Wednesday 26 November 2014

एक कहानी ..... खुसरुखान उर्फ़ नसरुद्दीन की


आज का हमारा विकृत इतिहास ... जयचंद , मानसिंह एवं मीरजाफर सरीखे गद्दारों से रंगा हुआ है...!
और, इस तरह के विकृत इतिहास को पढ़ाकर .....इस देश के वामपंथी सेक्यूलर एवं मुस्लिम परस्त सरकार ... कहीं ना कहीं ... हम हिन्दुओं को हतोत्साहित करने का षड़यंत्र करते नजर आते हैं...!
लेकिन.... दूसरी तरफ का सत्य ये है कि..... मुस्लिम जेहादियों के शासनकाल में .... हिन्दुओं ने ऐसी वीरता दिखलाई है.....जिसके वर्णन मात्र से ही ..... हम हिन्दुओं का सीना 56 इंच का हो जाता है...!

ऐसी ही एक कहानी ..... खुसरुखान उर्फ़ नसरुद्दीन की है....!

अगर किसी को भी इतिहास की थोड़ी बहुत भी जानकारी होगी तो.... उन्हें यह याद होगा कि..... जेहादी अलाउद्दीन ख़िलजी की हत्या के बाद उसका पुत्र मुबारक अपने सभी विरोधिओं को कत्ल करने के बाद दिल्ली का सुलतान बन बैठा ।

और, उसकी इस कार्य में सबसे अधिक सहायता उसके सेनापति खुसरुखान ने की.........!
परन्तु.... इस सारी कहानी में ...... वामपंथी सेक्यूलरों द्वारा ये बड़ी बात खूबसूरती से छुपा ली गई कि...... खुसरुखान एक हिंदू गुलाम था.......

असल में जब ..... 1297 में मालिक काफूर ने जब गुजरात पर आक्रमण किया था.......तब एक सुंदर व तेजस्वी हिन्दू लड़का गुलाम के रूप में पकड़ा गया.....जो अल्लाउद्दीन को सोंप दिया गया...।
जैसा कि.... जेहादियों का काम होता है .....
उस हिंदू लड़के को इस्लाम में दीक्षित किया गया तथा उसका नाम "हसन" रखा गया.....।
और.... धीरे -धीरे हसन एक वीर योद्धा बनता चला गया।

तथा.... मुबारक के सुलतान बनने पर वह ""खुसरुखान"" के नाम से उसका सेनापति बना....!
इधर ..... गुजरात के राजा की पुत्री ""देवल देवी""" को भी मालिक काफूर युद्ध में उठा लाया था...........जिसे , जबरदस्ती अलाउद्दीन के पुत्र खिज्र्खान से उसका निकाह पढ़वा दिया गया....!
और, गुर्जर वंश की यह राजकन्या खिज्र्खान की हत्या के बाद....... ""देवल देवी""" ने ... मुबारक से शादी कर लिया।

परन्तु..... अलाउद्दीन ख़िलजी और उसकी जेहादी सेना ..... उस हिन्दू बालक एवं देवल देवी के सिर्फ नाम ही बदल पाए थे...... उनके रगों में बहने वाले ""हिन्दू खून"" को नहीं ...!
इसीलिए....हिंदू बालक से हसन...... व, हसन से खुसरुखान बने युवक के दिल में अपने पुराने धर्म व अपने राष्ट्र के लिए अपार प्रेम जाग्रत था..... और, वो इस्लाम से बेहद नफरत करता था...!
और..... इसी ज्वाला में हिंदू गुर्जर राजकन्या देवल देवी भी धधक रही थी ।

इसी कारण......... खुसरुखान ने एक दूरगामी योजना बना डाली।
सुलतान मुबारक के अतिविश्वास पात्र होने के कारण खुसरुखान का महल में बेरोकटोक आना जाना था।

इसीलिए.... खुसरुखान और देवल देवी ने उन जेहादियों से ...... बदला लेने के लिए.....सुलतान को विश्वास में लेकर गुजरात की अपनी पुरानी हिंदू जाति परिया (पवार) के चुने हुए लगभग 20 ,000 युवा सेना में भरती कर लिए ...!

ध्यान रहे कि....ये सारी योजनाएं महल में बन रही थी.... और, योजनानुसार .... महल के सारे सैनिक भी बदल दिए गए.....!
समय आने पर खुसरुखान ने मुबारक को मौत के घाट उतर दिया.........और , नसुरुद्दीन के नाम से दिल्ली का सुलतान बन गया.. एवं, देवल देवी से उसने हिंदू रीतिरिवाज से विवाह किया।
थोड़े ही समय बाद..... उसने नसुरुद्दीन (जिसका अर्थ होता है धर्म रक्षक ) के नाम से ही ...........अपने को हिंदू सम्राट घोषित कर दिया..... और, जेल में पड़े सभी हिन्दुओं को छोड़ दिया गया...!

साथ ही..... जबरदस्ती मुसलमान बनाए लोगो का शुद्धिकरण कराए जाने लगे ... एवं , जजिया कर समाप्त कर दिया गया.....!
इस नए हिंदू सम्राट ने हिंदू व मुस्लिम सैनिको दोनों की पगार बढ़ा दी........!
अब इतना कुछ होने पर मुस्लिमों का विरोध तो होना ही था...!
नसुरुद्दीन की ताकत के सामने 2 वर्ष तक तो सब ठीक रहा.....परंतु, 2 वर्ष बाद पंजाब प्रान्त के शासक गयासुद्दीन ने अपनी ताकत बढ़ा ली ........और, दिल्ली पर काफिर के शासक को ख़त्म करने के लिए उस पर आक्रमण कर दिया.....!

ऐन मौके पर..... मुसलमाओं ने एक बार फिर अपने गंदे खून का परिचय दिया...... एवं... मुस्लिम सेना ने समय आने पर सुलतान के साथ धोखा करते हुए..... मुस्लिम सेना से मिल गई...!
बचे हुए हिंदू सैनिक ........ बहुत वीरता से लड़े परंतु, दुर्भाग्य से वे सभी नसुरुद्दीन के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए.

यह समाचार सुनकर ......रानी देवल ने भी महल से कूदकर अपनी जान दे दी.... ताकि, उसे फिर किसी मुस्लिम जेहादी के हाथों अपमानित ना होना पड़े....!
इस तरह.... नसुरुद्दीन का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरो में लिखा जाना चाहिए था।
परन्तु, आश्चर्य है कि..... इतिहासकारों ने दिल्ली सल्तनत के 2 सुनहरे वर्ष बिल्कुल ही भुला दिए...!
और, हम हिन्दू भी अपने धरोहर पर गर्व करने की जगह उसे भुला बैठे.... जो हमारे लिए मिसाल है कि....
विपरीत परिस्थितियों में भी.... कैसे अपने देश और धर्म के दुश्मनों को सबक सिखाया जाता है....!


जय महाकाल...!!!




No comments:

Post a Comment