लिए.... 3 -4 शादियों का नियम बना दिया...!
और.... जेहादियों की संख्या कम होते -होते एक दिन इस्लाम ही विलुप्त ना हो जाए ( साथ ही अपनी ताकत बढ़ाने के लिए)..... इस डर को मिटाने के लिए .... मुहम्मद ने यथाशक्ति .... बच्चे पैदा कर .... सूअरों से प्रतिस्पर्धा का भी नियम बना दिया...!

इसी तरह.... अरब में तो पानी-वानी थी नहीं ..... इसीलिए, हफ्ते में एक दिन नहाने एवं .... सिर्फ मुंह धो कर मस्जिद जाने की प्रथा चला दी.... जिसे मुस्लिम ""वजू"" कह कर फूले नहीं समाते हैं...!


और तो और.....


शायद आप नहीं जानते होंगे ... लेकिन, मुहम्मद साहब बेहद कुरूप थे..... और, उनके मुंह से हमेशा लार चूते रहती थी..... क्योंकि... उन्हें मिर्गी की बीमारी थी.... इसलिए, मुहम्मद को अपने फोटो से घिन आती थी....


अतः... उन्होंने... इस्लाम में फोटो पूजा भी बंद करवा दिया ..... और, मुहम्मद के चरित्र चित्रण को.... ""हराम"" घोषित कर दिया...!


इस तरह....

आप खुद ही समझ सकते हैं कि....

इस्लाम के परम्पराओं में कितनी वैज्ञानिकता होती है .... और, मुस्लिम किस प्रकार की परम्पराओं का निर्वाह करने के लिए.... हाय-तौबा मचाते रहते हैं...??????

जय महाकाल...!!!

नोट : यह लेख किसी भी समुदाय की भावना को ठेस पहुँचाने के लिए नहीं लिखी गई है.... बल्कि, इसे मुस्लिमों में जागरूकता फ़ैलाने के पवित्र उद्देश्य से लिखी गई है...!


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