Tuesday 22 July 2014

भोले बाबा को बेल और भंग ही क्यों भाता है ?

importance of bhang and belpatra in shiv puja

आपने देखा होगा कि शिव भक्त भोले बाबा को बेलपत्र और भांग धतूरा चढ़ाते हैं। जबकि अन्य देवी देवताओं को मिष्टान और विभिन्न प्रकार के भोग चढ़ाते हैं।


इसके बावजूद भी भोले बाबा भांग धतूरा और बेलपत्र चढ़ाने वाले पर मेहरबान हो जाते हैं। भगवान भोलेनाथ को यह सभी चीजें पसंद क्यों है इसका उत्तर पुरणों में मिलता है।

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पुराणों के अनुसार सागर मंथन के समय जब हालाहल नाम का विष निकलने लग तब विष के प्रभाव से सभी देवता एवं जीव-जंतु व्याकुल होने लगे।

ऐसे समय में भगवान शिव ने विष को अपनी अंजुली में लेकर पी लिया। विष के प्रभाव से स्वयं को बचाने के लिए शिव जी ने इसे अपनी कंठ में रख लिया इससे शिव जी का कंठ नीला पड़ गया और शिव जी नीलकंठ कहलाने लगे।

लेकिन विष के प्रभाव से शिव जी का मस्तिष्क गर्म हो गया। ऐसे समय में देवताओं ने शिव जी के मस्तिष्क पर जल उड़लेना शुरू किया जिससे मस्तिष्क की गर्मी कम हुई।

बेल के पत्तों की तासीर भी ठंढ़ी होती है इसलिए शिव जी को बेलपत्र भी चढ़ाया गया। इसी समय से शिव जी की पूजा जल और बेलपत्र से शुरू हो गयी।

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बेलपत्र और जल से शिव जी का मस्तिष्क शीतल रहता और उन्हें शांति मिलती है। इसलिए बेलपत्र और जल से पूजा करने वाले पर शिव जी प्रसन्न होते हैं। शिवरात्रि की कथा में प्रसंग है कि, शिवरात्रि की रात में एक भील शाम हो जाने की वजह से घर नहीं जा सका। उस रात उसे बेल के वृक्ष पर रात बितानी पड़ी।

नींद आने से वृक्ष से गिर न जाए इसलिए रात भर बेल के पत्तों को तोड़कर नीचे फेंकता रहा। संयोगवश बेल के वृक्ष के नीचे शिवलिंग था। बेल के पत्ते शिवलिंग पर गिरने से शिव जी प्रसन्न हो गये। शिव जी भील के सामने प्रकट हुए और परिवार सहित भील को मुक्ति का वरदान प्राप्त हुआ।

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