Wednesday 26 November 2014

माथे पर तिलक लगाने की परंपरा क्यों है ....?


क्या आप जानते हैं कि..... हमारे हिन्दू सनातन धर्म में ..... माथे पर तिलक लगाने की परंपरा क्यों है ....???????

दुखद है कि..... हम में से अधिकांश हिन्दुओं को ..... इसके कारण नहीं मालूम हैं .... और, लगभग सभी लोग इसे ..... आस्था एवं परंपरा से जोड़ते नजर आते हैं...!

सिर्फ इतना ही नहीं..... बल्कि, आज के अंग्रेजी स्कूलों में पढ़े सेक्यूलर मानसिकता के लोग तो..... तिलक लगाने को अपनी .... सेक्यूलर छवि पर हमला मानते हैं ..... और, इसीलिए वे तिलक लगाने से यथासंभव परहेज भी करते हैं....!!

लेकिन.... यह जानकर आप सभी के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहेगा कि.....
माथे पर तिलक........... धार्मिक एवं आध्यात्मिक कारण से ज्यादा ........... वैज्ञानिक कारण से लगाए जाते हैं....!

असल में..... तिलक.... माथे पर.... दो भौहों के बीच लगाया जाता है .......
और...

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि..... माथे पर ... हमारे दोनों भौहों के बीच के स्थान में ... ""एक बेहद महत्वपूर्ण तंत्रिका बिंदु"" (नर्व जंक्शन) ..... होता है....जो सीधे दिमाग से जुड़ा होता है...तथा, उसे 

""अध्न्या चक्र"" कहा जाता है ...!! (आयुर्वेद एवं एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति में इस चक्र के महत्व को समझाया गया है )

इसीलिए ....

उस ""अध्न्या चक्र"" के ऊपर कुमकुम अथवा चन्दन (जो कि ठंडा होता है ) ....... के तिलक लगाए जाते हैं ..... ताकि, उस स्थान से ऊर्जा के क्षय को रोका जा सके.... तथा, दिमाग की एकाग्रता को विभिन्न स्तरों पर नियंत्रित किया जा सके...!!


साथ ही.... आपने यह भी ध्यान दिया होगा कि..... तिलक लगाते समय .... स्वाभाविक रूप से उस स्थान पर ..... उंगली अथवा अंगूठे का हल्का दबाब पड़ता है..... जो , "अध्न्या चक्र" को हमेशा सक्रिय बनाए रखता है...!
आपको यह जानकार बेहद ख़ुशी होगी कि.....

जो बातें आज के वैज्ञानिक लाखों-करोड़ों रूपये खर्च करके ..... मालूम कर रहे हैं ... वो सभी ज्ञान हमारे पूर्वजों और ऋषि-मुनियों ने आज से हजारों-लाखों साल पहले ही प्राप्त कर लिया था....!
परन्तु.... ये शुद्ध विज्ञान की बातें.... एक-एक कर सभी मनुष्यों को समझा पाना असंभव के हद तक कठिन था....

इसीलिए... हमारे ऋषि-मुनियों ने .... उसे आस्था से जोड़ते हुए ..... एक परंपरा का रूप दे दिया.....
ताकि... आने वाली पीढ़ी.... युग-युगांतर तक.... उनके प्राप्त किए गए ज्ञानों का लाभ उठा सके..... जिस तरह, आज हमलोग उठा रहे हैं...!!

जय महाकाल...!!!


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